ख्याली पुलाव पकाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग (Khayali Pulao Pakana Muhavara)

Khayali Pulao Pakana Muhavare Ka Matlab

ख्याली पुलाव पकाना का अर्थ – Khayali Pulao Pakana Muhavare Ka Matlab

ख्याली पुलाव पकाना मुहावरे का अर्थकल्पनाओं में जीना
Khayali Pulao Pakana

ख्याली पुलाव पकाना मुहावरे का अर्थ

Khayali Pulao Pakana Muhavre Ka Arth – कल्पनाओं में जीना, असंभव कार्य की बातें हांकना , निराधार बातें करना, असंभव बातें सोचना, मनमानी कल्पनाएं करना।

ख्याली पुलाव पकाना मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग

Khayali Pulao Pakana Muhavre Ka Vakya Prayog

#1. वाक्य प्रयोग: हर बार युद्ध में करारी हार झेलने के बाद भी पाकिस्तान भारत से कश्मीर हस्तगत करने का ख्याली पुलाव पकाने में ही लगा रहता है। 

#2. वाक्य प्रयोग: अक्सर हमारे अनुभवी बुजुर्ग हमें यही कहते हैं कि ख्याली पुलाव पकाने से कुछ हासिल नहीं होता, मेहनत करने से ही कुछ हासिल होता है।

#3. वाक्य प्रयोग: आज की आभासी दुनिया में ज्यादातर युवा ख्याली पुलाव पकाने का सपना देखते हैं, जिसके कारण उन्हें बाद में पछताना पड़ता है।

#4. वाक्य प्रयोग: सोहन हमेशा दुकान पर बैठकर ख्याली पुलाव पकाता रहता है, जिसके कारण उसके माता-पिता उसे समझाते हैं कि अगर यही हाल रहा तो तुम्हें बाद में पछताना पड़ेगा।

#5. वाक्य प्रयोग: अगर पैसा ख्याली पुलाव पकाने से आता तो इस दुनिया के सभी लोग हर समय ख्याली पुलाव पकाते रहते, लेकिन जीवन में सफलता पाने के लिए ख्याली पुलाव पकाने की नहीं बल्कि कड़ी मेहनत की जरूरत होती है।

मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।

प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।

मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।

मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।

मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।

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