विश्व इतिहास की प्रसिद्ध और शक्तिशाली महिला शासक (Famous and powerful women rulers of world history)

Famous and powerful women rulers of world history

जब बात विश्व इतिहास के प्रसिद्ध और शक्तिशाली शासक की होती है तो अक्सर किसी पुरुष का ही नाम सामने आता है. दुनिया में सभी कालखंड में और स्थानों पर हमेशा पुरुषों ने अधिकांश तौर पर शासन किया है. लेकिन कई कारणों से, कुछ ऐसी महिलाएं भी रही हैं, जिन्होंने दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में किसी बड़े साम्राज्यों पर शासन किया है. इन महिला शासकों ने साजिशों और कूटनीतियों का बखूबी सामना किया, राजनीति के सारे दांव-पेंच आज़माए और चुनौतियों से भी अपने साम्राज्यों की रक्षा की. इनमें से अधिकांश महिलाओं को सत्ता पारिवारिक उत्तराधिकारी के तौर पर या परिवार में किसी योग्य पुरुष उत्तराधिकारी के अनुपलब्धता के कारण हासिल हुई. फिर भी, वे असाधारण रूप से शासन करने में कामयाब रही है. आज इस लेख में हम विश्व इतिहास की प्रसिद्ध और शक्तिशाली महिला शासकों की बात करेंगे.

हत्शेपसुत  (Hatshepsut):
मिस्र में क्लियोपेट्रा के शासनकाल से बहुत पहले, हत्शेपसुत ने मिस्र के सत्ता की बागडोर संभाली थी. हत्शेपसुत (1479-1458 ईसा पूर्व) प्राचीन मिस्र की पहली महिला शासक थी. वह 1478 ईसा पूर्व में मिस्र के सिंहासन पर विराजमान हुई. उसने अपने सौतेले बेटे थुटमोस III के साथ बतौर एक राज-प्रतिनिधि के नाते अपना शासन शुरू किया जो उसे सफल और वैधानिक रूप से एक महिला शासनकर्ता के रूप में दर्शाता है. मिस्र में हत्शेपसुत के सम्मान में निर्मित कई प्रमुख मंदिर थे, जिन्हे उसके उत्तराधिकारी और सौतेले बेटे ने उसके शासनकाल को मिटाने के मनसूबे से भंग कर दिए.

क्लियोपेट्रा (Cleopatra):
क्लियोपेट्रा VII (69-30 ईसा पूर्व), जिसे अक्सर “क्लियोपेट्रा” के नाम से जाता है, मिस्र की अंतिम शासक थी. क्लियोपेट्रा का शासनकाल 51-30 ई.पू. तक था. हालाँकि क्लियोपेट्रा वास्तव में ग्रीक थी जो मिस्र की सबसे प्रसिद्ध रानी साबित हुई. क्लियोपेट्रा की व्यक्तिरेखा ज्यादातर रोमन जनरल और राजनेता मार्क एंटनी के साथ अपने प्रेम संबंध के लिए और साथ ही जूलियस सीज़र के साथ उनके पूर्व प्रेम संबंध के लिए जानी जाती हैं. क्लियोपेट्रा कई अलग-अलग भाषाओं में निपुण थी, बताया गया है कि वह दिखने में बहुत ही आकर्षक थी, और एक प्रभावी कूटनीतिज्ञ और प्रशासक थी. क्लियोपेट्रा ने एक बड़े साम्राज्य पर शासन किया, जिसमें मिस्र, साइप्रस, आधुनिक लीबिया का हिस्सा और मध्य पूर्व के अन्य क्षेत्र शामिल थे.

महारानी थियोडोरा (Empress Theodora):
बीजान्टियम की महारानी थियोडोरा, साम्राज्यवाद के इतिहास की संभवतः सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली महिला थी. थियोडोरा ने अपने पति सम्राट जस्टिनियन I के साथ बीजान्टिन साम्राज्य की महारानी के रूप में ईसवी 527 से ईसवी 548 में अपनी मृत्यु तक शासन किया. थियोडोरा ने ईसवी 525 में जस्टिनियन से शादी की और वे दोनों बीजान्टिन इतिहास के सुनहरे दौर के शासक बने. उनके समकालीन लेखकों ने थियोडोरा को अप्रतिष्ठित, और अनैतिक रूप से चित्रित किया, फिर भी, थियोडोरा को सम्राट के एक महत्वपूर्ण समर्थक के रूप में देखा गया और राज्य के मामलों में थियोडोरा के प्रत्यक्ष सहभाग ने उसे बीजान्टियम की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में से एक बना दिया.

