कान पर जूं न रेंगना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग (Kaan Par Joo Na Rengna Muhavara)

Kaan Par Joo Na Rengna Muhavare Ka Matlab

कान पर जूं न रेंगना का अर्थ – Kaan Par Joo Na Rengna Muhavare Ka Matlab

कान पर जूं न रेंगना मुहावरे का अर्थकुछ असर न होना
Kaan Par Joo Na Rengna

कान पर जूं न रेंगना मुहावरे का अर्थ

Kaan Par Joo Na Rengna Muhavre Ka Arth – कान पर जूं न रेंगना मुहावरे का अर्थ है कोई प्रभाव न होना, कोई असर न होना, किसी बात पर ध्यान न देना।

कान पर जूं न रेंगना मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग

Kaan Par Joo Na Rengna Muhavre Ka Vakya Prayog

#1. वाक्य प्रयोग: कथा के अनुसार श्रीकृष्ण ने दुर्योधन को बहुत समझाया लेकिन उसके कानों पर जूं तक नहीं रेंगी, जिसके परिणामस्वरूप महाभारत जैसा विनाशकारी युद्ध हुआ।

#2. वाक्य प्रयोग: पुलिस ने विजय को गांव छोड़ने से मना किया था लेकिन लाख समझाने के बाद भी उसके कान पर जूं तक नहीं रेंगी और वह दूसरे गांव चला गया।

#3. वाक्य प्रयोग: विशाल को उसके अध्यापक ने बहुत समझाया कि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे लेकिन विशाल के कान पर जूं तक नहीं रेंगी और वह परीक्षा में फेल हो गया।

#4. वाक्य प्रयोग: नगर निगम ने बार-बार टीवी पर विज्ञापन दिया कि इस भारी बारिश में गाड़ियां बेवजह सड़कों पर न निकाले, लेकिन शहरवासियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी और फिर जाम लग गया।

#5. वाक्य प्रयोग: किसान भरी सभा में अपने गांव के सरपंच से सिंचाई के लिए पानी की गुहार लगाते रहे, लेकिन सरपंच के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।

मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।

प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।

मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।

मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।

मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।

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