Essay on Lohri in Hindi / Lohri par nibandh – जैसा कि हम जानते हैं कि भारत को त्योहारों का देश (Country of festivals) कहा जाता है क्योंकि भारत में विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोगों द्वारा विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं.
नए साल की शुरुआत से लेकर साल के अंत तक, देश के सभी हिस्सों में राष्ट्रीय स्तर पर या क्षेत्रीय स्तर पर कोई न कोई त्योहार अलग-अलग समय पर मनाया जाता रहता है.
इसी तरह लोहड़ी का पर्व (Lohri festival) भी भारत देश में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व (Festival) है, जो अंग्रेजी वर्ष के पहले महीने यानी जनवरी में मनाया जाता है.
यह त्यौहार विशेष रूप से पंजाबी लोग (Punjabi people) मनाते हैं, लेकिन कुछ अन्य स्थानों पर भी लोहड़ी का त्यौहार बहुत ही धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाता है.
यहां इस लेख में हम आपको लोहड़ी पर निबंध (Essay on Lohri) के माध्यम से लोहड़ी पर्व से जुड़ी सभी जानकारियां देने जा रहे हैं, जैसे कि लोहड़ी का पर्व क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है? यह त्योहार कौन लोग मनाते है? और इस पर्व से जुड़ी प्रचलित कथा क्या है? इन सभी के बारे में हम आपको विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं.
यदि आप भी निबंध लेखन या भाषण के लिए लोहड़ी पर्व के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमारे द्वारा लोहड़ी पर निबंध / लोहड़ी पर्व पर निबंध / Lohri Essay in Hindi से संबंधित जानकारी को अंत तक ध्यान से पढ़ें.
यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है.
लोहड़ी पर निबंध – Lohri Essay in Hindi
आपको बता दें कि लोहड़ी का त्योहार उत्तर भारत का खासकर पंजाब प्रांत और पंजाब के लोगों का प्रमुख त्योहार है. ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाच-गाकर इस पर्व को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है.
हर साल यह पर्व मकर संक्रांति (Makar Sankranti) से एक दिन पहले मनाया जाता है. लोहड़ी पौष महीने की आखिरी रात और मकर संक्रांति की सुबह तक मनाई जाती है.
लोहड़ी का त्योहार मनाने के पीछे कई ऐतिहासिक और धार्मिक कथाओं को महत्व दिया जाता है, जैसे सुंदरी-मुंदरी और डाकू दुल्ला भट्टी की कहानी, भगवान श्री कृष्ण और राक्षसी लोहिता की कहानी, संत कबीर दास की पत्नी लोई की याद में, आदि.
लोहड़ी पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा – Legend related to Lohri festival
बताया जाता है कि बहुत समय पहले उत्तर भारत में कहीं दो अनाथ लड़कियां रहती थीं जिनमें से एक लड़की का नाम “सुंदरी” और दूसरी का नाम “मुंदरी” था.
सुंदरी और मुंदरी के एक चाचा भी थे जो धन-दौलत के लालच में उन दोनों बहनों की विधिवत शादी कराने के बजाय उन्हें एक राजा को उपहार के रूप में देना चाहते थे.
लेकिन उसी समय दुल्ला भट्टी (Dulla Bhatti) नाम का एक डाकू हुआ करता था, जिसने न केवल उन अनाथ लड़कियों को राजा को उपहार में दिए जाने से बचाया, बल्कि उनके लिए उपयुक्त वर भी ढूंढे और उनका विधिवत विवाह करवाया और उनका कन्यादान भी स्वयं किया.
यह भी कहा जाता है कि दुल्ला भट्टी ने शगुन के तौर पर उन लड़कियों को शक्कर भेंट की थी. दरअसल, आनन-फानन में शादी के धूमधाम के इंतजाम न हो सके, इसलिए दुल्ला ने उन लड़कियों की झोली में सेर शक्कर भरकर उनको विदा किया. तात्पर्य यह है कि दुल्ला भट्टी ने डाकू होने के बावजूद अनाथ लड़कियों के पिता की भूमिका निभाई.
