जब शेर जी उठा – पंचतंत्र की कहानी (The Lion that Sprang to Life Story In Hindi)

जब शेर जी उठा – पंचतंत्र की कहानी (The Lion that Sprang to Life Story In Hindi)

दोस्तों, पंचतंत्र की कहानियां (Tales of Panchatantra in Hindi) श्रृंखला में आज हम – जब शेर जी उठा की कहानी (The Lion that Sprang to Life Story In Hindi) पेश कर रहे हैं। Panchatantra Story Jab Sher Ji Utha में बताया गया है की मुर्ख विद्वान एक शेर को जिन्दा कर देते है। उसके बाद क्या होता है? यह जानने के लिए पढ़ें – Panchtantra Story: The Lion That Sprang To Life Story In Hindi

The Lion that Sprang to Life Story In Hindi – Tales of Panchatantra

जब शेर जी उठा – पंचतंत्र की कहानी (The Lion that Sprang to Life Story In Hindi)
Panchatantra Story Jab Sher Ji Utha

प्राचीन समय की बात है, द्रोण नगरी में चार घनिष्ठ बाल मित्र रहते थे। उन चार ब्राह्मणों में से तीन नाना प्रकार के विद्याओं में निपुण थे, जबकि चौथा कोई विद्या न होने पर भी अत्यंत बुद्धिमान था। चौथा मित्र हमेशा अपनी बुद्धि से हर समस्या का समाधान खोजता था, जबकि दूसरे मित्र विद्वान होते हुए भी बुद्धिमानी से काम नहीं लेते थे।

एक दिन उन सबने सोचा कि हमारे वैज्ञानिक होने का क्या फायदा जब हम इससे कुछ कर ही नहीं सकते। हम गांव में रहकर अपनी विद्या को बर्बाद कर रहे हैं, इससे अच्छा तो यह है कि हम विदेश जाकर अपनी शिक्षा से धन कमाएं। यह सोचकर चारों यात्रा पर निकल पड़े।

यात्रा के समय पहले मित्र ने कहा, “धन कमाने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है, बुद्धि की नहीं। हम अपने ज्ञान का उपयोग करके धनिको को खुश करेंगे, ताकि हम उनसे धन अर्जित कर सकें। इसलिए हमें उस धन में से इस अशिक्षित व्यक्ति को कोई हिस्सा नहीं देना चाहिए। वह चाहे तो यहां वापस लौट सकता है।”

दूसरे मित्र ने पहले मित्र की हां में हां मिला कर उसकी बात का समर्थन किया। लेकिन तीसरे मित्र ने कहा, “हम चारों बचपन से साथ-साथ रहते आ रहे हैं। हमने अपने दुख और खुशियां एक साथ बिताई हैं। हमें जो भी पैसा मिलेगा, उसमें इसका भी हिस्सा होगा। छोटे दिल वाले अपने पराए का हिसाब करते हैं। उदार चरित्र वाले लोग सभी को अपना परिवार मानते हैं। हमें भी उदारता दिखानी चाहिए।” फिर सबने उसकी बात मानी और आगे बढ़ गए।

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जब वे यात्रा करते हुए एक घने जंगल से गुजर रहे थे, तो उन्होंने मार्ग के बीच में एक मरे हुए शेर का कंकाल देखा। उस मरे हुए शेर के सारे अंग छिन्न-भिन्न हो गए थे। तब उन वैज्ञानिकों ने अपने ज्ञान को परखने की सोची।

क्यों न हम अपने ज्ञान का प्रयोग इस मरे हुए शेर के शरीर में प्राण डालकर उसे पुनः जीवित करने में करें। इस काम से हमें खूब यश और कीर्ति मिलेगी। 

फिर पहले वैज्ञानिक ने कंकाल को इकट्ठा कर एक ढांचे का रूप दिया, दूसरे ने उसके मांस और रुधिर को पूरा किया, और तीसरे ने उस मृत शरीर में जीवन डालने की प्रक्रिया शुरू कर दी।

तभी चौथा मित्र जो वैज्ञानिक नहीं था उसने कहा, “मित्रों, तुम अपने ज्ञान का उपयोग करके इसे जीवित कर लोगे, लेकिन जैसे ही यह जीवित होगा, यह हमला करेगा और हम सभी को मार डालेगा। इसलिए कृपया इसे जीवित करने की चेष्टा न करें।”

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जब किसी ने भी चौथे मित्र की बात नहीं मानी तो वह फिर बोला, “यदि तुम इसे जीवित करना ही चाहते हो तो पहले मैं पेड़ पर चढ़ जाता हूं, फिर तुम इसे जीवित कर देना।” यह कहकर चौथा मित्र तेजी से पेड़ पर चढ़ गया और अन्य तीन मित्रों ने शेर को फिर से जीवित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी।

देखते ही देखते शेर जिंदा हो जाता है, और जैसे ही शेर जीवित होता है, वह तीनों ब्राह्मणों को मार डालता है, जबकि पेड़ पर चढ़ने वाला चौथा मित्र उसकी चतुराई से बच जाता है।

कहानी का भाव:

शास्त्रों में प्रवीण होना ही काफी नहीं है। लोक व्यवहार को समझने और लोकाचार के अनुसार कार्य करने की बुद्धि भी होनी चाहिए। अन्यथा नीतिहीन विद्वान भी मूर्ख पंडितों की भांति उपहास के पात्र बन जाते हैं।

Panchtantra Story: The Lion That Sprang To Life

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