जापानी सूमो पहलवानों के बारे में हिंदी में जानकारी और (20) रोचक तथ्य – Information and Interesting Facts about Japanese Sumo Wrestlers

जापानी सूमो पहलवानों के बारे में हिंदी में जानकारी और रोचक तथ्य - Information and Interesting Facts about Japanese Sumo Wrestlers

Japanese Sumo Wrestlers Information And Facts In Hindi – वैसे तो दुनिया में कई खेल खेले जाते हैं, लेकिन सूमो प्रतियोगिताओं और सूमो पहलवानों को लेकर लोगों के मन में काफी उत्सुकता रहती है. सूमो पहलवान हमेशा जापान की बाहरी दुनिया के लिए आकर्षण और जिज्ञासा का विषय रहे हैं. 

सूमो पहलवान दुनिया भर में अपने गोल-मटोल, भारीभरकम शरीर और कुश्ती के अनूठे खेल प्रकार के लिए जाने जाते हैं.

सूमो क्या है? What is Sumo?

“सूमो (Sumo)” जापानी लोकप्रिय खेल प्रकार कुश्ती (Wrestling) का नाम है तथा सूमो पहलवानों को रिकिशी (Rikishi) कहा जाता है.

सूमो, जापान का राष्ट्रीय खेल (National sport) है. साथ ही जापान के शिंतो धर्म (Shinto religion) के अनुयायियों के बीच सूमो का बहुत महत्व है. 

हालांकि सूमो कुश्ती जापान में हर स्तर और वर्ग में खेली जाती है, लेकिन कुछ राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं (National competitions) इसके लिए काफी लोकप्रिय हैं. यह इतना लोकप्रिय खेल है कि अक्सर स्कूलों, कॉलेजों, संगठनों आदि में सूमो प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं.

सूमो कुश्ती का इतिहास – Sumo wrestling history in Hindi

सूमो कुश्ती का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि जापान देश की स्थापना. इतिहासकारों के अनुसार, सूमो कुश्ती (Sumo wrestling) परंपरा 8वीं शताब्दी के आसपास जापान के मठों में प्रचलन में आई और तब इसे “सुमाई (Sumai)” के नाम से जाना जाता था.

इस परंपरा के अनुसार जापान में वसंत ऋतु के आगमन पर सबसे पहले यासुकुनी (Yasukuni Shrine) नामक मठ में चेरी तोड़ी जाती है, जिसके बाद सूमो फाइट का आयोजन किया जाता है.

इस मौके पर सूमो पहलवान पारंपरिक रीति-रिवाजों पर काफी ध्यान देते हैं. मुकाबले से ठीक पहले इस लड़ाई में भाग लेने वाले पहलवान एक अलग अंदाज़ अपनाते हैं. मुकाबला शुरू होने से पहले वह हवा में नमक उछालते हैं. इसके पीछे उनकी मान्यता है कि ऐसा करने से उनका अखाड़ा पवित्र हो जाता है.

आश्चर्यजनक बात यह है की प्राचीन काल से खेले जाने वाले इस लोकप्रिय खेल में आज तक कोई बदलाव नहीं आया है.

सूमो पहलवानों का पूरा सिस्टम कैसे काम करता है? Sumo wrestler lifestyle in Hindi

जापान में सूमो पहलवान किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं होते हैं, लेकिन इनकी असल जिंदगी बेहद सादगी से भरी होती है. वह खुद को पूरी तरह से कुश्ती के लिए समर्पित कर देते हैं. ये लोग समाज से दूर रहते हैं, जिससे किसी भी कारण से इनका ध्यान अपने लक्ष्य से न भटक सके. 

सूमो शिक्षा प्राप्त करने के लिए वे जिस स्थान पर निवास करते हैं, उसे हो “हेया (Heya)” कहा जाता है. इस जगह पर रहते हुए नए छात्र कुश्ती के गुर सीखते हैं और ट्रेनिंग भी करते हैं.

प्रत्येक हेया का एक गुरु होता है जो अपनी पत्नी के साथ उसकी देखभाल करता है और प्रत्येक हेया के अपने नियम और कानून होते हैं. यह पूरी व्यवस्था ठीक वैसी ही है जैसी प्राचीन भारत में “गुरुकुल” नामक व्यवस्था थी.

जब 15-16 साल की उम्र में छोटे सूमो “हेया” में प्रवेश करते हैं तबसे हेया के गुरु और उसकी पत्नी ही इनके माता-पिता की ही भूमिका निभाते हैं.