लोहड़ी पर्व मनाने के पीछे और भी कई कथाएं प्रचलित हैं. कुछ लोगों का मानना है कि यह त्योहार संत कबीर दास जी (Saint Kabir Das) की पत्नी “लोही (Lohi)” की याद में मनाया जाता है, इसी तरह यह भी कहा जाता है कि लोहड़ी इसलिए मनाई जाती है क्योंकि महाराज कंस ने “लोहिता (Lohita)” नाम की राक्षसी को बालक रूप भगवान श्री कृष्ण को मारने के उद्देश्य से भेजा था, लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने खेलते-खेलते उस राक्षसी का ही वध कर दिया.
लोहड़ी का त्यौहार कब और कैसे मनाया जाता है? When and how is the festival of Lohri celebrated?
लोहड़ी का त्यौहार हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है क्योंकि हर साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को पड़ती है, इस तरह लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाती है. माना जाता है कि उसी समय से दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगती हैं.
यह नए साल की शुरुआत का प्रतीक है और वसंत के मौसम की शुरुआत के साथ-साथ सर्दियों के मौसम के अंत का भी प्रतीक है.
छोटे बच्चे लोहड़ी के कुछ दिन पहले से ही लोहड़ी की तैयारी शुरू कर देते हैं, वे लोहड़ी के लिए लकड़ियां, सूखे मेवे, रेवड़ी, मूंगफली आदि इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं.
लोहड़ी के दिन, सभी नए कपड़े पहनते हैं और जश्न मनाने के लिए ढोल की थाप पर एक साथ नृत्य करते हैं, इस शुभ दिन का आनंद लेते हैं और पारंपरिक नृत्य यानी भांगड़ा (Bhangra) भी करते हैं.
लोहड़ी की असली रौनक तो शाम के समय होती है, जिसे मनाने के लिए लोग पहले एक स्थान पर गोबर के उपले और लकड़ियां इकट्ठा करते हैं और उनका ढेर बनाते हैं और फिर अंधेरा होते ही उन्हें जलाकर उनकी परिक्रमा करते हैं.
सभी माताएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर लोहड़ी की अग्नि-परिक्रमा करती हैं और अग्नि में मूंगफली, रेवड़ी, सूखे मेवे, गजक, मक्का के दाने आदि की आहुति देती हैं. ऐसा करने के पीछे मान्यता यह है कि लोहड़ी की परिक्रमा करने से बच्चे को नजर नहीं लगती है.
किसान उपहार के रूप में अग्नि देवता को अपनी नई फसल की आंशिक आहुति देते हैं. प्रसाद के रूप में रेवड़ी, मक्का के दाने, मूंगफली, सूखे मेवे, लावा, तिल आदि का मिश्रण सभी लोगों में बांटा जाता है.
यह दिन नवविवाहित जोड़ों और नवजात शिशुओं के लिए भी बेहद खास माना जाता है. जिसके घर में शादी के बाद पहली लोहड़ी या बच्चे की पहली लोहड़ी होती है, उसे विशेष बधाई दी जाती है.
नवविवाहित दूल्हा-दुल्हन अग्नि की परिक्रमा करते हुए अपने सुखी जीवन की कामना करते हैं और बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस दिन लड़की के घरवाले मूंगफली, रेवड़ी, सूखे मेवे, मक्का, कपड़े और मिठाई उसके ससुराल भेजते हैं.
इस अवसर पर हर कोई अपने और अपने परिवार के सुखी जीवन की कामना करता है.
फसल की कटाई और बुआई से जुड़ा है लोहड़ी का यह त्यौहार.
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पंजाब के लगभग सभी लोग किसी न किसी रूप में खेती से जुड़े हुए हैं. यही कारण है कि पंजाब में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं जो अपनी खेती में कड़ी मेहनत भी करते हैं.
लोहड़ी का त्योहार किसानों द्वारा अपनी फसल के कटने की खुशी के साथ-साथ नई फसल बोने की खुशी में मनाया जाता है. लोहड़ी को किसानों का नववर्ष (New year) भी कहा जाता है.
सभी किसान भाई और उनके परिवार इस दिन को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं, भांगड़ा करते हैं और एक साथ बोलियों में गीत गाते हैं.
निष्कर्ष:
लोहड़ी विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और आसपास के राज्यों में मनाई जाती है. लोहड़ी मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है. यह पंजाब के लोगों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है और इसे पंजाबी किसानों का नया साल भी कहा जाता है.
लोहड़ी पर 10 पंक्तियां हिंदी में (10 Lines on Lohri in Hindi)
- लोहड़ी त्योहार उत्तर भारत का खासकर पंजाब के लोगों का प्रमुख त्योहार है. पहले लोहड़ी के त्योहार को “तिरोड़ी” के नाम से जाना जाता था.
