Howrah bridge Kolkata: History, information and facts in Hindi – दुनिया भर में कई ऐसे बेजोड़ पुल/सेतु (Bridge) हैं, जो निर्माण और कारीगिरी के मामले में अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रहे हैं. कभी-कभी इन पुलों को देश का गौरव भी कहा जाता है.
ऐसा ही एक नायाब पुल भारत में भी है. भारत के कोलकाता शहर में हुगली नदी (Hooghly River) पर स्थित हावड़ा ब्रिज वास्तुकला का एक अनूठा नमूना है. हावड़ा ब्रिज भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है.
पहले कोलकाता और हावड़ा के बीच हुगली नदी पर कोई पुल नहीं था. जलमार्ग से नदी पार करने के लिए नाव ही एकमात्र रास्ता था.
हावड़ा ब्रिज का निर्माण – Construction of Howrah Bridge
हावड़ा ब्रिज अपने निर्माण से ही कोलकाता की पहचान रहा है. इस पुल को बने हुए सात दशक से अधिक समय बीत चुका है.
ऐसा कहा जाता है कि उन्नीसवीं सदी के अंतिम दशकों में, ब्रिटिश भारत सरकार (British Indian government) ने कोलकाता और हावड़ा के बीच बहने वाली हुगली नदी पर एक तैरते हुए पुल के निर्माण की योजना बनाई थी.
ऐसा इसलिए है क्योंकि उस समय कई बड़े व्यापारिक जहाज प्रतिदिन हुगली नदी में आते-जाते थे. खंभों वाले पुल के निर्माण से जहाजों की आवाजाही में कोई बाधा न आये और नदी का जल मार्ग न रुके, इसलिए 1926 में “हावड़ा ब्रिज एक्ट (Howrah Bridge Act)” पारित किया गया.
हावड़ा ब्रिज का निर्माण कार्य वर्ष 1937 से शुरू हुआ था और 1942 में यह ब्रिज पूरी तरह बनकर तैयार हो गया था. कोलकाता के प्रसिद्ध “हावड़ा ब्रिज” को 3 फरवरी 1943 को यातायात के लिए खोल दिया गया था.
उस समय यह पुल दुनिया में अपनी तरह का तीसरा सबसे लंबा पुल था.
इस पुल की खासियत यह है कि पूरा पुल नदी के दोनों किनारों पर बने 280 फीट ऊंचे दो स्तंभों पर ही टिका है. इसके दो स्तंभों के बीच की दूरी डेढ़ हजार फीट है. इन दोनों स्तंभों के अलावा नदी में कहीं भी ऐसा आधार नहीं दिया गया है, जो पुल को सहारा दे सके.
इसके अलावा इस कैंटिलीवर ब्रिज (Cantilever bridge) को बनाने में 26.5 हजार टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है.
बिना नट बोल्ट के बना हावड़ा ब्रिज (Howrah Bridge built without nut bolt): यह एक कैंटिलीवर का उपयोग करके बनाया गया एक कैंटिलीवर पुल है, एक ऐसी संरचनाएं जो अंतरिक्ष में क्षैतिज रूप से ऊपर की और उठी होती हैं, जो केवल एक छोर पर आधारित होती हैं.
आम तौर पर कोई भी पुल कई स्तंभों (Pillars) पर टिका होता है लेकिन यह एक ऐसा पुल है जो केवल चार स्तंभों पर टिका है जिसमें दो स्तंभ नदी के इस तरफ और दो स्तंभ नदी के उस तरफ दिखाई देते हैं.
पुल के निर्माण में कोई नट और बोल्ट नहीं हैं और स्टील प्लेटों को जोड़ने के लिए नट-बोल्ट के बजाय धातु के कीलों (Rivet) का उपयोग किया गया है.
हावड़ा ब्रिज की लंबाई और चौड़ाई (Length and width of Howrah Bridge): हुगली नदी पर बना हावड़ा ब्रिज की कुल लंबाई 705 मीटर (2,313.0 फीट) है और दोनों फुटपाथों को मिलाकर इसकी चौड़ाई 21.6 मीटर (71 फीट) है.
हावड़ा ब्रिज का उद्घाटन – Inauguration of Howrah Bridge
आपको जानकर हैरानी होगी कि दशकों बाद भी हावड़ा ब्रिज का औपचारिक उद्घाटन आज तक नहीं हो पाया है.
इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि जिस समय यह पुल बनकर तैयार हुआ उस समय द्वितीय विश्व युद्ध जोरों पर था. इसके बाद तय हुआ कि इस पुल के औपचारिक उद्घाटन के मौके पर कोई धूमधाम नहीं होगी.
रवींद्र सेतु या हावड़ा ब्रिज – Rabindra Setu or Howrah Bridge
जब कोलकाता और हावड़ा को जोड़ने वाले इस पुल का निर्माण पूरा हुआ था तब इसका नाम “न्यू हावड़ा ब्रिज (New Howrah Bridge)” रखा गया था. स्वतंत्र भारत में 14 जून 1965 को गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर इस पुल का नाम बदलकर “रवींद्र सेतु (Rabindra Setu)” कर दिया गया था, लेकिन आज भी लोग इसे हावड़ा ब्रिज के नाम से ही जानते हैं.
हावड़ा ब्रिज के बारे में आश्चर्यजनक तथ्य हिंदी में – Amazing Facts about Howrah Bridge in Hindi
#1. इस कैंटिलीवर ब्रिज (Cantilever bridge) को बनाने में 26.5 हजार टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है. इसमें से 23.5 हजार टन स्टील की आपूर्ति टाटा स्टील (Tata Steel) की थी.
#2. पुल का उपयोग करने वाला पहला वाहन “ट्राम (Tram)” था. ट्राम या ट्रॉली कार एक प्रकार का रेल वाहन है जो आमतौर पर शहरी सड़कों के किनारे पटरियों पर चलती है.
#3. हावड़ा ब्रिज द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) का भी गवाह रहा है, दरअसल दिसंबर 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस पुल से कुछ ही दूरी पर जापान द्वारा एक बम गिराया गया था.
#4. विद्यासागर सेतु (Vidyasagar Setu) और विवेकानंद सेतु (Vivekananda Setu) हावड़ा ब्रिज के दोनों ओर नदी पर दो अन्य प्रमुख पुल हैं.
#5. हावड़ा ब्रिज से रोजाना करीब 1.5 लाख वाहन और 5 लाख पैदल यात्री सफर करते हैं.
#6. इस पुल की लंबाई तेज धूप में या गर्मी के समय में 3 मीटर तक बढ़ जाती है क्योंकि तापमान में वृद्धि के कारण धातु (स्टील) पिघल जाती है और फैल जाती है.
#7. हावड़ा ब्रिज पर पक्षियों द्वारा फैलाई जा रही गंदगी को साफ करने के लिए कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट (Kolkata Port Trust) को सालाना करीब 5 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं.
#8. कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट को वर्ष 2011 के दौरान एक अजीब समस्या से जूझना पड़ा था. एक अध्ययन से पता चला कि तंबाकू के थूकने से पुल का स्टील का हुड क्षतिग्रस्त हो रहा था. तब ट्रस्ट द्वारा नीचे से फाइबर ग्लास से स्टील की हुड को ढकने पर करीब 20 लाख रुपये खर्च किए गए थे.
#9. हावड़ा ब्रिज को इसकी विशेषता और सुंदरता के कारण कई फिल्मों और गानों में भी दिखाया गया है.
#10. एक अफवाह के चलते यह पुल दिन और रात के बारह बजे कुछ देर के लिए बंद किया जाता है.