सिल्वेस्टर स्टेलॉन का जन्म 6 जुलाई, 1946 को अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में हुआ था. सिल्वेस्टर स्टेलॉन “Rocky ” और “Rambo” के नाम से भी काफी मशहूर है, यह नाम उनके फ़िल्मी किरदार के नाम है जो उन्होंने फिल्म Rocky (1976) और First Blood (1982) में निभाए थे.
1970 के दशक में प्रदर्शित फिल्म “रॉकी” ने सिल्वेस्टर स्टेलॉन को रातोंरात आसमान की बुलंदियों पर पहुंचा दिया और फिल्म “रॉकी” के फ्रैंचाइज़ी ने सफलता के झंडे गाड़ दिए. उन्होंने “रॉकी” के रूप में इन फिल्मों में न केवल अभिनय किया, बल्कि अधिकांश फिल्मों का निर्देशन, निर्माण और कथा लेखन भी किया है. “रॉकी” उनकी पहली बड़ी सफल फिल्म थी जिसने उन्हें एक रियल फिल्म स्टार का दर्जा हासिल कराया, “रॉकी” ने इतिहास बनाया और इसके बाद उन्होंने अनगिनत एक्शन फिल्मों में काम किया.
हालांकि उन्होंने अपने सपनों को सफलता में बदल दिया, लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं था. आज हम सिल्वेस्टर स्टेलॉन की अविश्वसनीय प्रेरणादायक कहानी के बारे में जानेंगे.
स्टेलॉन को जन्म से ही मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, स्टेलॉन के जन्म के समय कुछ बाधाएं उत्पन्न हो गई थी जिसके कारण डॉक्टर की गलती से स्टेलॉन के ठोड़ी पर आघात होकर उसमे व्यंग उत्पन्न हो गया. नतीजा यह हुआ की स्टेलॉन के चेहरे का निचला बायां हिस्सा नसों की खींचतान की वजह से लकवाग्रस्त हो गया. ठोड़ी के व्यंग के कारण उन्हें बोलने में परेशानी होती थी और शब्दों के उच्चारण भी ठीक से नहीं कर पाते थे.
उनके माता-पिता के बिच बहुत विवाद हुआ करते थे जिसकी वजह से उनमें तलाक तक हो गया. कम उम्र में ही स्टेलॉन को इस हकीक़त से निपटना पड़ा, वह भावनात्मक रूप से हमेशा ही अपने माता-पिता से वंचित थे. घरेलू विवादों का असर उनके मानसिकता पर होने लगा था जिससे वह पढ़ाई और स्कूल में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए, परिणाम स्वरूप उन्हें स्कूल से तीन बार निष्कासित कर दिया गया था.
माता-पिता के तलाक के बाद स्टेलॉन को देखभाल के लिए अलग-अलग पालन-गृह में भेजा गया. स्टेलॉन अपनी मां के काफी करीब थे, उन्होंने अंततः अपनी मां के साथ रहने में कामयाबी हासिल कर ली और विशेष बच्चों के लिए बने स्कूल में जाने लगे.
स्टेलॉन अब युवा बन गए थे लेकिन कई बार बचपन की यादों के कारण उदास हो जाते थे, वह उन लोगों को प्रेरित करना चाहता थे जो बिलकुल वैसे समस्याओं से गुजर रहे थे जैसे स्टेलॉन को अपने जीवन में सहना पड़ा था. तब उन्होंने अभिनेता बनने का फैसला किया और अभिनेता बनने के लिए “मियामी स्टेट यूनिवर्सिटी” में दाखिल हो गए. लेकिन उनकी इच्छाशक्ति इतनी अधिक उत्कट थी कि उन्होंने स्कूल छोड़ने का फैसला किया और अपनी किस्मत आजमाने के लिए सीधे न्यूयॉर्क शहर चले गए.
कई सिने कलाकारों की तरह, स्टेलॉन ने भी अपने हॉलीवुड कैरियर की शुरुआत में काफी संघर्ष किया है. लेकिन उनका यह संघर्ष काफी से कई अधिक था. स्टेलॉन ने शहर के कई स्टूडियो में कास्टिंग के लिए अथक प्रयास किया. वह इस बात पर दृढ़ थे की अभिनेता बनना ही उनका एकमात्र सपना है जिसे वह पूरा करना चाहते है. स्टेलॉन को कई स्टूडियो और एजेंटों ने यह कहकर मना कर दिया की चेहरे पर व्यंग वाले व्यक्ति के लिए फ़िल्मी दुनिया में एक अभिनेता के रूप में कोई जगह नहीं है. और यहां तक कि जब स्टेलॉन की अपनी पत्नी ने भी उन्हें अभिनय का पागलपन छोड़कर कोई नौकरी करने की सलाह दी, तब भी स्टेलॉन ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपना मन बना लिया था कि संसार में केवल अभिनय ही है जो वह करना चाहते थे.