- यह पर्व “मकर संक्रांति” से एक दिन पहले मनाया जाता है.
- यह नए साल की शुरुआत का प्रतीक है और वसंत के मौसम की शुरुआत के साथ-साथ सर्दियों के मौसम के अंत का भी प्रतीक है.
- छोटे बच्चे लोहड़ी के कुछ दिन पहले से ही लोहड़ी की तैयारी शुरू कर देते हैं.
- शाम को अंधेरा होते ही गोबर के उपले और लकड़ी जलाकर उनकी परिक्रमा की जाती है.
- सभी माताएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर लोहड़ी की अग्नि-परिक्रमा करती हैं.
- किसान उपहार के रूप में अग्नि देवता को अपनी नई फसल की आंशिक आहुति देते हैं.
- ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाच-गाकर इस पर्व को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है और पारंपरिक नृत्य यानी भांगड़ा भी किया जाता हैं.
- प्रसाद के रूप में रेवड़ी, मक्का के दाने, मूंगफली, सूखे मेवे, लावा, तिल आदि का मिश्रण सभी लोगों में बांटा जाता है.
- इस अवसर पर हर कोई अपने और अपने परिवार के सुखी जीवन की कामना करता है.
FAQ:
Q: लोहड़ी का त्यौहार कब मनाया जाता है?
A: लोहड़ी का त्योहार हर साल 13 जनवरी को मनाया जाता है.
Q: भारत में किन-किन जगहों पर लोहड़ी मनाई जाती है?
A: लोहड़ी भारत में मुख्य रूप से पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, बंगाल, हिमाचल प्रदेश और ओडिशा, आदि में बड़े पैमाने पर मनाई जाती है.
Q: लोहड़ी का पूर्व नाम क्या था?
A: पहले लोहड़ी के त्योहार को “तिरोड़ी (Tirodi)” के नाम से जाना जाता था. तिरोड़ी शब्द “तिल” और “रोड़ी” (गुड़ की रोड़ी) इन दो शब्दों से मिलकर बना है. लेकिन अब इस त्योहार का नाम बदलकर लोहड़ी कर दिया गया है और अब पूरे भारत में इसे लोहड़ी के नाम से ही जाना जाता है.
Q: दुल्ला भट्टी कौन था?
A: लोहड़ी का त्योहार दुल्ला भट्टी नाम के एक शख्स की कहानी से जुड़ा है. लोहड़ी के सभी गीत दुल्ला भट्टी के संदर्भ में गाए जाते हैं और यह भी कहा जाता है कि दुल्ला भट्टी को लोहड़ी गीतों का केंद्र बिंदु बनाया गया था.
ऐसा माना जाता है कि दुल्ला भट्टी मुगल सम्राट अकबर के समय में पंजाब में रहता था और वह एक लुटेरा था. उसे पंजाब के “नायक” की उपाधि से सम्मानित किया गया था.
उस समय कुछ लोग धन-दौलत की लालच में लड़कियों को जबरदस्ती अमीर लोगों के पास गुलामी के लिए बेच देते थे. इसके लिए दुल्ला भट्टी ने न सिर्फ एक योजना के तहत लड़कियों को आजाद कराया बल्कि उनकी हिंदू लड़कों से शादी भी करा दी.
इन्हीं ऐतिहासिक कारणों से पंजाब में लोहड़ी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है और दुल्ला भट्टी का नाम आज भी लोक कथाओं में लिया जाता है.
Q: लोहड़ी के त्योहार के लिए प्रसाद बनाने के लिए कौन सी चीजें जरूरी हैं?
A: लोहड़ी का प्रसाद बनाने के लिए कुछ मुख्य चीजों का मिश्रण बनाया जाता है जैसे- रेवड़ी, मूंगफली, मक्का, मेवा, लावा, तिल आदि.
Q: लोहड़ी व्याहना रस्म क्या है?
A: इस पर्व पर कुछ शरारती युवक दूसरे मोहल्ले में जाते हैं और जहां लोहड़ी जलती हुई नजर आती है, वहां से जलती लकड़ी उठाकर अपने मोहल्ले की लोहड़ी की आग में डाल देते हैं, इसे लोहड़ी व्याहना कहते हैं.
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