गुड़ी पड़वा पर निबंध हिंदी में – Gudi Padwa Essay In Hindi

गुड़ी पड़वा पर निबंध हिंदी में - Gudi Padwa Essay In Hindi

Essay On Gudi Padwa In Hindi – हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है। इस त्योहार को “वर्ष प्रतिपदा (Varsha Pratipada)” या “उगादि (Ugadi)” भी कहा जाता है।

पुराणों के अनुसार माना जाता है कि गुड़ी पड़वा यानी वर्ष प्रतिपदा के दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। इसलिए इस दिन को नव संवत्सर (Nav Samvatsar) यानी नव वर्ष (New Year) के रूप में भी मनाया जाता है।

आज की इस पोस्ट में हमने सभी विद्यार्थियों के लिए गुड़ी पड़वा पर हिन्दी निबंध (Gudi Padwa Essay In Hindi) प्रस्तुत किया है।

गुड़ी पड़वा पर हिंदी निबंध | Essay On Gudi Padwa In Hindi

प्रस्तावना

गुड़ी पड़वा शब्द में “गुड़ी” का अर्थ है विजय ध्वज और “पड़वा” को प्रतिपदा कहा जाता है। गुड़ी पड़वा को हिंदू नव वर्ष की शुरुआत माना जाता है, यही वजह है कि इसे सभी हिंदू अलग-अलग तरीकों से मनाते हैं।

यह त्योहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। इसी दिन से मराठी नववर्ष की शुरुआत भी होती है। क्योंकि गुड़ी पड़वा चैत्र मास की प्रथम तिथि को मनाया जाता है। चैत्र मास मराठी मास का प्रथम मास है। इस दिन से नव मराठी वर्ष का प्रारंभ होता है।

गुड़ी पड़वा क्यों मनाया जाता है?

गुड़ी पड़वा मनाने के पीछे मान्यता यह है कि गुड़ी पड़वा के दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की शुरुआत की थी और इस दिन गुड़ी या आम के पत्तों को घर के दरवाजे पर लटकाने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

इस दिन की शुरुआत संवत्सर की पूजा, नवरात्रि घटस्थापना, ध्वजारोहण से होती है और शुक्ल प्रतिपदा के दिन को चंद्र चरण का पहला दिन माना जाता है।

गुड़ी पड़वा के संबंध में मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान राम ने दक्षिण के लोगों को बाली के अत्याचार और शासन से मुक्त कराया था और इस घटना का उत्सव मनाने के लिए हर घर में गुड़ी अर्थात विजय पताका फहराया जाता है।

हिंदू कैलेंडर भी गुड़ी पड़वा से ही शुरू होता है। कहा जाता है कि इस दिन से सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक के दिनों, महीनों और वर्षों की गणना करके महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने पंचांग की रचना की थी।

इस दिन को भारतीय राज्य महाराष्ट्र में नए साल के रूप में मनाया जाता है। आज भी यह परंपरा महाराष्ट्र और कुछ अन्य जगहों पर प्रचलित है, जहां गुड़ी पड़वा के दिन हर घर में गुड़ी फहराई जाती है।

यह एक कृषि पर्व भी है, इस समय तक वसंत ऋतु का आगमन हो जाता है और पूरी प्रकृति में नए पत्तों तथा फूलों की बहार आने लगती है।

गुड़ी पड़वा कैसे मनाया जाता है?