स्टेलॉन को अपनी पत्नी के साथ एक छोटे से अपार्टमेंट में रहना पड़ा, दोनों में अक्सर झगड़ा भी होता था. हालांकि, परिस्थितियां और परेशानियों को उन्होंने अपने ऊपर कभी भी हावी नहीं होने दिया और अपना सपना पूरा करने के लिए लगातार आगे बढ़ते रहे. स्टेलॉन ने कैरियर के शुरुआत में कई फिल्मों में छोटी भूमिकाएं निभाईं और यहां तक की उन्होंने पोर्न मूवीज में भी भूमिका निभाई है. स्टेलॉन को विश्वास था की फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय रहने से उन्हें कोई बड़ा रोल हासिल हो सकता है.
स्टेलॉन का करियर आगे नहीं बढ़ रहा था और कह़ी सीमटसा गया था यहां तक की छोटी-छोटी भूमिकाएं हासिल करना भी मुश्किल बन गया था. पत्नी के साथ उनके वैवाहिक संबंध भी बिगड़ते जा रहे थे जिससे उन्हें अपने अपार्टमेन्ट में घुटन सी महसूस होती थी, और वह अपना ज्यादातर समय शहर के एक लायब्ररी में बिताते थे जहासे उन्हें रायटर बनने का आत्मविश्वास हासिल हुआ.
स्टेलॉन ने महसूस किया की उनके पास स्टोरी लिखने की खूबी है. वह चाहे लायब्ररी में हो या अपने घर पर हो हमेशा किसी न किसी स्क्रिप्ट पर स्टोरी लिखते रहते थे. उन्हें विशेष रूप से प्रेरणादायक स्टोरी लिखना पसंद था. कुछ समय तक स्क्रिप्ट बेचकर उनकी रोजी-रोटी चलती रही, लेकिन फिर हालत मुश्किल होते गए.
कुछ समय बाद वह पूरी तरह से दिवालिया हो चुके थे और बेघर हो गए थे, उन्हें अपनी पत्नी के गहने तक बेचने पड़े, हालत इतने खराब थे कि उनके पास दैनिक ज़रूरतों को पूरा करने और अपने अजीज कुत्ते को खिलाने के लिए भी पैसे नहीं थे. उन्हें 3 दिनों तक न्यूयॉर्क के बस स्टेशन पर सोना पड़ा था, मजबूरी में उन्हें एक शराब की दुकान पर अपने कुत्ते को 25 डॉलर में एक अजनबी को बेचना पड़ा. स्टेलॉन मानते है की यह उनके जीवन का सबसे अप्रिय क्षण था और वह रोते-रोते वहां से चले गए.
कुछ हफ्तों बाद एक दिन स्टेलॉन ने “मोहम्मद अली” और “चक वेपनर” के बीच का एक बॉक्सिंग मैच देखा. चक वेपनर एक अनाड़ी बॉक्सर माने जाते थे जब की मुहम्मद अली एक महान बॉक्सर थे. सबको लगता था की यह मॅच एकतरफ़ा होने वाला है और मुहम्मद अली जल्द ही चक वेपनर को नॉक आउट कर मॅच जित जायेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ चक वेपनर एक माहिर बॉक्सर की तरह लड़े और बड़ी वीरता से मुहम्मद अली का सामना किया. अली वेपनर को मुक्का मारकर निचे गिराते लेकिन वेपनर फिर से खड़े हो जाते. चार बार तो वेपनर ने अली को नॉक डाउन कर दिया था जिसकी अपेक्षा भी किसी ने नहीं की थी. काफी संघर्ष के बाद पंद्रहवें राउंड में वेपनर को नॉक आउट करने के बाद अली ने मॅच जीत लिया.
