गिरनार रोपवे क्या है? Girnar Ropeway Complete Information

Girnar Ropeway Complete Information

Girnar Ropeway Complete Information in Hindi – प्राचीन काल में मनुष्य अपनी सामाजिक और आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए घोड़ों, ऊँटों और हाथियों जैसे जानवरों की मदद लेता था। इन जानवरों को परिवहन के साधन के रूप में उपयोग किया जाता था, और वे उन्हें विभिन्न स्थानों पर ले जाने में मदद करते थे, चाहे सामाजिक आयामों के आधार पर या व्यापारिक उद्देश्यों के लिए।

समय के साथ, मनुष्यों ने वाहन डिजाइन और तकनीकी प्रगति, जैसे ट्रेन, रेलवे, जहाज और अब कारों और हवाई जहाज जैसे उच्च तकनीक वाले वाहनों के माध्यम से परिवहन में सुधार करने के तरीकों की खोज की। इन तकनीकी सुधारों ने परिवहन को तेज़, सुरक्षित और अधिक सुविधाजनक बना दिया है, और मानव सभ्यता के एक साथ विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

आजकल परिवहन के कई रूप हैं, जिनमें सड़क परिवहन, रेलवे परिवहन, हवाई परिवहन, जल परिवहन और स्थानीय परिवहन शामिल हैं और इन्हें सर्वोत्तम तरीके से संचालित करने के लिए तकनीकी और व्यावसायिक उपायों का उपयोग किया जाता है।

इसी प्रकार रोपवे भी रस्सियों पर आधारित एक प्रकार का परिवहन रूप है। रोपवे एक अनोखी प्रकार की परिवहन प्रणाली है जिसमें यात्री एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए वाहनों का उपयोग करते हैं।

“जूनागढ़ गिरनार रोपवे (Junagadh Girnar Ropeway in Hindi)” भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और गुजरात के जूनागढ़ शहर में स्थित है। इस रोपवे का मुख्य उद्देश्य पर्वतीय क्षेत्र में यात्रियों को पर्वत चोटियों तक पहुँचने की सुविधा प्रदान करना है।

आज के लेख में हमने “गिरनार रोपवे (Girnar Ropeway in Hindi)” के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की है। इस लेख में हम आपको “जूनागढ़ गिरनार रोपवे” के महत्वपूर्ण पहलुओं से पूरी तरह अवगत कराएँगे जैसे कि जूनागढ़ गिरनार रोपवे क्या है, इसकी लंबाई क्या है, इसकी टिकट की कीमत क्या है, इसका इतिहास, इसका उद्घाटन कब और किसने किया, और यह कहाँ स्थित है ?

लेख के अंत तक पढ़ने से आपको “जूनागढ़ गिरनार रोपवे” के बारे में पूरी जानकारी मिल जाएगी, जिससे आपको इस प्रमुख पर्यटन स्थल के बारे में पूरी तरह से समझने में मदद मिलेगी। तो चलिए शुरू करते हैं आज का आर्टिकल।

गिरनार रोपवे के बारे में मुख्य जानकारी

प्रोजेक्ट नामगिरनार रोपवे
गिरनार रोपवे की लंबाई2.3 किलोमीटर
स्थानजूनागढ़, गुजरात, भारत
उद्घाटन किया गयाभारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
उद्घाटन दिनांक24 अक्टूबर 2020
टिकट मूल्यदोनों तरफ के – 700 रुपए, एक तरफ के – 400 रुपए
समय7 मिनट

Girnar Ropeway Kya Hai?

रोपवे का मतलब क्या होता है?

“रोपवे (Ropeway)” का अर्थ एक प्रकार का परिवहन उपकरण (Transportation device) है, जो आमतौर पर अछूते स्थानों के बीच या ऊंचाई पर बनाया जाता है ताकि लोग जमीन पर चलने की आवश्यकता के बिना वहां पहुंच सकें। इसमें एक या एक से अधिक रस्सियों पर लटकी गाड़ियाँ होती हैं जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तक खींचने के लिए इंजन या पुली की मदद से उपयोग किया जाता है। इस पद्धति का उपयोग अक्सर ऊंचे पहाड़ों या अन्य अछूते क्षेत्रों में पर्यटन और परिवहन उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

“रोपवे” एक विशेष प्रकार की केबल कार (Cable car) भी हो सकती है, जिसमें परिवहन के लिए केबल का उपयोग किया जाता है, और गाड़ियों को यात्रियों को बैठाकर ऊंचाई तक ले जाया जाता है।

