Kya Hoga Agar Suraj Gayab Ho Jaye – सूर्य हमारी पृथ्वी को प्रकाश और ऊर्जा देने का एकमात्र प्राकृतिक साधन (Natural resources) है, सूर्य की ऊर्जा और प्रकाश के बिना पृथ्वी पर जीवन (Life) की कल्पना भी नहीं की जा सकती है.
लेकिन क्या होगा अगर सूरज अचानक अपने स्थान से गायब हो जाए? क्या सूर्य के बिना इस पृथ्वी पर जीवन संभव है?
दोस्तों आज के इस लेख Agar Suraj gayab ho jaye to kya hoga? में हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्य के बिना इस पृथ्वी पर जीवन की अवधारणा को जानेंगे.
सूर्य हमारे ग्रह पृथ्वी को पिछले 4.5 अरब वर्षों से ऊर्जा और प्रकाश दे रहा है, लेकिन सूर्य हमेशा पृथ्वी के लिए ऐसा सहायक नहीं होगा!
वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य की औसत आयु लगभग 9 अरब वर्ष आंकी गई है, अब चूंकि सूर्य पिछले 4.5 अरब वर्षों से लगातार प्रकाशित हो रहा है, इसका अर्थ है कि सूर्य अपनी औसत आयु के आधे पड़ाव पर है.
अगर सूरज गायब हो जाए तो क्या होगा? What would happen if the sun disappeared?
जैसा कि आप जानते ही होंगे कि हमारे सौर प्रणाली (Solar System) में सूर्य ही एकमात्र ऐसा पिंड है, जो अपने गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force) से पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य ग्रहों को अपने चारों ओर घुमाता रहता है.
सूर्य हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा पिंड है और सौरमंडल के सभी ग्रह एक निश्चित पथ पर सूर्य की परिक्रमा करते हैं. लेकिन गतिशील होने के कारण ये सूर्य के भीतर नहीं खींचे जाते है.
सूर्य हमारी पृथ्वी को गुरुत्वाकर्षण बल की सहायता से नियंत्रित करता है और उसे अपने चारों ओर कक्षा में रखता है.
जरा सोचिए अगर हमारे सौर प्रणाली से सूर्य गायब हो जाए तो क्या होगा? हमारी पृथ्वी को कौन नियंत्रित करेगा? ऐसे में हमारी पृथ्वी ब्रह्मांड में कहीं खो जाएगी क्योंकि सूर्य की अनुपस्थिति में हमारी पृथ्वी को नियंत्रित करने वाला कोई नहीं होगा.
अब अगर इस मामले में अचानक से सूर्य गायब हो जाता है, तो लगभग 500 सेकंड तक कुछ नहीं होगा क्योंकि सूर्य की किरणें पृथ्वी तक पहुंचने में लगभग 08 मिनट 20 सेकंड का समय लेती हैं और उसके बाद पृथ्वी पर अनंत काल के लिए अंधेरा फैल जाएगा.
सूर्य के चले जाने के बाद, चंद्रमा भी अपनी चमक खो देगा क्योंकि हम जानते हैं कि चंद्रमा केवल सूर्य की किरणों से ही प्रकाशित होता है. तब सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर, पृथ्वी के पास प्रकाश का मात्र एक ही स्रोत होगा, आकाश के चमकते सितारे, हालांकि इसका प्रकाश बहुत कम होगा.
सूर्य के जाने के बाद पृथ्वी का सूर्य से गुरुत्वाकर्षण बल भी समाप्त हो जाएगा, अब हमारी पृथ्वी भी बिना किसी नियंत्रण के अंतरिक्ष में तैर रही होगी. जिसका अर्थ है कि पृथ्वी अब सौर मंडल की परिक्रमा नहीं करेगी और 3 किमी / सेकंड की गति से अंतरिक्ष में एक अंतहीन यात्रा पर निकल पड़ेगी. यह सब सूर्य की अनुपस्थिति के कारण ही हो रहा होगा.
हालांकि तब तक धरती पर किसी को भी इसके बारे में कुछ पता नहीं चलेगा और लोग रात के बीतने का इंतजार करेंगे, लेकिन उन्हें शायद तब पता नहीं होगा कि अब यह भयानक रात कभी खत्म नहीं होगी.
हालांकि, यह संभव है कि तब तक वैज्ञानिकों को इस पूरे मामले की अच्छी समझ हो जाएगी और वे पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.
सूर्य के लुप्त होने से न केवल हमारी पृथ्वी, बल्कि सौरमंडल के अन्य ग्रह जैसे: मंगल, बुध, बृहस्पति, अपने स्थान से अलग हो जाएंगे और अंतरिक्ष में इधर-उधर घूमते रहेंगे.
