भारत 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक विशाल और समृद्ध देश है. भारत के हर राज्य का एक विशिष्ट इतिहास रहा है, साथ ही हर एक राज्य की संस्कृति, पोशाख, खानपान और भाषा भी अलग-अलग है, जो इसे बाकियों से अलग बनाता है. भारत के राज्यों की यह विविधता देखकर ऐसा लगता है जैसे की यह कई सारे देशों से बना एक शक्तिशाली महादेश है.
सभी राज्यों में घूमकर वहां के रीतिरिवाज जानना और जीवन-शैली को समज़ना अपने आप में एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है. आज हम जानेंगे की भारत के विविध राज्यों के नाम कैसे रखे गए.
आंध्र प्रदेश: “आंध्र प्रदेश” राज्य का नाम दक्षिणी प्रांत के मूल निवासी “आंध्र” वर्ग के लोगों के आधार पर रखा गया है. तेलुगु भाषा बोलने वाले “आंध्र” लोग प्राचीन काल से इस क्षेत्र में निवास करते रहे है. “आंध्रा” लोगों के मांग के परिणामस्वरूप 1956 में “आंध्र प्रदेश” एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया.
असम: “असम” नाम “अहोम” भाषा के “असमा” शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है “अद्वितीय”. “अहोम” जिसे “ताई-अहोम” भी कहा जाता है, यह अब एक विलुप्त भाषा है जो अहोम लोगों द्वारा बोली जाती थी.
बिहार: “बिहार” नाम संस्कृत और पाली भाषा के “विहार” शब्द से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ है “ज्ञान प्राप्ति का स्थान”. बिहार में प्राचीन और मध्यकाल में विभिन्न विश्वविद्यालय, शिक्षण संस्थाए और बौद्ध भिक्षुओं के निवास हुआ करते थे.
छत्तीसगढ़: मान्यता है की “छत्तीसगढ़” नाम मराठी भाषा के दो शब्द “छत्तीस” और “गढ़” से मिलकर बना है, मराठी में “छत्तीस” का सांख्यिकी अनुवाद “36” होता है और “गढ़” का अर्थ होता है “किला”. “छत्तीसगढ़” नाम इस तथ्य पर आधारित है कि राज्य में कुल 36 किले हैं. “छत्तीसगढ़” को मराठा साम्राज्य के समय में पहचान प्राप्त हुई और 1795 में पहली बार एक आधिकारिक दस्तावेज़ में उल्लेख किया गया था.
गोवा: कई लोग मानते हैं कि राज्य को “गोवा” नाम पुर्तगालियों द्वारा 1510 ई. के आक्रमण में बाद दिया गया है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि “गोवा” नाम की उत्पत्ति संस्कृत शब्द “गो” से हुई है जिसका अर्थ “गाय” होता है. पुराणों और विभिन्न शिलालेखों में इसका नाम गोव, गोवपुरी और गोमंत के रूप में दर्शाया जाता है.
गुजरात: राज्य का नाम “गुर्जर” समुदाय से रखा गया है, जिन्होंने 8 वीं और 9 वीं शताब्दी के दौरान इस क्षेत्र पर शासन किया था. माना जाता है कि “गुर्जर” हूणों की ही एक उप जनजाति है. राज्य का मूल नाम “गुरहार राष्ट्र” था जो बाद में बदलकर “गुजर राष्ट्र” हो गया और अंत में “गुजरात” हो गया.
हरियाणा: मान्यताओं के अनुसार “हरियाणा” नाम संस्कृत के दो शब्दों से बना है, पहला शब्द “हरि” जो की हिंदू देवता “विष्णु” का एक नाम है और दूसरा शब्द है “अयन” जिसका अर्थ है “निवास”. इस तरह हरियाणा को “ईश्वर का निवास” कहा जाता है. प्राचीन समय में, इस क्षेत्र को ब्रह्मवर्त, आर्यावर्त और ब्राह्मउपदेस के नाम से जाना जाता था.
