Kaurava brothers and sisters names in Hindi – महाकाव्य महाभारत (Mahabharata) की कहानियाँ न केवल रोचक हैं बल्कि असामान्य रूप से अद्भुत भी हैं। इसकी परतें इतनी गहरी हैं कि हर परत में एक अलग कहानी छिपी हुई है।
“महाभारत” भारतीय साहित्य का एक महाकाव्य (Epic) है और राजा भीष्म द्वारा राजा धृतराष्ट्र और पांडु के पुत्रों, यानी कौरवों और पांडवों के बीच लड़े गए महान युद्ध की कहानी है।
इस कहानी की परतें सामान्य रूप से महाभारत की महाकाव्य घटनाओं को दर्शाती हैं, लेकिन वे यह भी साबित करती हैं कि “महाभारत” केवल एक युद्ध कहानी नहीं है, बल्कि भारतीय समाज, नैतिकता और दर्शन के मूल तत्वों पर एक अद्वितीय प्रस्तुति है। स्वरूप का परिचय कराने वाला एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
महाभारत में कौरवों के कितने भाई-बहन थे?
महाभारत में कौरवों की संख्या को 100 बताया जाता है, जिसमें दुर्योधन और उनके 99 भाइयाँ शामिल थे। वास्तविकता में, कौरव 100 नहीं बल्कि 101 भाई थे। “युयुत्सु” एक कौरव भाई था जिसे दुर्योधन ने कभी अपना नहीं माना, क्योंकि वह उसकी माता के गर्भ से उत्पन्न नहीं था और उसकी धर्म और नीतियों में विशेष रुचि थी।
युयुत्सु ने हर गलत काम में दुर्योधन और धृतराष्ट्र का विरोध किया था, लेकिन कभी किसी ने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और महाभारत के महान युद्ध में उसे न चाहते हुए भी दुर्योधन के साथ युद्ध के मैदान में आना पड़ा, लेकिन दुर्योधन के इस भाई ने जिन्होंने धर्म का पालन किया, युद्ध शुरू होने से पहले उन्हें युधिष्ठिर की सेना में शामिल होने का मौका मिला और वे धृतराष्ट्र के 101 पुत्रों में से एकमात्र जीवित बचे थे।
इसके अलावा कौरवों की एक बहन भी थी, उसका नाम “दुःशला” था।
कौरवों का जन्म कैसे हुआ था?
पुराणों में इस विषय पर विस्तार से वर्णन किया गया है। किदन्तियों के अनुसार, कौरव राजा धृतराष्ट्र के पुत्र थे और वे हस्तिनापुर के महाराजा थे। उनकी मां का नाम गांधारी था।
महाभारत के अनुसार धृतराष्ट्र और गांधारी को कई वर्षों तक कोई संतान नहीं हुई और यह उनके लिए बहुत दुख का कारण बन गया।
इस समस्या का समाधान खोजने के लिए गांधारी ने ऋषि वेदव्यास की मदद ली, जो एक महान ऋषि और ज्ञानी व्यक्ति थे। गांधारी की भक्ति देखकर वेदव्यास ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा कि उन्हें 100 पुत्रों की मां बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
महाभारत के अनुसार गांधारी का गर्भकाल अत्यंत लंबा था और वह नौ माह की बजाय दो वर्ष तक गर्भवती रही। परिणामस्वरूप, उसके गर्भाशय का आकार भी बढ़ गया। प्रसव के समय गांधारी ने एक विशेष प्रकार के अर्भक को जन्म दिया, जिसका वर्णन महाभारत में “मांस का लोथड़ा” के रूप में किया गया है।
इस घटना के बाद गांधारी बहुत चिंतित हो गईं, क्योंकि उनके केवल एक ही बच्चे का जन्म हुआ था, जबकि उन्हें 100 पुत्रों की मां बनने की उम्मीद थी।
इसके बाद गांधारी और धृतराष्ट्र ने फिर ऋषि व्यासजी को याद किया। व्यासजी ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनके अवश्य 100 पुत्र होंगे। व्यासजी ने उन्हें समझाया कि उन्हें अपने पुत्रों की बढ़ती गर्भावस्था को संभालने के लिए एक विशेष उपाय अपनाना होगा।
उन्होंने मांस के लोथड़े के रूप में पैदा हुए उस अर्भक को 101 भागों में विभाजित करने का सुझाव दिया, फिर प्रत्येक टुकड़े को अलग-अलग घड़े में डालकर घी से भरने का आदेश दिया। और राजा-रानी को आश्वासन दिया कि एक निश्चित अवधि के बाद, यदि वे बर्तन खोलकर देखेंगे, तो प्रत्येक बर्तन में एक बच्चा पैदा होगा।
