म्यांमार (बर्मा) एक ऐसा देश है जो वास्तव में अपने अनूठे, स्वस्थ और सुगंधित सलाद के लिए भी जाना जाता है. म्यांमार उन कुछ देशों में से एक है जहां चाय को एक पेय के रूप में और खाद्य व्यंजन के रूप में, मसालेदार या किण्वित चाय के रूप में खाया जाता है, जो इस क्षेत्र के लिए अद्वितीय है.
म्यांमार मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व एशिया का सबसे बड़ा देश है और क्षेत्रफल के हिसाब से एशिया का 10 वां सबसे बड़ा देश है.
म्यांमार में मछलियों और स्तनधारियों की एक विस्तृत श्रृंखला पाई जाती है, लेकिन संभवतः इसकी असली पहचान हाथियों, समुद्री गायों, जंगली भैंसों, बाघों और तेंदुओं से होती है. यहां पाई जाने वाली पक्षियों की 800 से अधिक प्रजातियां इसे एक पक्षीविज्ञानी का स्वर्ग बनाती हैं.
अंग्रेजों ने 1824 से 1948 तक अपने शासनकाल के दौरान ‘म्यांमार’ को ‘बर्मा’ के नाम से सम्बोधित किया था. बर्मा नाम प्रमुख ‘बमर’ जातीय समूह से लिया गया है, जो म्यांमार की आबादी का 70% हिस्सा है.
संक्षेप में, बर्मा पुराना नाम है और म्यांमार नया नाम है.
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#1. म्यांमार में, आप चाय खा सकते हैं:
थोड़ा अजीब लगता है ना? लेकिन म्यांमार में आप चाय को एक पेय के रूप में नहीं बल्कि सलाद के रूप में खा भी सकते हैं.
म्यांमार में, देश का सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध व्यंजन ‘लाहपेट थोह ( Lahpet Thoke )’ सलाद है, इस व्यंजन को ‘लाहपेट ( Lahpet ) ‘ यानि मसालेदार या किण्वित चाय की पत्तियों से बनाया जाता है.
अब जब इन बहुविध पत्तियों से बने स्वादिष्ट व्यंजन खाए जा सकते हैं, तो इन पत्तियों को पेय पदार्थों तक सीमित क्यों रखें?
#2. म्यांमार में हैं गौतम बुद्ध के अवशेष:
म्यांमार के दक्षिण-पूर्व में थुवानबुमी में स्थित स्तूप को ‘श्वेडागोन पैगोडा’ के नाम से जाना जाता है, माना जाता है कि यह सबसे पवित्र स्थल है, और इस स्थान पर महात्मा गौतम बुद्ध के बालों को जतन किया गया है.
किंवदंती के अनुसार, 2,500 साल पहले म्यांमार के ओकलापा नगर (वर्तमान यांगून) के दो व्यापारी भाई भारत यात्रा पर आये थे और गौतम बुद्ध से मिले थे. बुद्ध ने उन्हें अपने आठ बाल दिए और उन्हें ओकलापा की एक पहाड़ी पर उसी स्थान पर स्थापित करने के लिए कहा, जहां बुद्ध के अंतिम तीन पुनर्जन्मों के अवशेष दफन थे.
दोनों भाई म्यांमार लौट आए और अपने राजा को बुद्ध के अवशेष भेंट किए, उन्होंने अन्य अवशेषों के साथ बुद्धा के बालों को ‘श्वेडागोन पैगोडा’ स्तूप में प्रतिष्ठापित किया.
#3. ‘श्वेदागोन पगोडा’ को हीरों से सजाया गया है:
यह झिलमिलाता हुआ स्वर्ण स्तूप न केवल पूरी तरह से सोने की सैकड़ों परत से ढका है, बल्कि इसका शिखर भाग भी 4,500 से अधिक हीरों से सजा हुआ है. शिखर पर सजा सबसे बड़ा हीरा, 72 कैरेट का है.
यांगून का ‘श्वेदागोन पगोडा’ स्पष्ट रूप से धार्मिक दुनिया के आश्चर्यों में से एक है और वास्तुकला, मूर्तियों और मूर्तिकला कला के सर्वश्रेष्ठ खजाने में से एक है.
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#4. धूमधाम से होती है नए साल की शुरुआत:
म्यांमार में बौद्ध नव वर्ष जो आमतौर पर अप्रैल के मध्य में (14-16 अप्रैल के आसपास) शुरू होता है, जिसे थिंग्यान ( Thingyan ) के नाम से जाना जाता है.
