पृथ्वी सौरमंडल का एकमात्र ज्ञात ग्रह है जिस पर जीवन (Life) फलता-फूलता है.
पृथ्वी का निर्माण लगभग 4.5 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ था और जीवाश्मों के अध्ययन के अनुसार पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को लगभग 3.5 अरब वर्ष बीत चुके हैं. अपनी रचना के बाद से इस धरती ने कई प्राकृतिक और मानवीय आपदाओं का सामना किया है.
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आई प्राकृतिक आपदाओं जैसे सुनामी, बाढ़ और भूकंप को देखते हुए इंसानों के द्वारा धरती के तबाह होने की अटकलें हमेशा लगती रहती हैं, लेकिन सबसे पहले यह जानने की सख्त जरूरत है कि समय-समय पर मनुष्यों द्वारा किए गए दुनिया के अंत के इन दावों का आधार क्या है?
दोस्तों आज के इस लेख में हम उन तथ्यों पर एक नजर डालेंगे जिनके आधार पर मनुष्य पृथ्वी के अंत का दावा करता रहा है.
1) क्षुद्रग्रह के साथ टकराव – Collision with asteroid
यह सर्वविदित है कि पृथ्वी पर डायनासोर की प्रजाति Asteroid के टकराने के कारण समाप्त हो गई थी. अगर एक भारी-भरकम Asteroid के टकराने से विशालकाय डायनासोर विलुप्त हो सकते हैं तो दूसरी टक्कर से पृथ्वी पर जीवन भी नष्ट हो सकता है!
दोस्तों सबसे पहले हम जानते हैं कि Asteroid (क्षुद्रग्रह) क्या है? Asteroid छोटे, चट्टानी गतिमान पत्थर (पिंड) हैं जो हमारे सौर मंडल के ग्रहों की तरह ब्रह्मांड में सूर्य की परिक्रमा करते हैं.
वैसे, वे सौर मंडल में मंगल ग्रह और बृहस्पति ग्रह के बीच Asteroid Belt में अधिक पाए जाते हैं. इस Asteroid Belt में लाखों Asteroids सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं, लेकिन उनकी मौजूदगी केवल Asteroid Belt में ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्मांड में फैली है.
वैसे तो इनका आकार ग्रह से काफी छोटा होता है, लेकिन अगर कोई Asteroid किसी ग्रह से टकराता है, तो उनसे निकलने वाली ऊर्जा एक परमाणु बम से 1 लाख गुना ज्यादा होगी, जो पृथ्वी पर जीवन को खत्म करने के लिए पर्याप्त होगी. माना जा रहा है कि ऐसा ही एक Asteroid साल 2036 में धरती से टकराएगा.
वैज्ञानिकों के ये अनुमान इससे पहले भी गलत साबित हो चुके हैं क्योंकि वैज्ञानिक 2013 में किसी Aesteroid से पृथ्वी के टकराने की अटकलें लगा रहे थे, जबकि वह Aesteroid पृथ्वी से टकराए बिना ही निकल गया.
हालांकि, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि Aesteroid कहां टकराता है. अतीत में कुछ बड़े क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकरा चुके हैं, लेकिन इससे पृथ्वी पर जीवन समाप्त नहीं हुआ. डायनासोर को नष्ट करने वाले Aesteroid जितना बड़ा खगोलीय पिंड के साथ पृथ्वी की टक्कर एक दुर्लभ उदाहरण है.
2) ब्रह्मांड का विस्तार – Expansion of the universe
दोस्तों, हम सभी जानते हैं कि हमारे ब्रह्मांड का लगातार विस्तार हो रहा है और आने वाली कुछ शताब्दियों में हमारे ब्रह्मांड का इतना विस्तार होगा कि सभी ग्रह, आकाशगंगा, सूर्य और तारे एक दूसरे से बहुत दूर चले जाएंगे.
इस स्थिति में सूर्य और अन्य तारों के बीच की दूरी के कारण हमारी पृथ्वी को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलेगी, जिससे पृथ्वी पर जीवन धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा और एक समय आएगा जब पृथ्वी अंतरिक्ष में तैरता हुआ एक बर्फीला ग्रह बना रहेगा.
3) सौर प्रज्वाल – Solar Flares
सूर्य पर हमेशा तरह-तरह के विस्फोट होते रहते हैं, इन विस्फोटों से यानी सौर प्रज्वाल (Solar Flares) में से घातक परमाणु कण निकलते रहते हैं, जो 64 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की ओर बढ़ते हैं.
वैसे तो ये खतरनाक परमाणु कण हमेशा सूर्य से निकलते रहते हैं, लेकिन आज भले ही हमारी पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic field) इनसे हमारी रक्षा कर रहा है, लेकिन अगर सौर ज्वाला बहुत शक्तिशाली बनी रहे, तो यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को पार कर सकती है और पृथ्वी पर भारी तबाही मचा सकती है.
यह घातक सौर ज्वाला पृथ्वी पर बिजली और संचार व्यवस्था को पूरी तरह से बंद कर सकती है, जिससे पृथ्वी पर अंधेरा छा जाएगा और इन सौर ज्वालाओं से निकलने वाली खतरनाक हवाओं के कारण पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा.
कभी मंगल ग्रह का भी अपना चुंबकीय क्षेत्र था, जिसे उसने समय के साथ खो दिया. पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के कमजोर होने की खबरें पहले भी आती रही हैं. लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है. क्योंकि यह कमी दिशा बदलने के कारण पैदा हुई है, वास्तव में यह घट नहीं रही है. ऐसा अंतर लाखों वर्षों में आता रहता है.
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र पूरी तरह से गायब हो जाएगा? इस पर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर रिचर्ड जे. हैरिसन (Richard J. Harrison) की राय है कि फिलहाल इसकी कोई उम्मीद नहीं है.
4) वैश्विक तापमान – Global Warming
आसान शब्दों में कहें तो ग्लोबल वार्मिंग का मतलब है धरती के तापमान में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी और इसके कारण मौसम में हो रहे बदलाव. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हमारी धरती पूरी तरह तबाह हो सकती है?
जी हां दोस्तों ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के कारण हमारी पृथ्वी लगातार गर्म हो रही है और वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ रहा है, जिसके कारण आने वाले समय में तूफान, भारी बारिश, लगातार गर्म हवाएं, सूखा और खाद्य पदार्थों की कमी जैसे कई विनाशकारी परिणाम होंगे.
जिसके फलस्वरूप पृथ्वी पर जीवन का अंत होना शुरू हो जाएगा और इस तरह जीवन के अनुकूल वातावरण की यह पृथ्वी एक निर्जीव गोले में बदल जाएगी.
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