इसके बाद, उन 101 घड़ों में बच्चों का विकास हुआ। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप, पहले दुर्योधन का जन्म हुआ, और उसके बाद दुषासन जन्मे। इसी तरह, सभी उन घड़ों से जो बच्चे पैदा हुए, उन्हें ही “कौरव” कहा गया।
उन 101 घड़ों में से 100 घड़ों में बच्चे पैदा हुए, जबकि 101वें घड़े से एक बच्ची का जन्म हुआ, जिसका नाम “दुःशला” रखा गया। वह 100 कौरवों की एकमात्र बहन थी। इस प्रकार, गांधारी से 100 कौरवों के साथ एक कन्या का जन्म हुआ।
100 कौरवों के नाम – Names of 100 Kaurava
धृतराष्ट्र और गांधारी के एक सौ एक बच्चे थे, जिनमें एक सौ बेटे (कौरव) और एक बेटी शामिल थी।
- दुर्योधन (Duryodhana)
- दुशासन (Dushasana)
- विकर्ण (Vikarna)
- चित्रसेना (Chitrasena)
- दुस्सालन (Dussalan)
- जलगन्ध (Jalgandha)
- साम (Saam)
- साह (Saah)
- विन्ध (Vindha)
- अनुविन्ध (Anuvindha)
- दुर्मुख (Durmukha)
- दुर्दर्षा (Durdarsha)
- दुर्मर्षा (Durmarshana)
- दुस्साह (Dussaha)
- दुर्मादा (Durmada)
- दुष्कर्ण (Dushkarna)
- दुर्धरा (Durdhara)
- विविंसति (Vivinsati)
- दुर्मर्षण (Durmarshan)
- दुर्विषाहा (Durvishaha)
- दुर्विमोचन (Durvimochana)
- दुष्प्रदर्श (Dushpradarsha)
- दुर्जय (Durjaya)
- जैत्र (Jaitra)
- भूरीवाला (Bhurivala)
- रवि (Ravi)
- जयत्सेन (Jayatsena)
- सुजाता (Sujata)
- श्रुतवान् (Shruttavan)
- श्रुतान्त (Shruttanta)
- जय (Jay)
- चित्र (Chitra)
- उपचित्र (Upachitra)
- चारुचित्र (Charuchitra)
- चित्राक्ष (Chitraksha)
- सराषन (Sarashana)
- चित्रयुद्ध (Chitrayuddha)
- चित्रवर्मन (Chitravarman)
- सुवर्मा (Suvarma)
- सुदर्शन (Sudarshana)
- धनुर्ग्रह (Dhanurgraha)
- विवित्सु (Vivitsu)
- सुबाहु (Subahu)
- नन्द (Nanda)
- उपनन्द (Upananda)
- क्रथ (Kratha)
- वातवेग (Vatavega)
- निशागिन (Nishagina)
- कवाशिन (Kavashin)
- पासी (Pasi)
- विकट (Vikata)
- सोम (Soma)
- सुवर्चसस (Suvarchasas)
- धनुर्धर (Dhanurdhara)
- अयोबाहु (Ayobahu)
- महाबाहु (Mahabahu)
- चित्रमग (Chitramaga)
- चित्रकुंडल (Chitrakundala)
- भीमरथ (Bhimaratha)
- भीमवेग (Bhimavega)
- भीमबेल (Bhimabel)
- उग्रयुध (Ugrayudha)
- कुण्डधर (Kundadhara)
- वृन्दारक (Vrindaraka)
- दृढ़वर्मा (Drithavrma)
- दृढ़क्षत्र (Drithakshatra)
- दृढ़सन्ध (Drithasandha)
- जरासंध (Jarasandha)
- सत्यसंध (Satyasandha)
- सदासुवक (Sadasuvak)
- उग्रश्रवस (Ugrashravas)
- उग्रसेन (Ugrasena)
- सेनानी (Senani)
- अपराजीत (Aparajita)
- कुंधासाई (Kundhasai)
- दृढ़हस्थ (Drithahastha)
- सुहस्थ (Suhasa)
- सुवर्च (Suvarcha)
- आदित्यकेतु (Adityaketu)
- उग्रसाई (Ugrasai)
- कवची (Kavachi)
- क्रधन (Krathana)
- कुन्धी (Kundhi)
- भीमविक्र (Bhimavikra)
- अलोलूप (Alolupa)
- अभय (Abhaya)
- धृधकर्मावु (Dhridhakarmavu)
- धृधार्थाश्रय (Dhridharthashraya)
- अनाध्रुष्य (Anadhruhya)
- कुन्धभेदी (Kundhabhedi)
- विरावी (Viravi)
- चित्रकुंडल (Chitrakundala)
- प्रधाम (Pradham)
- अमाप्रमाधि (Amapramadhi)
- डीरखारोम (Deerkharoma)
- सुवीर्यवान (Suveeryavaan)
- धीरखाबाहु (Dheerkhabahu)
- कंचनध्वज (Kanchanadhvaja)
- कुंधासी (Kundhasai)
- विरजस (Viraja)
इसके अलावा जैसा कि हमने पहले बताया कि कौरवों की एक बहन दुशाला और एक सौतेला भाई भी था जिसका नाम युयुत्सु था।
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