इसमें माहिर बनने के लिए आपको अपने खान-पान और रहन-सहन आदि में काफी बदलाव करने पड़ते हैं.

हेया में रहते हुए प्रत्येक पहलवान को योग्यता के अनुसार दिए गए कार्य को पूरा करना होता है. प्रशिक्षित पहलवान मैच देखने या कुछ गुर सिखाने आते हैं, लेकिन छोटे पहलवान सफाई करने, सब्जी लाने, काटने, बनाने और परोसने का भी काम करते हैं.

चंको पकवान तैयार होने के बाद सबसे पहले सीनियर रेसलर खाते हैं और जो आखिर में बच जाता है वह जूनियर रेसलर को मिल-बांटकर खाना होता है. इसलिए कहा जाता है कि “चंको” केवल सूमो पहलवानों का खाना ही नहीं बल्कि सूमो संस्कृति का हिस्सा भी है.

सूमो संस्कृति पर शोध करने वाले लेखक लिखते हैं कि सूमो पहलवान जितना समय रिंग में बिताता है उससे सौ गुना अधिक समय रसोई में बिताता है.

कुश्ती में सफल नहीं होने वाले या सूमो करियर में अच्छा समय बिताने के बाद सेवानिवृत्त होने वाले पहलवान सूमो रेस्तरां (Sumo restaurant) में काम करके जीवन यापन करते हैं. सूमो रेस्तरां में चंको बनाने वाले इन रसोइयों को इटामे (Itamae) कहा जाता है.

Facts about sumo competition and sumo wrestlers

#1. आपको बता दें कि सूमो फाइटर (Sumo fighter) बनने के लिए खिलाड़ियों को महज छह साल की उम्र से ही इस खेल के प्रति समर्पण करना पड़ता है.

#2. सूमो प्रशिक्षण केंद्र में प्रवेश ज्यादातर उन उम्मीदवारों को दिया जाता है जो 15 वर्ष के होते हैं. 23 साल से अधिक उम्र के पहलवान की उम्मीदवारी पर विचार भी नहीं किया जाता है.

#3. प्रशिक्षण केंद्र में प्रवेश के बाद वे जापानी बोलते हैं, जापानी खाना खाते हैं, जापानी कपड़े पहनते हैं, यानी उनकी दुनिया पूरी तरह से जापानी हो जाती है.

#4. सूमो पहलवान हमेशा बहुत भारी-भरकम होते हैं लेकिन लम्बे और बड़े नहीं होते है. जापानियों की ऊंचाई बहुत अधिक नहीं होती है.

#5. सामान्य कद के छोटे जापानी पहलवान प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए वह सब कुछ खाते हैं जिससे वे वजन बढ़ा सकें.

#6. सूमो पहलवानों के लिए उनका वजन ही सब कुछ होता है. इसके लिए वे दिन भर में ढेर सारा खाना खाते हैं.

#7. कई जापानी food experts के मुताबिक, सूमो पहलवान किसी आम आदमी से 8 से 10 गुना ज्यादा कैलोरी वाला खाना खाते हैं.

#8. ऐसा कहा जाता है कि कई पेशेवर सूमो पहलवान एक दिन में 10,000 से अधिक कैलोरी का सेवन करते हैं ताकि वे रिंग में अपने प्रतिद्वंद्वियों से पीछे न रह जाएं.

#9. सबसे खास और दिलचस्प बात यह है कि ये सभी सूमो पहलवान अपना खाना खुद बनाते हैं.

#10. जूनियर पहलवानों को सर्दियों में भी पतले सूती कपड़े और लकड़ी के सैंडल पहनने होते हैं.

Sumo competition and sumo wrestlers Ke Bare Mein Jankari

#11. सूमो कुश्ती (Sumo wrestling) में, अधिक वजन वाले प्रतिद्वंद्वी को हमेशा फायदा होता है क्योंकि सूमो कुश्ती के नियमों के अनुसार, वजन के आधार पर कोई अलग श्रेणी (Category) नहीं होती है और अधिक मोटे प्रतिभागियों के लिए भी दोह्यो (Sumo wrestling ring) में कोई बदलाव नहीं किया जाता है. कभी-कभी एक पहलवान का वजन दूसरे से दोगुना होता है. इसलिए हर सूमो पहलवान चाहता है कि वह जितना हो सके उतना भारी और बड़ा हो.