गिरनार रोपवे क्या है?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गिरनार पर्वत (Girnar Mountain) हमारे देश के सबसे महत्वपूर्ण पर्वतों में से एक है और भारत के गुजरात राज्य में स्थित है। यह पर्वत भारतीय धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है और इस पर्वत पर कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल स्थित हैं। यहां पहुंचने के लिए लोगों को 9999 सीढ़ियां पार करनी पड़ती हैं यानी कि इन सभी सीढ़ियों से होकर गुजरना पड़ता है।

लेकिन अब, इस रोपवे के माध्यम से, लोगों को गिरनार पर्वत तक पहुँचने में और आसानी होगी। यह रोपवे भारत में स्थित गिरनार पर्वत पर बना सबसे बड़ा रोपवे है, और उन यात्रियों और भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण परिवहन विकल्प है जो विश्वास के साथ अछूते क्षेत्र की यात्रा करना चाहते हैं।

अब इस रोपवे के जरिए लोग गिरनार पर्वत पर स्थित मंदिरों तक बिना किसी परेशानी के पहुंच सकते हैं। इस रोपवे के इस्तेमाल से लोगों को काफी सुविधा होगी और वे अब सिर्फ 7 मिनट में इस ऊंचे पहाड़ तक पहुंच सकेंगे। इस साधन के माध्यम से लोग बिना किसी शारीरिक प्रयास के गिरनार पर्वत की ऊंचाइयों तक यात्रा कर सकते हैं।

जब वे इस ऊंचे पर्वत पर पहुंचते हैं तो उन्हें वहां अद्भुत शक्ति और शांति का अनुभव होता है। गिरनार पर्वत का वातावरण ध्यान और तपस्या के लिए आदर्श स्थान है, और कोई भी इसके विहंगम दृश्यों के साथ इसकी पहाड़ी सुंदरता का आनंद ले सकता है। इस स्थान की प्राकृतिक सुंदरता और शांति का अनुभव करना एक अनोखी यात्रा का स्रोत है जो यात्रियों को धार्मिक और मानसिक जागृति की ओर ले जाता है।

जूनागढ़ गिरनार रोपवे की विशेषताएं

इस रोपवे के आगमन से पहले, गुजरात राज्य में पहले से ही 3 रोपवे स्थित हैं, जो बनासकांठा, सतपुड़ा और पावागढ़ में अम्बाजी के दर्शन के लिए कार्यरत हैं। ये रोपवे लोगों को धार्मिक और दर्शनीय स्थलों की यात्रा करने में सहायक होते हैं और विभिन्न स्थानों तक पहुँचने में सुविधाजनक होते हैं।

गिरनार रोपवे गुजरात का चौथा रोपवे है जो लोगों को गिरनार पर्वत पर स्थित मंदिरों तक पहुंचने में मदद करता है। इसका आगमन रोमांचक धार्मिक और दर्शनीय स्थलों की यात्रा का एक और महत्वपूर्ण साधन है, जिससे लोगों को गुजरात के पूर्व में स्थित मंदिरों और दर्शनीय स्थलों की यात्रा करने में मदद मिलती है।

गिरनार रोपवे की ऊंचाई और लंबाई:

3300 फीट की ऊंचाई (Girnar Ropeway Height) पर स्थित गिरनार रोपवे एक रोमांचक रोपवे है जो एशिया का सबसे ऊंचा रोपवे है। यह रोपवे यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाता है और जब वे इसमें बैठते हैं तो ऐसा लगता है जैसे वे आकाश के बीच में हैं।

गिरनार रोपवे की कुल लंबाई 2.3 किलोमीटर (Girnar Ropeway Length) है, जिससे यात्री महज 7.5 मिनट में अपने गंतव्य तक पहुंच सकते हैं। इस रोपवे की शुरुआत में कुल 24 केबिन (ट्रॉलियां) जोड़ी गई हैं, जो प्रत्येक 8 लोगों को ले जाने में सक्षम हैं। इसमें एक यात्रा में कुल 192 यात्री यात्रा कर सकते हैं, जिससे यात्रियों के लिए गिरनार पर्वत की ऊंचाइयों तक पहुंचना बहुत आसान हो जाता है।

यह रोपवे यात्रियों को गिरनार पर्वत की ऊंचाइयों को आसानी से पार करने का अवसर प्रदान करता है और इसके माध्यम से वे इतनी ऊंचाई से गिरनार पर्वत के शिखर तक पहुंच सकते हैं। इस रोपवे की खासियत यह है कि यह पूरे साल खुला रहता है (Girnar Ropeway Timing), यानी यात्री इसका उपयोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक कभी भी कर सकते हैं, जिससे सुबह से शाम तक गिरनार पर्वत के दृश्य का आनंद लिया जा सकेगा।