हिमाचल प्रदेश: “हिमाचल” शब्द दो अलग-अलग शब्दों को जोड़ कर बना है, “हिम” शब्द हिमालय या बर्फीले पहाड़ों के लिए उपयोग में लाया जाता है और “आंचल” शब्द “गोद” को दर्शाता है. हिमाचल प्रदेश का शाब्दिक अर्थ है – “बर्फीले पहाड़ों का घर”
जम्मू और कश्मीर: जम्मू और कश्मीर राज्य दो अलग-अलग प्रदेशों को संयुक्त रूप में दर्शाता है. स्थानीय परंपरा और लोक कथाओं के अनुसार, “जम्मू” का नाम इसके संस्थापक राजा जंबुलोचन के नाम पर रखा गया है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने 9 वीं शताब्दी में इस क्षेत्र पर शासन किया था.
“कश्मीर” शब्द के बारे में कहा जाता है कि यह दो संस्कृत शब्दों “का” और “समीरा” से मिलकर बना है (संस्कृत में: का = पानी और शमीरा = निर्वासन), जिसका अर्थ है “वह भूमि जहां से प्रजापति (भगवान) द्वारा पानी निकाला जाता था”
झारखंड: “झारखंड” नाम दो शब्दों से बना है “झाड़ी” जिसका अर्थ है घना जंगल और “खंड” का अर्थ है भूमि, जिससे इसे “घने जंगलों की भूमि” कहकर संबोधित किया जाता है.
कर्नाटक: सामान्यतः यह माना जाता है कि “कर्नाटक” नाम कन्नड़ भाषा के दो शब्द “कुरू” और “नादु” से बना है, जिसका अर्थ है “उन्नत भूमि”. कुछ विद्वानों का मानना है की यह नाम “कर्नाड” शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है “उदात्त भूमि”.
केरल: “केरल” का नाम कैसे रखा गया इस बारे में कोई भी ठोस प्रमाण नहीं है. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि “केरल” नाम मलयालम शब्द “केरा” से बना है जिसका अर्थ नारियल का पेड़ होता है, केरल के भूभाग पर व्यापक रूप से नारियल के पेड़ पाए जाते है.
मध्य प्रदेश: इस राज्य का भौगोलिक स्थान भारत के केंद्र में स्थित होने के कारण इसका अनुवाद “मध्य प्रदेश” के नाम से होता है.
महाराष्ट्र: “महाराष्ट्र” नाम का वर्णन पहली बार 7 वीं शताब्दी में एक चीनी यात्री “हुआन त्सांग” द्वारा किया गया था. “महाराष्ट्र” नाम की उत्तपत्ति “महा” यानि महान, और “रक्षत्रिका” यानि रत्ता (दक्खन क्षेत्र पर शासन करने वाले प्रमुखों (753-983) की जनजाति) से निर्मित है.
मणिपुर: “मणिपुर” एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है “रत्न नगरी”. मणिपुर राज्य का मूल नाम “कंगलिपक” है और इस राज्य के लोगों को पहले कंगलिचा कहा जाता था, अब वर्तमान में मणिपुर के नागरिक को मणिपुरी कहा जाता है.
मेघालय: “मेघालय” नाम संस्कृत के दो शब्द “मेघ” यानि बादल और “आलय” अर्थात निवास होता है, मेघालय शब्द का अनुवाद है – “बादलों का निवास”.
मिजोरम: “मिजोरम” राज्य का नाम यहां के मूल निवासी लोग “मिजो” के आधार पर रखा गया है, और “राम” का अर्थ है भूमि, और इस प्रकार मिज़ोरम का अर्थ है “मिजो जनजाति की भूमि”.
नागालैंड: “नागालैंड” शब्द की उत्पत्ति बर्मी शब्द “नो-का” से हुई है, जिसका अर्थ है ऐसे लोग जिनके कानों पर बड़ा छेद बना होता है. हालांकि, कुछ लोग मानते हैं कि यह नाम “नागा” शब्द से बना है, जो कि “नागा” जनजाति से लिया गया है, प्राचीन समय में “नागा” जनजाति के लोगों ने इस स्थान पर शासन किया था.
ओडिशा: “ओडिशा”, जिसे पहले “उड़ीसा” कहा जाता था, “ओडिशा” का अर्थ “ओड्रा देश” होता है. ओडिशा नाम ओड्रा लोगों के आधार पर रखा गया है, इस क्षेत्र का मध्य भाग ओड्रा लोगों का दीर्घ समय से निवास स्थान रहा है.
