इधर कुआँ उधर खाई का अर्थ – Idhar Kuan Udhar Khai Muhavare Ka Matlab
इधर कुआँ उधर खाई मुहावरे का अर्थ | सभी ओर से संकट से घिर जाना |
इधर कुआँ उधर खाई मुहावरे का अर्थ
Idhar Kuan Udhar Khai Muhavre Ka Arth – इधर कुआँ उधर खाई मुहावरे का अर्थ है सभी ओर से संकट से घिर जाना, दोनों तरफ़ संकट होना, हर तरफ विपत्ति होना, दोनों तरफ मुसीबत होना, दो विपत्तियों के बीच में फंस जाना।
इधर कुआँ उधर खाई मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग
Idhar Kuan Udhar Khai Muhavre Ka Vakya Prayog
#1. वाक्य प्रयोग: नौकरी छोड़े बिना विकास कोई नया बिजनेस शुरू नहीं कर सकता और अगर उसने नौकरी नहीं की तो मां-बाप नाराज हो जाएंगे, यानी इधर कुआं उधर खाई।
#2. वाक्य प्रयोग: जब तेजस गणित की परीक्षा दे रहा था तो उसकी अंग्रेजी की परीक्षा का भी समय हो गया था। तेजस के लिए यह स्थिति इधर कुआँ उधर खाई जैसी थी।
#3. वाक्य प्रयोग: अगर पाकिस्तान आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगा तो अमेरिका उसे आर्थिक मदद नहीं देगा और अगर पाकिस्तान आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा तो उसे आंतरिक युद्ध का सामना करना पड़ेगा यानी इधर कुआं उधर खाई।
#4. वाक्य प्रयोग: अजीत को पता चल गया था कि चोरी उसके भाई ने की है लेकिन वह अपने भाई को पुलिस के हवाले नहीं करना चाहता था और अगर चोर नहीं पकड़ा जाता तो अजीत की नौकरी चली जाती, यानी अजीत के लिए इधर कुआं है तो उधर खाई है।
#5. वाक्य प्रयोग: गौरव को दूसरे शहर से अपने सपनों की नौकरी का अच्छा ऑफर मिला है और यहां फुटबॉल टीम में उसका चयन होने वाला है, जिसमें से वह केवल एक ही काम कर सकता है, यानी इधर कुआं उधर खाई।
मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।
प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।
मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।
मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।
मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।
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