अकबर-बीरबल की कहानी: जैसा सवाल वैसा जवाब

Akbar Birbal Short Moral Stories In Hindi

जैसा सवाल वैसा जवाब (अकबर बीरबल की कहानी) – Jaisa Sawal Waisa Jawab | Akbar-Birbal Story In Hindi

बादशाह अकबर के अपने दरबार में बीरबल को सबसे ज्यादा प्यार मिलता था जिसके कारण दरबार में हर कोई बीरबल से ईर्ष्या करता था लेकिन बीरबल अपनी चतुराई से सबको चुप करा देते थे।

बादशाह के दरबार में एक दरबारी था, जिसका नाम ख्वाजा साहब था। ख्वाजा साहब अपने आप को बहुत बुद्धिमान समझते थे।

ख्वाजा साहब बीरबल को मूर्ख समझते थे और इतना ही नहीं वह बादशाह अकबर के सामने बीरबल को मूर्ख साबित करना चाहते थे। तो ख्वाजा साहब ने बादशाह से बीरबल से बहुत मुश्किल सवाल पूछने की इजाजत मांगी। क्योंकि ख्वाजा साहब को यकीन था कि बीरबल उनके सवालों का सही जवाब नहीं दे पाएंगे।

बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा “बीरबल, क्या तुम ख्वाजा साहब के सवालों का जवाब देने के लिए तैयार हो?”

तो बीरबल ने कहा “हां मैं तैयार हूं।”

ख्वाजा साहब ने बीरबल से पहला प्रश्न पूछा “दुनिया का केंद्र कहां है?”

बीरबल ने जमीन पर एक छड़ी गाड़ दी और कहा, “यह पूरी दुनिया का केंद्र है।” विश्वास न हो तो फीते से सारी दुनिया नाप लो और मेरे उत्तर को गलत सिद्ध कर दो।

ख्वाजा साहब ने बीरबल से एक और सवाल किया “आसमान में कितने तारे हैं?”

इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए बीरबल ने दरबार में एक भेड़ को मंगवाया और कहा, “इस भेड़ के बाल गिन लीजिए। इस भेड़ के शरीर पर उतने ही बाल होंगे जितने आसमान में तारे होंगे।”

बीरबल के इस उत्तर पर ख्वाजा साहब को गुस्सा आ गया। ख्वाजा साहब ने कहा “कैसे?”

बीरबल ने उत्तर दिया “आप इस भेड़ के शरीर पर बालों की गिनती करें और इसकी तुलना आकाश में सितारों की संख्या से करें।”

बीरबल ख्वाजा साहब के चेहरे की तरफ देखकर मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे।

ख्वाजा साहब ने बीरबल से तीसरा सवाल पूछा “दुनिया की आबादी कितनी है?”

बीरबल ने उत्तर दिया, “पूरी दुनिया की आबादी हर पल बढ़ती और घटती रहती है क्योंकि पूरी दुनिया में हर पल लोग जन्मते और मरते हैं।” यदि सारे विश्व के लोग एक स्थान पर एकत्रित हों, तभी उन सभी व्यक्तियों की गिनती की जा सकेगी और ठीक-ठीक संख्या बतायी जा सकेगी।

इस बात पर बीरबल की चतुराई देखकर दरबार के सभी लोग तालियां बजाने लगे।

बीरबल का जवाब सुनकर ख्वाजा साहब को बहुत गुस्सा आया। ख्वाजा साहब ने कहा, ”इस तरह के गोलमोल जवाब से काम नहीं चलेगा।’

बीरबल ने कहा, “जैसा आपका सवाल है, वैसा ही मेरा जवाब है। यदि आप मेरे जवाब से संतुष्ट नहीं हैं तो मुझे गलत सिद्ध कीजिए।”

ख्वाजा साहब बिना कुछ कहे दरबार से चले गए।

इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती हैं?

इस कहानी की सीख यह है कि हमें अपने आप को बहुत चतुर समझकर किसी को नीची दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। दूसरों को भी सम्मान देना जरूरी है।’

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