इस्कॉन मंदिर का इतिहास – ISKCON Temple History In Hindi

ISKCON temple kya hai full form history and meaning in Hindi

ISKCON Temple History In Hindi  – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको ISKCON के बारे में हिंदी में जानकारी देने जा रहे हैं, जिसमें आज आप जानेंगे कि ISKCON का मतलब क्या है? इस्कॉन का इतिहास, इस्कॉन संस्थापकों और इस्कॉन मंदिरों के बारे में विस्तृत जानकारी। 

हिंदू धर्म में, भगवान कृष्ण (Lord Krishna) को मुख्य देवता के रूप में पूजा जाता है। भगवान कृष्ण ने महाभारत (Mahabharata) के समय “भगवद गीता (Bhagavad Gita)” में अर्जुन के सारथी के रूप में भूमिका निभाई थी और धर्म की रक्षा करने और धर्म का पालन करने के महत्व को बढ़ावा दिया था।

इस्कॉन मंदिर (ISKCON Temple) भगवान कृष्ण की पूजा और भगवद गीता के सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस्कॉन मंदिर भगवान कृष्ण की विशेष भक्ति और पूजा के स्थान हैं, जो उनके भक्तों द्वारा पूजनीय हैं। इस संगठन का उद्देश्य भगवान के प्रति भक्ति और धर्म को बढ़ावा देना और लोगों के बीच भगवत गीता के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार करना है।

तो चलिए, सबसे पहले जानते है की ISKCON का मतलब क्या होता है?

ISKCON का मतलब और अर्थ क्या होता है? ISKCON full form and meaning in Hindi

ISKCON का full form “International Society for Krishna Consciousness” है जिसका हिंदी अनुवाद “कृष्ण चेतना के लिए अंतर्राष्ट्रीय समाज” होता है। ISKCON एक विश्व स्तरीय धार्मिक संगठन (Religious Organization) है जो भगवान कृष्ण (Lord Krishna) की भक्ति और सेवा के माध्यम से मानव जीवन को बेहतर बनाने का संदेश प्रसारित करता है।

ISKCON का हिंदी में अर्थ है “अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ”। ISKCON को “हरे कृष्ण आंदोलन (Hare Krishna Movement)” के नाम से भी जाना जाता है।

इस संगठन का मुख्य उद्देश्य मानव जीवन को धार्मिकता, स्पष्टता और ईश्वर के प्रति प्रेम की ओर निर्देशित करना है। ISKCON के अनुयायी भगवान कृष्ण की भक्ति, ध्यान और सेवा के माध्यम से अपनी आत्मा से फिर से जुड़ने का प्रयास करते हैं।

ISKCON Hindi meaning = अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ

इस्कॉन का इतिहास (ISKCON history in Hindi)

गुरु भक्ति सिद्धांत सरस्वती गोस्वामी (Guru Bhakti Siddhanta Saraswati Goswami) ने प्रभुपाद महाराज को विदेशों में कृष्ण भक्ति का प्रचार करने का विचार दिया था। गुरु की आज्ञा का पालन करने के लिए स्वामी प्रभुपाद ने 59 वर्ष की आयु में संन्यास ले लिया और कृष्ण भक्ति का प्रचार करने का प्रयास करने लगे।

अथक प्रयासों के बाद उन्होंने सत्तर वर्ष की आयु में अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में “कृष्णभावनामृत संघ (Krishnabhavanamrit Sangha)” की स्थापना की। न्यूयॉर्क से शुरू हुई कृष्ण भक्ति की निर्मल धारा जल्द ही दुनिया के कोने-कोने में बहने लगी। कई देश “हरे राम-हरे कृष्णा” के पवित्र भजनों से गूंजने लगे।

स्वामी प्रभुपाद का उद्देश्य भगवद गीता (Bhagavad Gita) और भगवद पुराण (Bhagavad Purana) की शिक्षाओं और संदेश को दुनिया भर में फैलाना था। 

ISKCON के गठन से पहले, इस संगठन की शुरुआत एक छोटी सी किराने की दुकान से हुई थी, लेकिन फिर यह बढ़ता गया और दुनिया भर में मंदिरों, आश्रमों और धार्मिक संगठन के रूप में जाना जाने लगा। ISKCON अनुयायी आज भी स्वामी प्रभुपाद की शिक्षाओं का पालन करते हैं और भगवान कृष्ण की भक्ति में लगे रहते हैं।

अपने सरल नियमों और सभी जातियों और धर्मों के प्रति समानता के कारण इस मंदिर के अनुयायियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह मंदिर हर उस व्यक्ति का स्वागत करता है जो कृष्ण में लीन होना चाहता है। स्वामी प्रभुपादजी के अथक प्रयासों से दस वर्ष की अल्प अवधि में ही पूरे विश्व में 108 मंदिरों का निर्माण हो गया था। वर्तमान समय में देश-दुनिया में इस्कॉन समूह के 400 से अधिक मंदिर (ISKCON Temple) स्थापित हो चुके हैं।