अली और वेपनर की इस बॉक्सिंग मैच से स्टेलॉन काफी प्रभावित हुए, और उन्हें “रॉकी” की स्क्रिप्ट लिखने के लिए प्रेरित किया. स्टेलॉन बॉक्सिंग मैच से इतना प्रेरित थे की उन्होंने एक दिन से भी कम समय में लगभग 20 घंटे में पूरी स्क्रिप्ट लिख डाली. अब वक्त था स्क्रिप्ट के लिए निर्देशक और निर्माता की, तो स्टेलॉन पूरे उल्ल्हास से निकल पड़े अपने आगे के सफर के लिए. निर्माताओं को स्क्रिप्ट पसंद तो थी लेकिन स्टेलॉन की एक शर्त थी की फिल्म में वह मुख्य भूमिका निभाना चाहते थे जिसे निर्माताओं द्वारा खारिज कर दिया गया. निर्माता किसी फेमस हीरो के साथ इस स्क्रिप्ट पर काम करना चाहते थे. निर्माता का कहना था की स्टेलॉन के चेहरे में हीरो जैसी कोई बात नहीं है और नाही उनके बोलने का अंदाज प्रभावी है.
उन्हें स्क्रिप्ट के लिए 300,000 डॉलर से अधिक की पेशकश की गई थी, लेकिन फिर भी उन्होंने अपना इरादा नहीं बदला. स्टेलॉन जानते थे की यह फिल्म उनकी सफलता की पहली सीढ़ी बन सकती हैं. लंबे समय के बाद एक स्टूडियो ने उन्हें हीरो का रोल देने के लिए सहमति व्यक्त की बदले में उन्हें केवल स्क्रिप्ट के लिए 35,000 डॉलर दिए गए.
पैसे आते ही स्टेलॉन सबसे पहले उसी शराब के दुकान के पास जा पहुंचे जहां उन्होंने अपना कुत्ता बेचा था. उन्होंने दो दिन तक उस अजनबी इंसान का इंतजार किया आखिर तीसरे दिन वह इंसान कुत्ते के साथ आते देखा तो स्टेलॉन ने उसे कुत्ते को वापस खरीदने की इच्छा जताई लेकिन वह व्यक्ति नहीं माना. बड़ी मशक्क्त के बाद 2,000 डॉलर में स्टेलॉन ने अपना कुत्ता हासिल किया और उस व्यक्ति को अपनी फिल्म “रॉकी” के आखरी मैच में रेफ़री का रोल भी दिया.
हालांकि, उनकी मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं. उन्हें फिल्म बनाने के लिए बहुत ही कम बजट दिया गया था, जो की किसी भी मायने में पर्याप्त नहीं था. फिल्म में ज्यादातर सिंगल टेक लिए गए थे, स्टेलॉन ने अपने करीबी दोस्तों को फिल्म में छोटी भूमिकाएं निभाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने अपने परिवार और करीबी दोस्तों के साथ एक हैंडहेल्ड कॅमेरे के जरिये फिल्म का निर्माण पूरा किया.
फिल्म के पूरा होने के बाद रिलीज से पहले डाइरेक्टर्स के लिए एक स्क्रीनिंग रखी गई थी जिसमें मौजूद लगभग सभी लोग फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए थे. स्टेलॉन भी अपनी मां के साथ स्क्रीनिंग देखने के लिए हाजिर थे. स्क्रीनिंग के दौरान मौजूद लोगों से कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई दे रही थी और एक एक कर सभी लोग थेटर से बाहर निकलते गए और वहां सिर्फ स्टेलॉन और उनकी मां ही रह गए. मां को यह देख कर बड़ा अफ़सोस हुआ और उन्होंने स्टेलॉन से कहा की अब भी वक्त है की वह ये सब छोड़छाड़ कर कोई जॉब ढूंढ ले. स्टेलॉन मां को सहारा देते हुए सिढीयोंसे उतरते हुए लॉबी में आ पहुंचे जहां सारे दर्शक उनका इंतजार कर रहे थे और स्टेलॉन को देखते ही जोरदार तालियों से उनका स्वागत किया.
फिल्म “रॉकी” थेटर पर रिलीज हुई और एक नया इतिहास रच दिया. इस फिल्म ने प्रतिष्ठित ऑस्कर पुरस्कारों में बेस्ट पिक्चर, बेस्ट डिरेक्टिंग और बेस्ट फिल्म एडिटिंग पुरस्कार जीते. स्टेलॉन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए नामांकित भी किया गया था. फिल्म “रॉकी” को अमेरिकी राष्ट्रीय फिल्म रजिस्ट्री में भी शामिल किया गया था जो अब तक की सबसे बड़ी सफल फिल्मों में से एक बन चुकी थी.
तो दोस्तों, हमे उम्मीद है की सिल्वेस्टर स्टेलॉन की यह सफलता की प्रेरणादायक सच्ची कहानी आपको कभी हार नहीं मानने के लिए प्रेरित करेगी.
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