स्त्री-भक्त राजा – पंचतंत्र की कहानी (King Who Loved His Wife Story In Hindi)

स्त्री-भक्त राजा – पंचतंत्र की कहानी (King Who Loved His Wife Story In Hindi)

King Who Loved His Wife Story In Hindi – Tales of Panchatantra

प्राचीन काल में एक बहुत बड़ा राज्य था, महाराज नंद उस राज्य के राजा थे। वह बहुत ही साहसी और पराक्रमी राजा थे। उनका यश और कीर्ति चारों दिशाओं में फैली हुई थी। दूसरे राज्यों के राजा भी उसकी जय-जयकार करते थे।

नंद का राज्य इतना बड़ा था कि उसके राज्य का एक सिरा समुद्र तक और दूसरा सिरा पहाड़ों तक फैला हुआ था। राजा नंद के एक मंत्री वररुचि थे जो महाराज के सबसे भरोसेमंद थे। वह सभी विद्याओं में निपुण और राजनीति के कुशल मंत्री थे।

वररुचि की पत्नी उग्र स्वभाव की थी। वह हर बात पर वररुचि से नाराज हो जाती थी और तब तक नहीं मानती थी, जब तक वररुचि उसे उसके कहे अनुसार नहीं मनाता था।

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एक दिन किसी कारणवश वररुचि की पत्नी उनसे रूठ गई। वररुचि ने उसे मनाने की अथक कोशिश की लेकिन वह मानने का नाम ही नहीं ले रही थी।

विवश होकर, वररुचि ने अपनी पत्नी से कहा, “हे प्रिये! तुम जैसा कहोगी वैसा ही होगा, मैं तुम्हारी हर आज्ञा मानूंगा, बस तुम प्रसन्न हो जाओ।”

पत्नी ने कहा, “यदि तुम अपना सिर मुंडवा कर और मेरे चरणों में गिरकर क्षमा मांगो, तो ही मैं तुम्हें क्षमा कर दूंगी।”

वररुचि ने अपनी पत्नी के कहे अनुसार किया और उसकी पत्नी खुश हो गई।

उसी दिन राजा नंद की पत्नी भी राजा से नाराज हो गई। नंद ने अपनी पत्नी से कहा, “प्रिये, तुम्हारी नाराजगी का अर्थ मेरी मृत्यु है। मैं तुम्हारी खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार हूं। तुम बस आदेश दो।”

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नंदपत्नी ने कहा, “मैं आपके मुंह पर लगाम लगाकर आप पर सवार होकर आपको घोड़े की तरह दौड़ाना चाहती हूं।”

राजा ने उसकी इच्छा पूरी कर दी जिससे वह खुश हो गई। 

अगली सुबह जब वररुचि राजदरबार में आए तो उनका सिर मुंडा हुआ था। राजा नंद वररुचि के घर का हाल जानते थे। वे समझ गए कि यह पत्नी को मनाने की कोशिश का नतीजा है।

जब वररुचि दरबार में पहुंचे, तो राजा ने उनका मखौल उड़ाते हुए उनसे पूछा कि, “किस पवित्र काल में आपने अपना सिर मुंडवाया है?”

उसने तुरंत उत्तर दिया, “राजन, मैंने उस पवित्र समय में अपना सिर मुंडवा लिया है, जिसमें पुरुष अपने मुंह में लगाम डालकर हिनहिनाते हुए दौड़ते हैं।”

यह सुनकर राजा नंद बहुत लज्जित हुए। उस दिन उसने प्रण लिया कि वह भविष्य में कभी भी वररुचि का उपहास करने का प्रयास नहीं करेंगे।

कहानी का भाव:

कभी किसी का मजाक मत बनाओ।

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