#12. सूमो पहलवान नाश्ता नहीं करते हैं, बल्कि वे सुबह जल्दी उठते हैं और खाली पेट करीब 5 घंटे तक कुश्ती का अभ्यास करते हैं. नाश्ता न करने के पीछे का कारण यह है कि इससे उन्हें दोपहर के भोजन तक बहुत भूख लगती है और वे अधिक खाना खा पाते हैं.

#13. ऐसा नहीं है कि सूमो पहलवान वजन बढ़ाने के लिए बार-बार खाना खाते हैं. दरअसल, लंच में ये खूब खाना खाते हैं और उसके बाद दोपहर में उठकर थोड़ा खाते हैं और हैवी डिनर करने के बाद जल्दी सो जाते हैं.

14.# जब हर पहलवान रिंग में प्रवेश करता है तो वह एक खास तरह का डांस करता है. यह क्रिया एक नृत्य की तरह लगती है लेकिन वास्तव में उस पहलवान की प्रार्थना की शैली होती है जिसके द्वारा वह अपने आसपास की बुरी ताकतों को दूर करता है.

#15. सूमो पहलवानों के बीच होने वाला मुकाबला कुछ ही सेकंड तक चलता हैं और पटखनी खाते ही मैच का फैसला हो जाता है.

#16. “यकूजा (Yakuza)” जापान का सबसे चर्चित अपराधी गिरोह है. बताया जाता है कि इस गैंग के लोग सूमो कुश्ती देखना काफी पसंद करते हैं. उनका मानना है कि सूमो कुश्ती देखते हुए ही उनके नेता की जेल में मौत हो गई थी. इसलिए ये लोग भी इस गेम को देखने में विश्वास रखते हैं.

#17. जापान में सूमो परंपरा बहुत लोकप्रिय है, लेकिन चीन और कोरिया जैसे पड़ोसी देश इसे बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं. दरअसल, यासुकुनी मठ (Yasukuni Shrine) में द्वितीय विश्व युद्ध के उन जापानी योद्धाओं के स्मारक हैं, जिन्होंने चीन और कोरिया के सैनिकों का सफाया कर दिया था.

#18. सभी सूमो पहलवानों के लिए सार्वजनिक जगहों पर पारंपरिक पोशाक पहनना अनिवार्य होता हैं तथा उन्हें बातचीत में विनम्र और मधुरभाषी होने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है.

#19. जापान में सूमो पहलवानों  का मानसम्मान कुछ ऐसा होता है कि जब वे सड़कों पर निकलते हैं तो अजनबी भी उन्हें देखकर सिर झुकाते हैं.

#20. इस खेल में कठिन प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, जिसके कारण जापानी युवा इस पारंपरिक खेल से दूर होते जा रहे हैं. अब जापानी युवा वहां फुटबॉल और बेसबॉल पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. सूमो देखने वालों की औसत उम्र पचास साल है.

FAQ about Japanese Sumo Wrestlers:

क्या महिलाएं भी सुमो पहलवान होती है? Are women also sumo wrestlers?

सूमो कुश्ती में शुरू से ही महिलाओं का प्रवेश निषिद्ध है. यदि कोई महिला दोह्यो (Dohyo) के पास से भी गुजरती है, तो दोह्यो मतलब कि अखाड़े का शुद्धीकरण किया जाता है.

सूमो पहलवानों का वजन कितना होता है? How much do sumo wrestlers weigh?

औसतन एक सूमो पहलवान का वजन लगभग 325 से 330 पाउंड या 147.4 किलोग्राम से 150 किलोग्राम तक हो सकता है. 

सूमो पहलवानों की खुराक क्या होती है? What is the dosage of sumo wrestlers?

सूमो पहलवान पारंपरिक रूप से चंको (Chunko) नामक संतुलित भोजन का सेवन करते है.

चांको नाबे (Chanko Nabe) या सूमो स्टू (Sumo Stew) एक ठोस और गर्मागरम परोसे जाने वाला व्यंजन है जो सभी प्रकार की सब्जियों और भरपूर प्रोटीन से युक्त दाशी (Dashi – Japanese stocks) और चिकन शोरबा से भरा होता है. 

सूमो पहलवानों के वजन और ताकत का राज यही खाना है. लेकिन वे 1 या 2 कटोरिया नहीं बल्कि एक ही समय में कई किलो चंको शोरबा (Chanko Shorba) चट कर लेते हैं.

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