गर्व में चूर होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग (Garv Mein Choor Hona Muhavara)

Garv Mein Choor Hona Muhavare Ka Matlab

गर्व में चूर होना का अर्थ – Garv Mein Choor Hona Muhavare Ka Matlab

गर्व में चूर होना मुहावरे का अर्थअहम में भर जाना

गर्व में चूर होना मुहावरे का अर्थ

Garv Mein Choor Hona Muhavre Ka Arth – गर्व में चूर होना मुहावरे का अर्थ है अहंकार से भर जाना, बहुत घमंडी बन जाना, अत्यधिक अभिमान होना।

गर्व में चूर होना मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग

Garv Mein Choor Hona Muhavre Ka Vakya Prayog

#1. वाक्य प्रयोग: गोपाल ने एक ओवर में लगातार छह छक्के जड़ तो दिए, लेकिन इस उपलब्धि से वह गर्व में चूर हो गया और अब बाकि खिलाड़ियों को तुच्छ समझने लगा। 

#2. वाक्य प्रयोग: रोशन सर एक ज्ञानी शिक्षक है लेकिन वह अपने गर्व में चूर रहते है जिसके कारण कोई भी छात्र उन्हें पसंद नहीं करता ।

#3. वाक्य प्रयोग: क्लास में मॉनिटर बनते ही विकास गर्व में चूर हो गया और बेवजह बाकी छात्रों पर धौंस जमाता रहता है।

#4. वाक्य प्रयोग: चुनाव में मिली जीत से गर्व में चूर नेताजी ने अपने ही निष्ठावान कारकर्ताओं को अपशब्द कह दिए। 

#5. वाक्य प्रयोग: यह तो सत्य है की गर्व में चूर रहने वाले लोगों के ज्यादा दोस्त नहीं होते।

मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।

प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।

मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।

मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।

मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।

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