मच्छरों के बारे में रोचक तथ्य जो आप शायद नहीं जानते होंगे (Interesting Facts About Mosquitoes That You Probably Didn’t Know)

लगभग सभी लोगों ने कभी ना कभी मच्छर द्वारा काटे जाने का अप्रिय अनुभव लिया है. मच्छर के काटने से त्वचा में तेज जलन और खुजली होती है जो काफी समय तक बनी रहती है, साथ ही मच्छर द्वारा काटे हुए स्थान की त्वचा लाल होकर सूजन भी आती है. कुछ प्रजातियों के मच्छर तो जानलेवा होते है उनके काटने से कई गंभीर बीमारियां जैसे की मलेरिया, डेंगू और जीका का संचरण हो सकता है. लेकिन, प्रकृति में सभी जिव-जंतु, जानवरों के अस्तित्व का कोई उद्देश्य है, और प्रकृति की इस प्रणाली में मच्छर कोई अपवाद नहीं हैं. काफी सारे जिव-जंतु, कीडे, मकडिया और छिपकलिया मच्छर खाकर जीते है. इसलिए, अगर हम मच्छरों का दुनिया से सफाया कर देते है, तो हम कुछ ऐसे जीवों को भी खो सकते थे जिनके लिए मच्छर उनका खाद्य है.
1. केवल मादा मच्छर ही खून चूसती है – स्वाभाविक रूप से नर और मादा दोनो ही शाकाहारी होते है और भोजन के लिए फल और पौधे पर निर्भर होते है. लेकिन मादा मच्छर को अपने अंडे को विकसित करने के लिए खून में प्रोटीन की आवश्यकता होती है. जब मादा पर्याप्त मात्रा में खून चूस लेती है, तो वह अंडे देने से पहले कुछ दिनों तक आराम करती है.
2. दुनियाभर में मच्छरों की 3,500 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं – उनमें से भारत में लगभग मच्छरों की 404 से अधिक प्रजातियां और उप-प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें एनोफिलिस (Anopheles), क्यूलेक्स (Culex), एडीज (Aedes) और मैनसनाइड्स (Mansonides) सामान्य तौर पर पाए जाते है. एनोफिलिस ( Anopheles) मलेरिया फैलाने वाली प्रजाति है.
3. मच्छरों के दांत नहीं होते – शरीर पर काटने के लिए मादा अपने लंबे, नुकीले सूंड का उपयोग करती है. मादा की दांतेदार सूंड त्वचा को छेद कर रक्त कोशिका का पता लगाती है, फिर सूंड की दो में से एक नलिका के माध्यम से खून चूस लेती है.
4. एक मच्छर अपने वजन से तीन गुना तक खून पी सकता है – हालांकि आपको चिंता करने की जरूरत नही है, आपके शरीर से पूरा खून चूस कर निकालने के लिए मच्छर को 12 लाख बार डंक लगाने की जरूरत पडेगी.
5. मादा मच्छर एक बार में 300 अंडे दे सकती हैं – आमतौर पर गंदे पानी की सतह पर, या नियमित बहते हुए पानी वाले क्षेत्रों में अंडों को गुच्छों में जमा किया जाता है – जिन्हें बेड़ा कहा जाता है. मादाएं मरने से पहले तीन बार अंडे देती है.
6. मच्छर शीत निद्रा लेते हैं – मच्छर ठंडे खून वाले जिव होते हैं और उन्हें जिंदा रहने के लिए 80 डिग्री से अधिक तापमान की जरूरत होती है. सर्दियों में 50 डिग्री से कम तापमान होने पर कुछ प्रजातियों की वयस्क मादाएं किसी छेद या खाली जगह पर जाकर गर्म मौसम आने तक शीत निद्रा में चली जाती है, जबकि अन्य मादाएं ठंडे जमे पानी में अपने अंडे देती हैं और मर जाती हैं. जब तक तापमान बढ़ कर अंडे विकसित होने लायक नहीं होता तब तक अंडे सुरक्षित रहते है.
