गिरगिट की तरह रंग बदलना का अर्थ – Girgit Ki Tarah Rang Badalna Muhavare Ka Matlab
गिरगिट की तरह रंग बदलना मुहावरे का अर्थ | अपने व्यक्तिगत हितों के अनुसार अपना मन बदलना |
गिरगिट की तरह रंग बदलना मुहावरे का अर्थ
Girgit Ki Tarah Rang Badalna Muhavre Ka Arth – गिरगिट की तरह रंग बदलना मुहावरे का अर्थ है अपने व्यक्तिगत हितों के अनुसार अपना मन बदलना, सिद्धांतहीन होना।
गिरगिट की तरह रंग बदलना मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग
Girgit Ki Tarah Rang Badalna Muhavre Ka Vakya Prayog
#1. वाक्य प्रयोग: भारत के कुछ राजनीतिक नेता गिरगिट की तरह रंग बदलने के लिए कुख्यात हैं क्योंकि वे चुनावी वादों पर कायम नहीं रहते है।
#2. वाक्य प्रयोग: जब भी शिक्षक केशव से होमवर्क न करने का कारण पूछते है तो वह गिरगिट की तरह रंग बदलने लगता है और उल्टे-सीधे बहाने बनाने लगता है।
#3. वाक्य प्रयोग: चालाक चीन पर भरोसा करना सुरक्षा की दृष्टि से देश के लिए हानिकारक है क्योंकि वह अपने फायदे के हिसाब से गिरगिट की तरह रंग बदलता है।
#4. वाक्य प्रयोग: ये मौसम भी गिरगिट की तरह रंग बदलने लगा है, कभी धूप तो कभी अचानक बारिश हो जाती है।
#5. वाक्य प्रयोग: रीना गिरगिट की तरह रंग बदलने में माहिर है, वह अपने फायदे के लिए किसी को भी नुकसान पहुंचा सकती है और अपमान भी कर सकती है।
मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।
प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।
मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।
मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।
मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।
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