शातिर कबूतर और शिकारी की कहानी | Hindi Moral Story

शातिर कबूतर और शिकारी की कहानी | Hindi Moral Story

एक बार एक शिकारी जंगल में शिकार करने गया और जाल बिछाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया. शिकारी सुबह से शाम तक बैठा रहा, लेकिन उसके हाथ कुछ ना लगा. तभी अचानक एक कबूतर शिकारी के जाल में फंस गया. उस फड़फड़ाते कबूतर को देखकर शिकारी बहुत खुश हुआ.

शिकारी ने कबूतर को पिंजरे में बंद कर दिया और बड़ी प्रसन्नता से उसे अपने साथ घर ले जाने लगा, तभी रास्ते में कबूतर ने भयभीत होकर शिकारी से पूछा, की तुम मुझे कहां ले जा रहे हो?

शिकारी ने कहा कि मैं तुम्हें अपने घर ले जा रहा हूं, मुझे बहुत भूख लगी है, अब मैं तुम्हें पकाऊंगा और खाऊंगा. तब तो बड़ा मजा आएगा.

शिकारी की बात सुनकर कबूतर चुपचाप बैठ गया और थोड़ी देर बाद कुछ सोचकर शिकारी से बोला कि अब मेरी जिंदगी तो खत्म होने वाली है, लेकिन उससे पहले मेरी एक आखिरी इच्छा है.

अब शिकारी के मन में कौतूहल पैदा हो गया और उसने कबूतर से पूछा कि तुम्हारी अंतिम इच्छा क्या है? मैं इसे जरूर पूरा करूंगा.

कबूतर ने बड़ी विनम्रता से कहा कि मेरी मां ने मरने से पहले मुझे दो बहुत उपयोगी बातें बताई थीं, मैं मरने से पहले आपको वो बातें बताना चाहता हूं, शायद यह आपके किसी काम आए.

पहली बात – बिना सोचे समझे किसी की भी बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए.

दूसरी बात – कुछ बुरा होने पर या कुछ छूट जाने पर कभी खेद नहीं करना चाहिए.

कबूतर की बात सुनकर शिकारी मुस्कुराया और आगे बढ़ने लगा. शिकारी कुछ ही दूर चला गया था कि कबूतर ने उससे कहा कि मेरे पास एक हीरे की अंगूठी है, अगर मैं तुम्हें वह अंगूठी दे दूं तो क्या तुम मुझे आज़ाद करोगे?

हीरे का नाम सुनते ही शिकारी के मन में लालच आ गया और उसने कहा कि मैं तुम्हें अवश्य मुक्त कर रहा हूं, तुम शीघ्र ही वह हीरा लाओ और मुझे दे दो.

जैसे ही कबूतर मुक्त हुआ, वह उड़कर दूर जाकर एक ऊंचे पेड़ की डाली पर बैठ गया और शिकारी से कहा कि मेरे पास कोई हीरा नहीं है.

मैंने तुमसे अभी कहा था कि बिना सोचे-समझे किसी पर भी भरोसा नहीं करना चाहिए. कबूतर की बात सुनकर शिकारी बहुत दुखी और निराश हो गया. उसे उदास देखकर कबूतर ने कहा, मैंने तुमसे यह भी कहा था कि कुछ बुरा होने या छूट जाने पर शोक नहीं करना चाहिए.

इस कहानी से हमे क्या बोध मिला?

1. हमें किसी अनजान व्यक्ति को जाने बिना उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए.

2. कुछ बुरा होने पर, या कुछ छूट जाने पर हमें कभी दुखी नहीं होना चाहिए, बल्कि हमें अपनी गलती से सीख लेनी चाहिए, ताकि आप भविष्य में ऐसी गलती फिर कभी न करें.

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