सूरज के गायब हो जाने पर इंसान कैसे जिंदा रह पाएंगे – How humans will be able to survive when the sun disappears
सूरज की अनुपलब्धता के बाद हम अपने शहरों को कोयला, पेट्रोलियम, परमाणु ईंधन और बिजली के अंत तक पहले की तरह उज्ज्वल रख सकेंगे, लेकिन यह लंबे समय तक संभव नहीं होगा.
अब मनुष्य के पास सबसे बड़ी समस्या भोजन की व्यवस्था होगी, लेकिन पौधों द्वारा भोजन बनाने की प्रक्रिया बंद हो जाएगी क्योंकि सूर्य के प्रकाश के बिना पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया (Process of photosynthesis) को पूरा नहीं कर पाएंगे.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वर्तमान में हमारा 99 प्रतिशत भोजन प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया पर ही आधारित है.
अब धरती पर भोजन की कमी के कारण लूटपाट, नरसंहार जैसी कई आपराधिक घटनाएं बढ़ने लगेंगी क्योंकि किसी भी देश की सेना भूखे पेट अपने नागरिकों की रक्षा नहीं कर पाएगी.
सूर्य के बिना हमारी पृथ्वी का तापमान लगातार गिरना शुरू हो जाएगा, प्रारंभिक चरण में पृथ्वी का तापमान -20 डिग्री होगा, लेकिन दो महीने बाद पृथ्वी का औसत तापमान -100 डिग्री तक गिर जाएगा, और इस तरह समुद्र और नदियों सहित पूरी पृथ्वी ठंड के कारण जमने लगेगी.
इस कम तापमान में वातावरण का संतुलन गड़बड़ा जाएगा और पूरी धरती बर्फ की तरह सफेद बर्फीली होने लगेगी. धीरे-धीरे पृथ्वी का तापमान -240 डिग्री तक गिर जाएगा, अब इस स्थिति में जीवित रहने के लिए मनुष्यों को पृथ्वी की भू-तापीय ऊर्जा (Geothermal energy) का सहारा लेना होगा, जिसके लिए पृथ्वी के केंद्र में जाने की आवश्यकता होगी.
सूर्य के लुप्त होने के बाद 20 से 30 वर्षों में हमारा ग्रह इतना ठंडा हो जाएगा कि हवा बर्फ के रूप में बहने लगेगी और साथ ही अंतरिक्ष से घातक रेडियो एक्टिव (Radio Active) किरणें भी पृथ्वी पर आने लगेंगी. DNA को नुकसान पहुंचाने वाली इन खतरनाक किरणों से लंबे समय तक इंसानों के लिए खुद को बचाना शायद संभव नहीं होगा.
अस्तित्व की इस विषम स्थिति और भोजन की कमी के कारण, शेष बचे मनुष्यों के पास जीवन को सुरक्षित रखने के लिए अंतरिक्ष यान (Spaceship) द्वारा जीवन के अनुकूल किसी अन्य ग्रह पर जाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं होगा.
मानव पलायन के बाद, पृथ्वी केवल एक बर्फीला ग्रह रह जाएगा, जिस पर कभी जीवन फलता-फूलता था, एक ऐसी पृथ्वी जिस पर एक सभ्य और सांस्कृतिक मानव सभ्यता का विकास हुआ था.
क्या अब भी पृथ्वी पर जीवन संभव होगा? Will life still be possible on Earth?
हालांकि, मनुष्यों के इस निराशाजनक अंत का एक सकारात्मक पहलू यह भी है कि पृथ्वी पर जीवन पूरी तरह से नष्ट नहीं होगा क्योंकि समुद्र के तल में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव (Microorganism), सूर्य की किरणों के बजाय, धरती के केंद्र से आ रही ऊर्जा से अपना भोजन बनाते है. इस तरह सूरज के लुप्त होने के अरबों साल बाद भी इन समुद्री जीवों के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
पता नहीं इस अनंत सफर में पृथ्वी अंतरिक्ष के कितने तारे और ग्रह के करीब से गुजरेगी और क्या पता, शायद एक दिन पृथ्वी किसी ऊर्जावान तारे के गुरुत्वाकर्षण में आ जाएगी और उसके चारों ओर घूमने लगेगी.
शायद उस तारे की गर्मी के कारण पृथ्वी पर महासागरों की बर्फ पिघलने लगे, हवाएं जमने के बजाय सामान्य रूप से चलने लगे और बर्फ की चादर से ढकी इस धरती पर रहने के लिए परिस्थितियां बन जाए.
फिर समुद्री जीव पृथ्वी की सतह पर आकर विकास की प्रक्रिया (Evolution) आरंभ कर दे, और फिर सैकड़ों वर्षों के निरंतर विकास के बाद, मनुष्य फिर से पृथ्वी पर अपने अस्तित्व के निशान बना सके.
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