7. मच्छर की औसत उम्र दो महीने से कम होती है – मादा के मुकाबले नर अल्पजीवी होते है, नर आमतौर पर 10 दिन या उससे कम जीवित रह सकते और मादा, लगभग छह से आठ सप्ताह तक जीवित रह सकती हैं. कुछ प्रजातियों की मादाएं जो शीत निद्रा लेते हैं, वे छह महीने तक जीवित रह सकती हैं.
8. मच्छर बहुत दूर तक या बहुत तेजी से नहीं उड़ सकते – अधिकांश मच्छर लगभग एक से तीन मील की दूरी तक ही उड सकते हैं, और अक्सर उनके पैदाइश वाले जगह के दायरे में ही रहते हैं. हालांकि, कुछ दलदली प्रजातियों के मच्छर 40 मील तक की यात्रा कर सकते हैं. मच्छर लगभग 1.5 मील प्रति घंटा की रफ्तार से उड सकते है.
9. मच्छर आमतौर पर 25 फीट की उचाई तक ही उड सकते हैं – कुछ प्रजातियों के मच्छर असाधारण ऊंचाइयों पर भी उडने की क्षमता रखते है, जिनमें हिमालय में 8,000 फीट ऊपर पाए जाने वाले मच्छर भी शामिल है.
10. मच्छर इंसान की सांस को सूंघ सकते हैं – जब हम सांस छोडते तो मच्छर के एंटेना पर मौजूद रिसेप्टर्स कार्बन डाइऑक्साइड का पता लगाते हैं. मच्छर इन्सान के श्वास द्वारा उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड की गंध को 10 से 50 मीटर की दूरी से खोज लेते है.
11. पसीना मच्छरों को हमारी तरफ आकर्षित करता है – हमारी त्वचा में से पसीने के साथ लगातार 340 से अधिक प्रकार की गंध उत्पन्न होती रहती है, जिस में से कुछ गंध मच्छरों को हमारी तरफ आकर्षित करती है.
12. शरीर की गर्मी से लक्ष्य को ढूंढ लेते है – मच्छर आपके शरीर की गर्मी का पता लगाने के लिए अपने मुंह के आसपास बने ज्ञानेंद्रीयों (हीट सेंसर) का उपयोग करते हैं. फिर आप के शरीर की सबसे अच्छी रक्त वाहिनी का पता लगाकर खून चूसते है.
13. जुरासिक काल से अस्तित्व में हैं मच्छर – यानी मच्छरों का अस्तित्व 20 करोड वर्षों से भी पुराना है. वैज्ञानिकों ने मोंटाना देश के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में एक मच्छर के जीवाश्म में रक्त की खोज की है, जिस से पता चलता है कि जुरासिक काल में मच्छरों का विकास हुआ था.
14. मच्छरों को दुनिया में सबसे घातक जिव माना जाता है – एनोफेलीज प्रजाति के मच्छर, विशेष रूप से खतरनाक है, क्योंकि यह मलेरिया को प्रसारित करते है, जिस से दुनियाभर में हर साल दस लाख से अधिक लोगों की मृत्यु होती है, मुख्य रूप से अफ्रीका में मलेरिया सबसे जानलेवा बीमारी है. माना जाता है कि 323 ईसा पूर्व में सिकंदर महान की मृत्यु भी मलेरिया से हो गई थी.
15. कुछ प्रजातियों के मच्छर इंसानों को नहीं काटते – मच्छरों की सभी प्रजातियां इंसानों का खून नहीं चूसते हैं. कुछ मच्छर अन्य जानवरों पर निर्भर होते हैं और हमें बिल्कुल भी परेशान नहीं करते हैं. उदाहरण के लिए, कुलीसेटा मेलानुरा (Culiseta Melanura) प्रजाति के मच्छर विशेष रूप से पक्षियों के खून पर निर्भर होते है और शायद ही कभी मनुष्यों को काटते है. एक और मच्छर प्रजाति, यूरेनोटेनिया सैफिरिना (Uranotaenia Sapphirina) जो सरीसृप और उभयचरों का खून चूसने के लिए जाने जाते है.