नव वर्ष प्रार्थना, प्रसाद, पारंपरिक नृत्य, समारोह और जल उत्सव का बहु-दिवसीय उत्सव होता है, जिसका समापन नए साल में होता है. ‘थिंग्यान’ महोत्सव की तारीखों की गणना बर्मी कैलेंडर के अनुसार की जाती है.
यहां एक दूसरे के सिर पर पानी का छिड़काव करना अतीत की बुराइयों को दूर करने वाला एक रूपक माना जाता है – एक ऐसा रिवाज जो पूर्णतः जल युद्ध के रूप विकसित हुआ है. यह जल युद्ध तोपों, पिस्तौल और बाल्टियों द्वारा खेला जाता है.
#5. म्यांमार की अपनी माप प्रणाली है:
म्यांमार दुनिया के केवल तीन देशों में से एक है जो दशांश प्रणाली ( metric system ) का उपयोग नहीं करता है. देश आज भी माप की अपनी इकाइयों का उपयोग करता है.
यहां की वजन प्रणाली बड़ी पेचीदा है, जिसमें 1 विस (पेइथा) मतलब 1.68 किलोग्राम (3.5 पाउंड) के बराबर है.
#6. आप म्यांमार में दो अलग-अलग मुद्राओं का उपयोग कर सकते हैं:
स्थानीय मुद्रा को ‘क्यात (MMT)’ कहा जाता है, लेकिन जब आप म्यांमार में यात्रा कर रहे होते हैं तो आप अमेरिकी डॉलर का उपयोग भी कर सकते हैं.
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#7. लुंगी को सारोंग के रूप में जाना जाता है:
म्यांमार में, पुरुषों और महिलाओं द्वारा लुंगी पहनना एक सामान्य पोशाख है. पुरुषों की लुंगी को पासो ( paso ) कहा जाता है जो आमतौर पर चारखानेदार , धारीदार या सादे होते हैं, जबकि महिलाओं की लुंगी को हतमें ( htamein ) कहा जाता है जो अधिक उज्ज्वल और रंगीन होती है.
#8. दुनिया में बेहतरीन माणिक म्यांमार में पाए जाते हैं:
मंडाले क्षेत्र में मोगोक और शान राज्य में मोंग सू से अनुपचारित माणिक क्रोमियम में उच्च और लोहे से कम युक्त होते हैं, जिससे उन्हें उच्च प्रतिदीप्ति प्राप्त होती है और जो कि कबूतर के खून के रंग की तरह प्रतिष्ठित होता है.
उन सभी मणिको में से सबसे प्रसिद्ध, ‘Graff Ruby’ नामक अंगूठी है जिसे 2015 में सोथबी की नीलामी में 8.6 मिलियन डॉलर प्राप्त हुए थे, जो की एक नया विश्व रिकॉर्ड है.
#9. धूप से त्वचा की रक्षा के लिए ‘थानका’ का प्रचलन:
जैसे, भारत में, साधु संतो के चेहरे पर चंदन या विभूति से बने लेप होते है, वैसे ही, म्यांमार में, सामान्य लोगों के चेहरे पर एक विशिष्ट लेप के विभिन्न छाप देखे जा सकते हैं.
दरअसल, यह लेप एक विशेष पेड़ की छाल का चूर्ण होता है. स्थानीय लोग इसका उपयोग सूरज के तेज धुप से बचने के लिए सुरक्षा के रूप में करते है और इसे अपने चेहरे पर पोंछते हैं. कुछ का यह भी कहना है कि यह त्वचा के लिए फायदेमंद है और इसमें एंटी-एजिंग गुण होते हैं.
#10. म्यांमार के लोग सोमवार, शुक्रवार या जन्मदिन पर अपने बाल नहीं कटवाते:
बालों को काटने के लिए दिन चुनना भारत में कई लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन म्यांमार में भी, यह बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है.
म्यांमार के निवासी सोमवार, शुक्रवार और जन्मदिन पर अपने बाल काटने से बचते हैं क्योंकि उनका मानना है कि इससे दुर्भाग्य आता है. म्यांमार में, यदि उनके पड़ोस में किसी का अंतिम संस्कार होता है, तो वे पूरे एक हफ्ते तक बाल धोना टालते हैं.
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