इस रोपवे में प्रति ट्रॉली में 8 यात्री बैठ सकते हैं, और ट्रॉली की गति प्रति सेकंड 5 मीटर होगी। दो ट्रॉली के बीच का अंतर 36 सेकंड होगा, जिससे एक से दूसरे स्टेशन तक कुशलता से यात्रा की जा सकेगी। 1 घंटे में इस रोपवे के माध्यम से 800 यात्री जा सकेंगे, जो एक मध्यम से व्यस्त दिन के दौरान बहुत सारे लोगों को गिरनार पर्वत तक पहुँचने की सुविधा प्रदान करेगा।

लोअर स्टेशन से अपर स्टेशन तक पहुँचने में केवल 7 मिनट 40 सेकंड की आवश्यकता होगी, जिससे यात्रीगण को तेज़ और सुविधाजनक यात्रा का आनंद मिलेगा। इस रोपवे के टॉवर बिल्कुल नए हैं, और हर टॉवर के बीच इनकी ऊँचाई 7 से 8 मंजिल तक है, जो यात्रीगण को पर्वतीय क्षेत्र के माध्यम से सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा की सुनिश्चित करता है।

इस रोपवे प्रोजेक्ट में, आधुनिक मोनो केबल तकनीक (Modern mono cable technology) का प्रयोग किया गया है, जिससे यात्रीगण को सुरक्षित और तेज रूप से ऊँचाइयों की ओर ले जाया जा सकता है। इस रोपवे की डिज़ाइन वायुगति (Aerodynamics) के आधार पर की गई है, जिससे यात्रीगण को तेज और सुविधाजनक यात्रा का आनंद मिलता है।

इस रोपवे में दो ट्रोलियों के बीच का अंतर 216 मीटर होता है, अर्थात् जब एक ट्रोली 216 मीटर आगे बढ़ती है, तो दूसरी ट्रोली भी उसी समय रवाना होती है। यह अनुकूलन करके यात्रीगण को सुनिश्चित करता है कि वे अपनी यात्रा को अंतररूप से संचालित कर सकते हैं और यात्रा की दुर्घटना नहीं होता है।

गिरनार रोपवे आसपास के आकर्षण

गिरनार पर्वत एक महत्वपूर्ण पर्वत और धार्मिक स्थल माना जाता है, जो भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का हिस्सा है, और ये स्थल पहाड़ की प्राकृतिक सुंदरता की भव्यता को उजागर करते हैं। मां अम्बे का मंदिर गिरनार पर्वत पर स्थित है, जो मां शक्ति की पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यहां के मंदिर वार्षिक मेलों के लिए प्रसिद्ध हैं और लाखों भक्त यहां मां अंबे की पूजा करने आते हैं।

इसके अलावा, गोरखनाथ शिखर और गुरु दत्तात्रेय शिखर भी गिरनार पर्वत पर स्थित हैं, और ये स्थल गोरखनाथ और गुरु दत्तात्रेय के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण हैं। यहां ध्यान और तपस्या के लिए एकांत और शांति का अद्भुत वातावरण है।

इस पर्वत पर जैन मंदिर भी स्थित हैं और यहां के जैन मंदिर गुजरात के जैन समुदाय के लिए महत्वपूर्ण हैं। यहां के मंदिर जैन धर्म के महत्वपूर्ण स्थल हैं और मान्यता के अनुसार, तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ ने यहां ध्यान किया था।

इन सभी धार्मिक स्थलों के साथ-साथ गिरनार पर्वत की प्राकृतिक सुंदरता भी बेजोड़ है और शिखर से आपको आसपास के क्षेत्र के मनोरम दृश्यों का आनंद लेने का मौका मिलता है। गिरनार पर्वत के आसपास की प्राकृतिक सुंदरता और वन्य जीवन भी पहाड़ पर एक अनूठा अनुभव पैदा करते हैं जिससे लोग आकर्षित होते हैं।

गिरनार रोपवे का उद्घाटन किसने और कब किया?

