घोड़े बेचकर सोना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग (Ghode Bech Kar Sona Muhavara)

Ghode Bech Kar Sona Muhavare Ka Matlab

घोड़े बेचकर सोना का अर्थ – Ghode Bech Kar Sona Muhavare Ka Matlab

घोड़े बेचकर सोना मुहावरे का अर्थगहरी नींद सोना
Ghode Bech Kar Sona

घोड़े बेचकर सोना मुहावरे का अर्थ

Ghode Bech Kar Sona Muhavre Ka Arth – घोड़े बेचकर सोना मुहावरे का अर्थ होता है गहरी नींद सोना या निश्चित होना।

घोड़े बेचकर सोना मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग

Ghode Bechkar Sona Muhavre Ka Vakya Prayog

#1. वाक्य प्रयोग: कुम्भकरण पुरे 6 महीने तक घोड़े बेचकर सोता रहता था, जिसे जगाना बहुत मुश्किल कार्य होता था।

#2. वाक्य प्रयोग: 12वीं की परीक्षा देने के बाद नींद से बेहाल राजेश निश्चिंत हो गया और अब वह घोड़े बेचकर सोने लगा।

#3. वाक्य प्रयोग: कठिन तपस्या के बाद जब व्यक्ति को अपना लक्ष्य प्राप्त हो जाता है तो वह घोड़े बेचकर सोने लगता है।

#4. वाक्य प्रयोग: व्यस्तता के कारण रानी ने पिछले कई दिनों से अच्छी नींद नहीं ली थी, जिसके बाद डॉक्टर ने उन्हें नींद की दवा दी, जिसके बाद अब सीता घोड़े बेचकर सोने लगी हैं।

#5. वाक्य प्रयोग: बाजार में दोपहर तक ही सारे घड़े बेचने के बाद कुम्हार वही अपनी दुकान में घोड़े बेच कर सो गया।

#6. वाक्य प्रयोग: इधर शोर से मेरी नींद उड़ जाती है और उधर मकान मालिक घोड़े बेचकर सोता रहता है।

मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।

प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।

मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।

मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।

मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।

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