अमलसुंथा (Amalasuntha):
अमलसुंथा एक दृढ़ और शक्तिशाली महिला थी, वह जो चाहती थी उसे हासिल कर के ही रहती थी. एक राजा की बेटी होने के नाते, अमलसुंथा अच्छी तरह से शिक्षित थी, और एक सुसंस्कृत महिला थी. अमलसुंथा ने ईसवी 526 से ईसवी 534 तक अपने बेटे के नाबालिक होने के दौरान ओस्ट्रोगोथ्स पर राज-प्रतिनिधि के रूप में और फिर ईसवी 534 से ईसवी 535 तक रानी के रूप में शासन किया. अमलसुंथा ने अपने चचेरे भाई, थियोडोहाद को अपने साथ सिंहासन साझा करने के लिए आमंत्रित करने का फैसला किया, इस उम्मीद से की थियोडोहाद को राजा का खिताब देकर शासन के सभी अधिकार अपने अधीन रखेगी जिससे उसकी स्थिति मजबूत होगी. यह एक बुरा निर्णय था, थियोडोहाद ने उसे पदच्युत कर दिया और उसे मार्टाना द्वीप पर कैद कर दिया, ईसवी 535 में अमलसुंथा की उसके स्नानगृह  में हत्या कर दी गई.

महारानी सुको (Empress Suiko):
जापान के पौराणिक महिला शासकों को साम्राज्ञी कहा जाता था, महारानी सुको जापान पर शासन करने वाली इतिहास की पहली साम्राज्ञी है. सुको के शासनकाल में जापान में बौद्ध धर्म की स्थापना हुई, बौद्ध धर्म का प्रसार और प्रचार हुआ और आधिकारिक तौर पर बढ़ावा दिया गया था, चीनी और कोरियाई संस्कृति के प्रभाव में वृद्धि हुई और, परंपरा के अनुसार, 17-अनुच्छेद वाले संविधान को अपनाया गया.

सेंट ओल्गा (St. Olga):
सेंट ओल्गा, जिसे हेल्गा या कीव की सेंट ओल्गा भी कहा जाता है, रूस की पहली महिला शासक और ईसाई धर्म अपनाने वाली कीव के शासक परिवार की पहली सदस्य थी. ओल्गा अपने नाबालिक बेटे स्वयतोस्लाव के राज-प्रतिनिधि के रूप में एक क्रूर और प्रतिशोधी शासक थी. ओल्गा को राष्ट्र को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के प्रयासों के लिए रूढ़िवादी ऑर्थोडॉक्स चर्च के पहले रूसी संत के रूप में संत घोषित किया गया था साथ ही विधवाओं और धर्मान्तरितों की संरक्षक संत भी घोषित किया गया था.

एक्विटेन की एलेनोर (Eleanor of Aquitaine):
एक्विटेन की एलेनोर, जिसे गाइने की एलेनोर भी कहा जाता है, वह संभवतः 12 वीं शताब्दी की यूरोप की सबसे शक्तिशाली महिला थी. वह फ्रांस के लुई VII  की रानी थी और लुई VII के मृत्यु के बाद इंग्लैंड के हेनरी द्वितीय की रानी बनी. एलेनोर ने अपने अधिकारों के बलबूते एक्विटाइन पर शासन किया और उनके पति या बेटे के अनुपस्थिति में राज-प्रतिनिधि के नाते शासन संभाला.

इसाबेला, स्पेन की रानी (Isabella, Queen of Spain):
इसाबेला प्रथम, उपनाम इसाबेला द कैथोलिक कैस्टिले और आरागॉन की रानी थी. इसाबेला ने अपने पति फर्डिनेंड द्वितीय के साथ 1479 से संयुक्त रूप से दो राज्यों (कैस्टिले और आरागॉन) पर शासन किया. उनके शासन ने इसाबेला के प्रायोजन के तहत क्रिस्टोफर कोलंबस के नेतृत्व में समूचे स्पेन और विदेशी साम्राज्यों को प्रभावित किया. इसाबेला ने क्रिस्टोफर कोलंबस के अभियान को आर्थिक रूप से सहयोग किया, जिससे अमेरिका की खोज हुई.

इंग्लैंड की रानी मैरी प्रथम (Queen Mary I of England):
मैरी I, जिसे मैरी ट्यूडर के नाम से भी जाना जाता है, इंग्लैंड पर अपने अधिकार से शासन करने वाली पहली रानी थी. मैरी प्रथम ने जुलाई 1553 से लेकर मृत्यु तक इंग्लैंड और आयरलैंड पर शासन किया. उसके शासनकाल में इंग्लैंड में रोमन कैथोलिकवाद में सहभागी विरोधियों को उत्पीड़त किया गया और फांसी दी गई, नतीजतन, उसे खूनी मैरी के उपनाम से पहचान प्राप्त हुई.

एलिजाबेथ प्रथम, इंग्लैंड की रानी (Elizabeth I Queen of England):
इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ प्रथम इतिहास की सबसे आकर्षक महिलाओं में से एक थी. उसके छोटे राज्य में विभाजनकारी विद्रोह होते हुए भी एलिजाबेथ ने चतुराई, साहस और राजसी आत्म-प्रदर्शन के बलबूते पर लोगों को प्रेरित किया और देश को विदेशी दुश्मनों के खिलाफ एकजुट कर महत्वपूर्ण योगदान दिया.

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