कुन सिर पर बाँधना का अर्थ – Kun Sir Par Bandhna Muhavare Ka Matlab
कुन सिर पर बाँधना मुहावरे का अर्थ | खतरे या जान की परवाह न करना |
कुन सिर पर बाँधना मुहावरे का अर्थ
Kun Sir Par Bandhna Muhavre Ka Arth – कुन सिर पर बाँधना मुहावरे का अर्थ है खतरे या जान की परवाह न करना / मरने को तैयार रहना।
कुन सिर पर बाँधना मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग
Kun Sir Par Bandhna Muhavre Ka Vakya Prayog
#1. वाक्य प्रयोग: देश की जनता को मुगलों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने और अपने धर्म की रक्षा के लिए शिवजी महाराज और महाराणा प्रताप जैसे वीर योद्धा कुन सिर पर बांधकर युद्ध करते थे।
#2. वाक्य प्रयोग: स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हमारे देश के काफी सारे नवयुवक अपने सर पर कुन बांधकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे।
#3. वाक्य प्रयोग: हमारे देश की रक्षा के लिए भारतीय सैनिक सीमा पर कुन सिर पर बांधे खड़े रहते हैं, अपनी जान की परवाह किए बिना हर समय युद्ध के लिए तैयार रहते हैं।
#4. वाक्य प्रयोग: सुहास एक घने जंगल में फंस गया था और वहां से निकलने के लिए उसे एक खतरनाक नदी पार करनी थी इसलिए उसने सिर पर कुन बांध लिया और बिना किसी बात की परवाह किए उस जंगल को पार कर गया।
#5. वाक्य प्रयोग: जब रानी लक्ष्मीबाई ने अपने सिर पर कुन बांधा तो अंग्रेजों को पता चल गया कि उनके खिलाफ आवाजें उठ रही हैं।
मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।
प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।
मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।
मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।
मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।
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