गुड़ी पड़वा महोत्सव का उत्सव समृद्धि और कल्याण से संबंधित है। गुड़ी पड़वा के दिन परिवार के सभी सदस्य सुबह जल्दी उठकर स्नान और पूजन करते हैं। घर की महिलाएं घर और आंगन की साफ-सफाई करती हैं और रंग-बिरंगी रंगोली बनाती हैं।

इस दिन हिंदू परिवारों में गुड़ी की पूजा करने के बाद इसे घर के दरवाजे पर किसी ऊंचे स्थान पर लगाया जाता है और घर के दरवाजे को आम के पत्तों से बनी बंदनवार से सजाया जाता है। मान्यता है कि यह बंदनवार घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली लाता है।

गुड़ी पड़वा के दिन पारंपरिक कपड़े पहनते हैं। दिन की शुरुआत भगवान की पूजा और प्रार्थना से होती है। फिर, रिश्तेदारों और दोस्तों के बीच मिठाइयों और उपहारों का आदान-प्रदान होता है। कुछ लोग भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिरों में जाते हैं।

गुड़ी पड़वा के दिन, विशेष रूप से हिंदू परिवारों में, पूरनपोली नामक मीठा व्यंजन बनाने की परंपरा है, जिसे घी और चीनी के साथ खाया जाता है। वहीं मराठी परिवारों में इस दिन विशेष रूप से श्रीखंड बनाया जाता है और इसे अन्य व्यंजन और पूरियों के साथ परोसा जाता है।

आंध्र प्रदेश में इस दिन पच्चड़ी प्रसाद बनाकर हर घर में बांटा जाता है। गुड़ी पड़वा के दिन नीम के कड़वे पत्ते खाने का भी विधान है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर नीम के कोपलें खाकर गुड़ खाया जाता है। इस विधि को कड़वाहट को मिठास में बदलने का प्रतीक माना जाता है।

गुड़ी पड़वा का महत्व

खासकर हिंदुओं में इस दिन गुड़ी पड़वा का अपना एक विशेष महत्व है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। इसलिए, भक्त पवित्र तेल स्नान करते हैं, जिसे शुभ माना जाता है। 

यह दिन भगवान राम के राज्याभिषेक समारोह को चिह्नित करने के लिए भी मनाया जाता है। इस दिन घर के दरवाजे पर गुड़ी या आम के पत्तों के बंदनवार लटकाने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

इसके साथ ही गुड़ी पड़वा के दिन नई चीजें खरीदना भी बहुत शुभ और लाभकारी माना जाता है। बहुत से लोग इस दिन नए वाहन, सामान, सोना-चांदी खरीदते हैं। इस पर्व से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।

निष्कर्ष

गुड़ी पड़वा को हिंदू नव वर्ष की शुरुआत माना जाता है, इसीलिए हिंदू धर्म के लोग इसे अलग-अलग तरह से त्योहार के रूप में मनाते हैं। गुड़ी पड़वा को भारतीय राज्य महाराष्ट्र में नए साल के पहले दिन के रूप में मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा महोत्सव का उत्सव समृद्धि और कल्याण से संबंधित है।

गुड़ी पड़वा पर 10 पंक्तियां हिंदी में (10 Lines on Gudi Padwa in Hindi)

  1. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है।
  2. इस त्योहार को “वर्ष प्रतिपदा” या “उगादि” भी कहा जाता है।
  3. गुड़ी पड़वा शब्द में “गुड़ी” का अर्थ है विजय ध्वज और “पड़वा” को प्रतिपदा कहा जाता है।
  4. यह एक कृषि पर्व भी है, इस समय तक वसंत ऋतु का आगमन हो जाता है।
  5. यह त्योहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।
  6. इसी दिन से मराठी नववर्ष की शुरुआत भी होती है।
  7. गुड़ी पड़वा महोत्सव का उत्सव समृद्धि और कल्याण से संबंधित है।
  8. गुड़ी पड़वा के दिन, विशेष रूप पूरनपोली नामक मीठा व्यंजन बनाने की परंपरा है, जिसे घी और चीनी के साथ खाया जाता है।
  9. गुड़ी पड़वा के दिन नीम के कड़वे पत्ते खाने का भी विधान है।
  10. इस दिन नीम के पत्ते खाकर गुड़ खाया जाता है। इस विधि को कड़वाहट को मिठास में बदलने का प्रतीक माना जाता है।
गुड़ी पड़वा पर निबंध हिंदी में - Gudi Padwa Essay In Hindi
10 Lines on Gudi Padwa in Hindi

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