आचार्य भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद जीवन परिचय (Acharya Bhaktivedanta Swami Prabhupada Biography) 

आचार्य भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद का जन्म 1 सितंबर 1896 को कोलकाता (कलकत्ता), बंगाल प्रांत, ब्रिटिश भारत में एक हिंदू परिवार में हुआ था। उनका जन्म नाम ‘अभय चरण डे (Abhay Charan De)’ था। स्वामी प्रभुपाद ने धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन के लिए एक मॉडल तैयार करते हुए अपनी शिक्षा को वैदिक और वैदिक साहित्य की ओर मोड़ दिया।

ISKCON की स्थापना आचार्य भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (Acharya Bhaktivedanta Swami Prabhupada) ने की थी। वह एक प्रमुख भागवत पुराण और भगवद गीता विद्वान थे और उन्होंने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा वेदांत, वेदों और भागवत पुराण के अध्ययन में बिताया। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में अमेरिका जाकर इसके लिए कई प्रयास किये और परिणामस्वरूप 1966 में न्यूयॉर्क में ISKCON की स्थापना की।

स्वामी प्रभुपाद ने भगवद गीता का अंग्रेजी में अनुवाद और पुनर्अनुवाद किया, जिससे दुनिया भर में भगवद गीता के सिद्धांतों का प्रसार हुआ।

स्वामी प्रभुपाद ने भगवद गीता के माध्यम से धार्मिक शिक्षाओं और आध्यात्मिक प्रथाओं का प्रचार किया और अपने अनुयायियों को धार्मिक जीवन के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।

स्वामी प्रभुपाद के अंतिम दिन वृन्दावन में बीते, जहाँ उन्होंने अपने अंतिम दिन भगवान की सेवा और ध्यान में बिताए। 14 नवंबर 1977 को उनका निधन हो गया।

स्वामी प्रभुपाद के योगदान और धार्मिक शिक्षाओं ने अनगिनत लोगों के जीवन को प्रभावित किया है और उनके कार्य को आध्यात्मिक जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत बना दिया है।

इस्कॉन की उपासना पद्धति / पूजा विधि (ISKCON worship method )

ISKCON की पूजा प्रणाली विशिष्ट धार्मिक निहितार्थों और प्रथाओं के साथ प्राचीन भारतीय धर्म के सिद्धांतों का पालन करती है। पूजा की यह विधि भगवद गीता पर आधारित है, और भगवान कृष्ण की भक्ति और सेवा के माध्यम से भगवान के प्रति भक्ति और प्रेम प्रकट करने के लिए बनाई गई है।

इस पद्धति में, इस्कॉन अनुयायी (ISKCON follower) भगवद गीता की शिक्षाओं के आधार पर आध्यात्मिकता और दिव्यता के साथ अपना जीवन जीते हैं। ये कुछ मुख्य तत्व हैं जो इस पद्धति का हिस्सा हैं:

  • भगवद गीता का अध्ययन (Study of Bhagavad Gita): इस्कॉन के अनुयायी भगवद गीता के अध्ययन को महत्वपूर्ण मानते हैं और इसके सिद्धांतों का पालन करते हैं।
  • भगवान कृष्ण की पूजा (Worship of Lord Krishna): उनके आराध्य (मूर्ति) की पूजा-अर्चना एक महत्वपूर्ण अंग है।
  • हरिनाम संकीर्तन (Harinam Sankirtan): इस विधि में संगीत और स्तुति के माध्यम से भगवान के नाम का जाप किया जाता है, जिसे हरिनाम संकीर्तन कहा जाता है।
  • सेवा (भक्ति – Devotion): इस्कॉन अनुयायी भगवान के सेवक हैं और उनका अनुसरण करने के लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं।
  • वेदांत शिक्षाएँ (Vedanta Teachings): इस्कॉन अनुयायी धार्मिक शिक्षाओं और वेदांत के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

इस पद्धति का मुख्य उद्देश्य ईश्वर के प्रति पूर्ण आस्था और प्रेम को बढ़ावा देना और व्यक्ति को आध्यात्मिक प्रगति की ओर मार्गदर्शन करना है।

इस्कॉन के सेवा कार्य (ISKCON service activities)

ISKCON के सेवा कार्यों का एक महत्वपूर्ण और धार्मिक आयाम है जो इस संगठन के उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करता है। ISKCON के सेवा कार्य निम्नलिखित हैं:

  • मंदिर सेवा: इस्कॉन मंदिरों की स्वच्छता, पूजा अनुष्ठान और मंदिर क्षेत्र की सुविधा के बारे में जानकारी और सेवा प्रदान करना मंदिर प्रबंधन का हिस्सा है।
  • भगवद गीता और भगवद पुराण का पाठ: इस्कॉन के सदस्य वेदों और पुराणों का अध्ययन करते हैं और उनके माध्यम से धार्मिक ज्ञान का प्रसार करते हैं।
  • हरिनाम संकीर्तन: संगीत और गुणगान के माध्यम से भगवान का नाम जपना, जिसे हरिनाम संकीर्तन कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण भक्तिमय सेवा कार्य है।
  • शिक्षा और प्रचार-प्रसार: इस्कॉन के सदस्य धार्मिक शिक्षा प्रदान करने और लोगों तक धार्मिक ज्ञान फैलाने का काम करते हैं।
  • सामाजिक सेवा: इस्कॉन के सदस्य सामाजिक सेवा कार्यों में भी शामिल होते हैं, जैसे भोजन सेवा, अनाथ आश्रय, शिक्षा और आर्थिक सहायता कार्य।
  • भगवान की सेवा: इस्कॉन के सदस्य भगवान की मूर्तियों और प्रतिमाओं की पूजा और आराधना करके भगवान की सेवा करते हैं।

ISKCON के सेवा कार्य इस संगठन के उद्देश्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भगवद गीता और इस्कॉन का संबंध (Bhagavad Gita and ISKCON)

भगवद गीता और ISKCON के बीच संबंध गहरा और महत्वपूर्ण है, क्योंकि ISKCON की स्थापना भगवद गीता के विचारों, सिद्धांतों और शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से ही की गई थी।

इस्कॉन के संस्थापक, आचार्य भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद, भगवद गीता की शिक्षाओं को फैलाने और लोगों को इसके महत्व से अवगत कराने के उद्देश्य से अमेरिका में इस्कॉन की स्थापना करने के लिए वहां गए थे। इस्कॉन के सदस्य भगवद गीता के सिद्धांतों का पालन करते हैं और उनके माध्यम से आध्यात्मिकता और भक्ति के प्रति अपने जीवन में मार्गदर्शन पाते हैं।

“भगवद गीता” हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है और यह भगवान कृष्ण की शिक्षाओं के माध्यम से जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करता है। इस्कॉन इस गीता की शिक्षाओं को बढ़ावा देता है और इसके माध्यम से लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन करता है।

इस्कॉन की मुख्य धार्मिक शिक्षा भगवान कृष्ण की भक्ति पर केंद्रित है। इस्कॉन अनुयायी कृष्ण की पूजा करते हैं और खुद को उनके प्रति प्रेम और सेवा में समर्पित करते हैं, जैसा कि भगवद गीता में उपदेश दिया गया है।

इस्कॉन के सदस्य भगवान के नाम का जाप करने के लिए हरिनाम संकीर्तन को बढ़ावा देते हैं, जो भगवद गीता में भगवान के नाम के महत्व में एक महत्वपूर्ण चरित्र है।

इस्कॉन के सदस्य धार्मिक शिक्षा का एक प्रमुख स्रोत हैं और भगवद गीता के सिद्धांतों का प्रसार करने के लिए काम करते हैं। इसमें इस्कॉन द्वारा प्रचारित भगवद गीता के महत्वपूर्ण विचार शामिल हैं, जैसे आत्मा, योग, कर्म और भगवान के साथ संबंध। 

यह संगठन भगवद गीता के आदर्शों के प्रचार के माध्यम से लोगों को धार्मिक ज्ञान और आध्यात्मिक अभ्यास की ओर मार्गदर्शन करता है, जो भगवद गीता के महत्वपूर्ण उद्देश्यों में से एक हैं।

इस प्रकार, इस्कॉन भगवद गीता के मूल सिद्धांतों को बढ़ावा देता है और लोगों को इसके माध्यम से धार्मिक ज्ञान, भक्ति और सेवा करने के लिए प्रेरित करता है।

भारत में इस्कॉन मंदिर सूची (ISKCON temple list in India)

इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) के भारत में कई मंदिर और केंद्र हैं। यहां भारत के कुछ प्रमुख इस्कॉन मंदिरों की सूची दी गई है:

  • ISKCON Temple, Bangalore: भारत के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध इस्कॉन मंदिरों में से एक, इसे “श्री राधा कृष्ण चंद्र मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है।
  • ISKCON Temple, Mumbai (Juhu): मुंबई के जुहू में स्थित यह मंदिर दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित इस्कॉन मंदिरों में से एक है।
  • ISKCON Temple, Delhi: नई दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश में स्थित यह मंदिर राजधानी शहर में एक लोकप्रिय आध्यात्मिक स्थल है।
  • ISKCON Temple, Vrindavan: पवित्र शहर वृन्दावन में स्थित यह मंदिर भगवान कृष्ण और राधा को समर्पित है।
  • ISKCON Temple, Mayapur: पश्चिम बंगाल में गंगा नदी के तट पर स्थित इस मंदिर को इस्कॉन का आध्यात्मिक मुख्यालय माना जाता है।
  • ISKCON Temple, Ahmedabad: यह मंदिर अहमदाबाद का एक प्रमुख स्थल है और अपनी खूबसूरत वास्तुकला के लिए जाना जाता है।
  • ISKCON Temple, Pune: इसे “श्री श्री राधा कुंजबिहारी मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है, यह एक शांतिपूर्ण और मनोरम पूजा स्थल है।
  • ISKCON Temple, Kolkata: कोलकाता का यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और जन्माष्टमी के दौरान अपने भव्य उत्सवों के लिए जाना जाता है।
  • ISKCON Temple, Chennai: चेन्नई के इंजंबक्कम क्षेत्र में स्थित यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और इसमें राधा कृष्ण की एक सुंदर मूर्ति है।
  • ISKCON Temple, Hyderabad: हैदराबाद के बंजारा हिल्स इलाके में स्थित यह मंदिर अपनी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है।
  • ISKCON Temple, Chandigarh: चंडीगढ़ का यह मंदिर भक्तों के आने और पूजा करने के लिए एक शांत स्थान है।
  • ISKCON Temple, Noida: नोएडा में स्थित, यह मंदिर शहर की हलचल से एक शांतिपूर्ण मुक्ति प्रदान करता है।
  • ISKCON Temple, Coimbatore: कोयंबटूर का यह मंदिर राधा कृष्ण की सुंदर मूर्ति और विभिन्न आध्यात्मिक कार्यक्रमों के लिए जाना जाता है।
  • ISKCON Temple, Jaipur: गुलाबी शहर जयपुर में स्थित यह मंदिर भगवान कृष्ण और राधा को समर्पित है।
  • ISKCON Temple, Dwarka: पवित्र शहर द्वारका में स्थित यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है।

विश्व में इस्कॉन मंदिरों की सूची (ISKCON temple list in the world)

इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (ISKCON) के दुनिया भर में मंदिर और केंद्र हैं। यहां विभिन्न देशों के कुछ प्रमुख इस्कॉन मंदिरों और केंद्रों की सूची दी गई है:

  • ISKCON Temple, New York, USA: ब्रुकलिन, न्यूयॉर्क में स्थित इस्कॉन मंदिर, भारत के बाहर सबसे पुराने और सबसे महत्वपूर्ण इस्कॉन केंद्रों में से एक है।
  • ISKCON Temple, Los Angeles, USA: लॉस एंजिल्स मंदिर अपनी जीवंत आध्यात्मिक गतिविधियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए जाना जाता है।
  • ISKCON Temple, London, UK: लंदन मंदिर सुंदर राधा-कृष्ण देवताओं के साथ यूरोप का एक प्रमुख इस्कॉन केंद्र है।
  • ISKCON Temple, Sydney, Australia: सिडनी में स्थित यह मंदिर ऑस्ट्रेलिया में कृष्ण चेतना गतिविधियों का केंद्र है।
  • ISKCON Temple, Moscow, Russia: मॉस्को मंदिर रूस के सबसे बड़े इस्कॉन केंद्रों में से एक है और देश में कृष्ण चेतना के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • ISKCON Temple, Bhaktivedanta Manor, UK: इंग्लैंड के हर्टफोर्डशायर में स्थित यह मंदिर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण इस्कॉन केंद्र है।
  • ISKCON Temple, Durban, South Africa: डरबन मंदिर दक्षिण अफ्रीका में कृष्ण चेतना को बढ़ावा देने वाले सांस्कृतिक और शैक्षिक कार्यक्रमों के लिए जाना जाता है।
  • ISKCON Temple, Toronto, Canada: टोरंटो मंदिर कनाडा में आध्यात्मिक गतिविधियों का एक जीवंत केंद्र है।
  • ISKCON Temple, Hong Kong: हांगकांग मंदिर हलचल भरे शहर में एक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में कार्य करता है।
  • ISKCON Temple, Buenos Aires, Argentina: अर्जेंटीना का यह मंदिर दक्षिण अमेरिका में कृष्ण भक्तों के लिए एक उल्लेखनीय केंद्र है।
  • ISKCON Temple, Nairobi, Kenya: नैरोबी मंदिर अफ्रीका में एक प्रमुख इस्कॉन केंद्र है।
  • ISKCON Temple, Tokyo, Japan: टोक्यो मंदिर जापान में कृष्ण चेतना के प्रसार का केंद्र है।

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