गुजरात के जूनागढ़ में गिरनार रोपवे का उद्घाटन 24 अक्टूबर 2020 को भारत के माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) द्वारा किया गया था। इस रोपवे के उद्घाटन से पूरे देश में खुशी का माहौल था, क्योंकि यह रोपवे लोगों को इस ऊंचे पहाड़ पर चढ़ने में काफी मदद कर रहा है।

आजकल गिरनार रोपवे परिवहन और पर्यटन का एक महत्वपूर्ण साधन है और यह पहाड़ी क्षेत्र में चढ़ाई करने वाले लोगों के लिए एक आसान और सुरक्षित विकल्प प्रदान करता है। इसके माध्यम से लोग प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इस स्थान पर पहुंचकर इसके मानवीय और पर्वतीय संसाधनों का आनंद ले सकते हैं और यह पर्यटकों के लिए एक अनोखा अनुभव पैदा करता है।

गिरनार रोपवे का इतिहास

गिरनार पर्वत भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जहाँ माँ अम्बे का मंदिर, गोरखनाथ शिखर, गुरु दत्तात्रेय का शिखर और जैन मंदिर स्थित हैं। पहले इस पर्वत तक पहुंचने के लिए लोगों को एक हजार सीढ़ियां चढ़नी पड़ती थीं, लेकिन इस समस्या को देखते हुए 1983 में टूरिज्म कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Tourism Corporation Limited) ने गिरनार रोपवे प्रोजेक्ट (Girnar Ropeway Project) का सुझाव दिया था।

शुरुआत में इस परियोजना के लिए 22 एकड़ वन भूमि का सुझाव दिया गया था, लेकिन गुजरात सरकार ने इसे घटाकर 18 एकड़ कर दिया। अंततः, 1995 में, इस परियोजना को भारत सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गई।

इस प्रोजेक्ट की शुरुआत में वहां के पालकी चालकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि इस रोपवे के निर्माण से उनकी आजीविका पर काफी असर पड़ेगा। पालकी चालक अपनी पालकी में यात्रियों को लेकर इन सीढ़ियों को पार करते थे और उन्हें इस काम के लिए एक निश्चित शुल्क देना पड़ता था, जिससे उन्हें रोजगार पाने में मदद मिलती थी।

लेकिन रोपवे के निर्माण के बाद, इन पालकी चालकों द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी गई, जिससे इन व्यक्तियों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में आधिकारिक निर्णय लिया गया।

FAQ – Girnar Ropeway Kya Hai

गिरनार रोपवे कहाँ स्थित है?

गिरनार रोपवे भारत के गुजरात राज्य में स्थित है। यह रोपवे जूनागढ़ शहर के पास गिरनार पर्वत पर स्थित है, जो गुजरात के प्रमुख पहाड़ों में से एक है और माँ अम्बे मंदिर, गोरखनाथ शिखर, गुरु दत्तात्रेय शिखर और जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।

गिरनार रोपवे का उद्घाटन किसने और कब किया?

जूनागढ़ गिरनार रोपवे का उद्घाटन 24 अक्टूबर 2020 को भारत के माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया।

गिरनार रोपवे की लंबाई कितनी है?

गिरनार रोपवे की कुल लंबाई 2.3 किलोमीटर है। इस रोपवे के जरिए यात्री गिरनार पर्वत की ऊंचाई को महज 7.5 मिनट में पार कर सकते हैं।

गिरनार रोपवे को बनाने में कितनी लागत आई है?

गिरनार रोपवे परियोजना की आधुनिक तकनीक के कारण, इसकी निर्माण लागत 130 करोड़ रुपये तक होने का अनुमान है। यह आंकड़ा रोपवे निर्माण के विभिन्न पहलुओं, जैसे बुनियादी ढांचे, तकनीकी सुविधाओं और प्रबंधन से जुड़े विभिन्न खर्चों को कवर करता है।

गिरनार रोपवे टिकट कितने का है?

सिर्फ एक बार इस्तेमाल के लिए किराया 400 रुपये है और आने-जाने दोनों के लिए किराया 700 रुपये तय किया गया है।

निष्कर्ष (Final Words): Girnar Ropeway in Hindi

इस परियोजना (गिरनार रोपवे) के माध्यम से गिरनार पर्वत के दर्शनीय स्थलों तक पहुंचना सुविधाजनक और आसान बना दिया गया है, जिससे लोग अब प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस स्थान का आनंद आसानी से ले सकते हैं।

इस परियोजना के माध्यम से प्राकृतिक सौंदर्य के इस महत्वपूर्ण स्थल तक सुरक्षित और सुविधाजनक पहुंच प्रदान करने का प्रयास किया गया और अब यह यात्रियों को गिरनार पर्वत के दृश्यों का आसानी से आनंद लेने में मदद कर रहा है।

तो दोस्तों, हम उम्मीद करते हैं कि आपको ‘गिरनार रोपवे से जुड़ी जानकारी (Girnar Ropeway Kya Hai)‘ पसंद आई होगी। यदि आपके पास इससे जुड़ा कोई सवाल हो, तो कृपया हमें कमेंट बॉक्स में पूछें, और साथ ही यह भी बताएं कि आपको यह जानकारी कैसी लगी। इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करना न भूलें। हमारा Facebook पेज भी जरूर लाइक करें।

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