खून का प्यासा होना का अर्थ – Khoon Ka Pyasa Hona Muhavare Ka Matlab
खून का प्यासा होना मुहावरे का अर्थ | कट्टर शत्रू होना |
खून का प्यासा होना मुहावरे का अर्थ
Khoon Ka Pyasa Hona Muhavre Ka Arth – खून का प्यासा होना मुहावरे का अर्थ है जानी दुश्मन होना, किसी को मारने के लिए उत्सुक होना, किसी को मारने के लिए उसके पीछे पड़ जाना, कट्टर दुश्मन होना।
खून का प्यासा होना मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग
Khoon Ka Pyasa Hona Muhavre Ka Vakya Prayog
#1. वाक्य प्रयोग: हिंदू धार्मिक ग्रंथ भगवद गीता में श्री कृष्ण ने कहा है कि कलियुग में लालच और अहंकार के कारण हर इंसान दूसरे इंसान के प्रति खून का प्यासा हो जाएगा।
#2. वाक्य प्रयोग: शाम और घनश्याम दोनों बचपन के दोस्त हैं लेकिन लेन-देन को लेकर उनमें झगड़ा हो गया और तभी से दोनों दोस्त एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए।
#3. वाक्य प्रयोग: भारत के विभाजन के कारण दोनों देशों की जनता पर जो बीती उससे लोग एक-दूसरे के प्रति खून के प्यासे हो गये।
#4. वाक्य प्रयोग: एक कहावत है कि भूखे शेर और खून के प्यासे इंसान से हमेशा सावधान रहना चाहिए क्योंकि दोनों भरोसे के लायक नहीं होते, ये कब क्या कर देंगे इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता।
#5. वाक्य प्रयोग: आजकल घरों में अक्सर देखा जाएगा कि पैतृक संपत्ति को लेकर भाई-भाई एक-दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं।
मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।
प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।
मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।
मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।
मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।
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