पंजाब: “पंजाब” शब्द दो फ़ारसी शब्दों का संयोजन है, “पंज” यानि पांच और “आब” यानि पानी, इस प्रकार यह पांच जल या जलस्त्रोत को दर्शाता है, जिससे इसे पांच नदियों (ब्यास, चिनाब, झेलम, रावी, और सतलज) की भूमि कहा जाता है.
राजस्थान: “राजस्थान” का अर्थ है राजाओं का निवास. ब्रिटिश काल के दौरान, इस राज्य को “राजपूताना” यानि राजपूतों की भूमि के नाम से भी जाना जाता था.
सिक्किम: “सिक्किम” नाम की उत्पत्ति “लिम्बु” के दो शब्दों के संयोजन से उत्पन्न हुई है पहला शब्द “सु”, जिसका अर्थ है “नया,” और दूसरा शब्द “खिम”, जिसका अर्थ है महल या घर, यानि नया घर. लिम्बु एक सिनो-तिब्बती भाषा है जो लिम्बु लोगों द्वारा बोली जाती है.
तमिलनाडु: “तमिलनाडु” नाम तमिल-भाषी लोगों के आधार पर रखा गया है. तमिल भाषा में “नाडु” शब्द का मतलब भूमि, स्थान या अधिवास होता है. “तमिलनाडु” तमिल लोगों की मातृभूमि का प्रतिनिधित्व करता है.
त्रिपुरा: शोधकर्ताओं का मानना है की “त्रिपुरा” नाम यहां के बोरोक लोगों की मुख्य मूल भाषा “कोकबोरोक” के दो शब्दों को जोड़कर बना है, “त्वि” का अर्थ है “पानी” और “प्रा” का अर्थ है “निकट” जिसका समग्र अर्थ है “पानी के निकट”. त्रिपुरा का उल्लेख महाभारत, पुराणों तथा सम्राट अशोक के शिलालेखों में भी पाया जाता है.
तेलंगाना: “तेलंगाना” नाम “त्रिलिंगा” से अर्जित किया गया है, “त्रिलिंगा” का अर्थ है तीन लिंगों का समूह. एक हिंदू किंवदंती के अनुसार, भगवान शिव यहां तीन पर्वतों पर लिंग के रूप में अवतरित हुए, इनमें शामिल है कालेश्वरम, श्रीशैलम और द्रक्षरमम इन तीनों को तेलुगु प्रांत की सीमाओं का प्रतीक माना है. एक और ऐतिहासिक तर्क यह भी है कि निज़ामों के शासनकाल के दौरान, इस क्षेत्र को “तेलुगु अंगना” के रूप में जाना जाता था.
उत्तर प्रदेश: इस राज्य का भौगोलिक स्थान भारत के उत्तर दिशा में स्थित होने के कारण इसका अनुवाद “उत्तर प्रदेश” के नाम से होता है.
उत्तराखंड: इस राज्य का भौगोलिक स्थान भी भारत के उत्तर दिशा में स्थित है, इसमें उत्तर दिशा दर्शाने के लिए “उत्तरा” शब्द का उपयोग किया गया है और प्रदेश के लिए “खंड” शब्द का उपयोग किया गया है. उत्तराखंड राज्य को शुरुआत में “उत्तरांचल” के नाम से जाना जाता था.
पश्चिम बंगाल: “बंगाल” का नाम प्राचीन राज्य “बंगा” से लिया गया है. भारत को स्वतंत्रता प्राप्त होने तक “बंगाल” एक संयुक्त राज्य के रूप में अस्तित्व में था. 1947 में जब भारत का धार्मिक आधार पर विभाजन हुआ तब “बंगाल” को भी दो भागों में विभाजित किया गया, इसका पूर्वी भाग पाकिस्तान में शामिल हो गया जिसे “पूर्वी बंगाल” कहा जाता था, 1971 में पाकिस्तान से विलग हो कर यह एक स्वत्रंत देश के रूप में अस्तित्व में आया जिसे वर्तमान में “बांग्लादेश” के नाम से जाना जाता है. “बंगाल” का पश्चिमी भाग भारत के अधीन रहा जिसे हम “पश्चिम बंगाल” के नाम से जानते है.
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