भगवान महावीर स्वामी के अनमोल वचन – Lord Mahavir Swami Quotes in Hindi

जैन दर्शन के अनुसार भगवान महावीर जैन धर्म के चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर थे. जैन धर्मियों के लिए, भगवान महावीर किसी देवता से कम नहीं हैं और उनका तत्त्वज्ञान ही जीवन का उपदेश है. भगवान महावीर का जन्म राजकुमार वर्धमान के रूप में हुआ था, वह राजा सिद्धार्थ और इक्ष्वाकु वंश की रानी त्रिशला की तीसरी संतान थे. इनका जन्मनाम ‘वर्धमान महावीर’ था, उन्हें बाद में भगवान महावीर के नाम से जाना जाने लगा.

30 वर्ष की आयु में, वर्धमान ने आध्यात्मिक जागृति की खोज के हेतु से अपना घर-संसार छोड़ दिया, और अगले साढ़े बारह वर्षों तक, उन्होंने गंभीर ध्यान और तपस्या की, जिसके बाद वे सर्वज्ञ हो गए. ‘केवल ज्ञान’ प्राप्त करने के पश्चात, उन्होंने अगले 30 वर्षों तक जैन दर्शनशास्र सिखाने के लिए पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा की. 

भगवान महावीर स्वामी के अनमोल वचन – Lord Mahavir Swami Quotes in Hindi

1. अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है.

2. किसी भी जिव या जीवित प्राणी को घायल मत करो, उनसे दुर्व्यवहार न करे, उनका उत्पीड़न न करे, उन्हें दासता में न रखें, अनादर न करें, पीड़ा न पहुचाये और न ही यातना न दें.

3. अगर आपने कभी किसी का भला किया है, तो उसे भूल जाइए. और अगर किसी ने आपका बुरा किया है, तो उसे भूल जाइए.

4. आसक्ति और परिग्रह कर्म का मूल कारण है, और कर्म की उत्पत्ति मोह से होती है. कर्म जन्म और मृत्यु का मूल कारण है, और इन्हें दुख का स्रोत कहा जाता है. कोई भी अपने स्वयं के पिछले कर्म के प्रभाव से बच नहीं सकता है.

5. किसी के अस्तित्व को मत मिटाओ. शांति से जिएं और दूसरों को भी जीने दें; जीवन सभी जीवों को प्रिय है.

6. क्रोध अधिक क्रोध को उत्पन्न करता है, क्षमा और प्रेम अधिक क्षमा और प्रेम बढ़ाते है.

7. किसी को भी उसकी आजीविका से वंचित न करें. यह एक पापी प्रवृत्ति है.

8. वाणी और कर्म के मेल से, व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, भाषा मे सीधापन और सामंजस्यपूर्ण प्रवृत्ति हासिल करता है.

9. हमेशा खुशहाल जीवन जीने के लिए, ‘अपनी मृत्यु’ और ‘ईश्वर’, यह दो बातें याद रखें.

10. शांति और आत्म-नियंत्रण अहिंसा है.

11. हर जीव के प्रति दयाभाव रखें, घृणा से विनाश होता है.

12. सुख और दुख में, आनंद और शोक में, हमें सभी प्राणियों का सम्मान करना चाहिए जैसा कि हम अपने आप को मानते हैं.

13. पर्यावरण का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत यह है कि आप एकमात्र तत्व नहीं हैं.

14. सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोषों के कारण दुखी हैं, और वे स्वयं को सुधार कर खुश हो सकते हैं.

15. स्वयं से लड़ाई करें, बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना? जो स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेता है वह आनंद को प्राप्त कर लेगा.

16. सभी आत्माएं समान और बराबर हैं और उनमें समरूप प्रकृति और गुण हैं.

17. किसी भी श्वसनशील, मौजूदा, जीवित, संवेदनशील प्राणियों को न तो मारना चाहिए, न ही उनके साथ हिंसात्मक व्यवहार करना चाहिए, न ही दुर्व्यवहार करना चाहिए, न ही अत्याचार करना चाहिए, न ही उन्हें दूर करना चाहिए.

18. यदि आप किसी आदत को आत्मसात करना चाहते हैं, तो इसे बिना किसी हिचकिचाहट के करें, जब तक कि यह दृढ़ता से स्थापित न हो जाए. जब तक इसकी पुष्टि नहीं हो जाती है, जब तक कि यह आपके चरित्र का हिस्सा नहीं बन जाता है, तब तक कोई अपवाद नहीं होने दें, प्रयास में कोई ढील न दें.

19. सभी मेरे मित्र हैं. मेरा कोई शत्रु नहीं है.

20. तपस्या और उपवास के साथ आत्म-नियंत्रण का अभ्यास शुरू करें.

21. जरूरत न होने पर संचय न करें. आपके पास धन की विपुलता समाज के हित के लिए है, और आप उसी के लिए उत्तरदायी हैं.

22. आपकी अंतर-आत्मा से परे कोई दुश्मन नहीं है. असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं, वे शत्रु हैं; क्रोध, अभिमान, लालच, मोह और घृणा.

23. आत्मा अकेले आती है और अकेले चली जाती है, न तो कोई उसका साथ देता है और न ही कोई उसका मित्र बनता है.

24. प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता है.

25. आपात स्थिति में, मन को भय के कारण डगमगाना नहीं चाहिए.

26. ईश्वर का कोई अलग अस्तित्व नहीं है. हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास करके दिव्यता प्राप्त कर सकता है.

27. प्रत्येक जीव स्वतंत्र है, कोई भी किसी और पर निर्भर नहीं करता है.

28. किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती उसके वास्तविक रूप को नहीं पहचानना है, और इसे केवल आत्म-ज्ञान प्राप्त करके सुधारा जा सकता है.

29. जो पृथ्वी, वायु, अग्नि, जल और वनस्पति के अस्तित्व की उपेक्षा या अवहेलना करता है, वह अपने स्वयं के अस्तित्व की अवहेलना करता है जो उनके साथ जुड़ा हुआ है.

30. आत्मा आध्यात्मिक अनुशासन का केंद्र बिंदु है.

31. भोजन आत्म-नियंत्रण के लिए सबसे बड़ी बाधा है; यह आलस्य को जन्म देता है.

32. एक आदमी जो जलते हुए जंगल के बीच में एक पेड़ के ऊपर बैठा है, वह सभी जीवित प्राणियों को नाश होते देखता है, लेकिन उसे इस बात का एहसास नहीं है कि उसका भी जल्द यही अंत होने वाला है, वह आदमी मूर्ख है.

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