सरदार वल्लभ भाई पटेल पर हिंदी निबंध – Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi

Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi

Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi – आज के लेख में हम सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध (Short Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi, Long Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi, Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Essay in Hindi, National Unity Day Essay in Hindi) साझा कर रहे हैं। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों एवं सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।

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सरदार वल्लभ भाई पटेल पर लघु निबंध (200 शब्दों में) – Short Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi

सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद नामक गाँव में हुआ था। वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सफलता में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया।

सरदार पटेल का जीवन स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा रहा है और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण क्षणों में भाग लिया था। उन्होंने गांधीजी के नेतृत्व में सत्याग्रह और अहिंसा के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन किया और लोगों को एकजुट होने के लिए प्रोत्साहित किया।

सरदार पटेल का एक और महत्वपूर्ण योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद आया, जब वह भारतीय संघ के एकीकरण के प्रयासों में शामिल हुए। उन्होंने 565 भारतीय रियासतों को एकजुट करने का प्रयास किया, जिससे भारत एकीकृत और एक संघ बन गया। उनके योगदान के बाद उन्हें ‘भारत का लौह पुरुष’ कहा जाने लगा।

सरदार वल्लभभाई पटेल की मृत्यु 15 दिसंबर 1950 को हुई थी। उनकी मृत्यु हृदयाघात के कारण हुई थी, जिसके कारण उनका निधन हो गया।

सरदार पटेल के दृढ़ संकल्प, समर्पण और देशभक्ति ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक महत्वपूर्ण दिशा में आगे बढ़ाया। उनके योगदान और नेतृत्व ने लाखों लोगों को स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया और भारत को एक समृद्ध और एकीकृत राष्ट्र की ओर निर्देशित किया।

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सरदार वल्लभ भाई पटेल पर दीर्घ निबंध (850 शब्दों में) – Long Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi

प्रस्तावना: 

सरदार वल्लभभाई पटेल एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने लोगों को एकजुट किया और अंग्रेजों के खिलाफ प्रतिनिधित्व दिखाई, इसलिए उन्हें “लौह पुरुष” कहा जाता था। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और एकसंघ भारत के एकीकरण के लिए महान कार्य किया।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:

सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम झावेरभाई और माता का नाम लाडबा देवी था। सरदार पटेल अपने परिवार के चौथे और सबसे छोटे बच्चे थे। उन्होंने लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई की और फिर भारत लौटकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे।

स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी: 

सरदार पटेल ने महात्मा गांधी की प्रेरणा से स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। सरदार पटेल ने इस आंदोलन में अपना पहला महत्वपूर्ण योगदान खेड़ा संघर्ष में दिया, जब खेड़ा क्षेत्र सूखे की चपेट में था और वहां के किसानों ने ब्रिटिश सरकार से कर में छूट की मांग की थी।

जब ब्रिटिश सरकार ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया, तो सरदार पटेल, महात्मा गांधी और अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हें कर राहत लेने के लिए प्रोत्साहित किया। इस संघर्ष में सरदार पटेल और उनके साथी स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने साहसी और आत्मनिर्भर स्वभाव का परिचय दिया।

अंततः सरकार को लोगों की मांग सुननी पड़ी और किसानों को कर में छूट मिल गयी। इस घटना से सरदार पटेल के जीवन में स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत हुई, जो उन्हें लोकप्रियता और नेतृत्व की ऊंचाइयों पर ले गई।

ऐसे पड़ा सरदार पटेल नाम:

सरदार पटेल के लिए “सरदार” नाम का प्रयोग पहली बार “बारडोली सत्याग्रह” के बाद किया गया था। यह घटना बारडोली कस्बे में सशक्त सत्याग्रह के लिए महत्वपूर्ण थी और उन्हें इस मुहीम का नेता बनाया गया था। उस समय उन्हें “बारडोली का सरदार” कहा जाता था, जो इस समर्थन और आत्मनिर्भर कार्रवाई का प्रतीक बन गया।

इसके बाद उनके नाम के साथ “सरदार” जुड़ गया और यह नाम जीवन भर सरदार पटेल के साथ रहा। यह नाम उनके महान नेतृत्व, जुझारूपन और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है और उनके योगदान का बहुत सम्मान करता है।

भारत के एकीकरण में सरदार पटेल का योगदान: 

स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, सरदार पटेल को एक महत्वपूर्ण और स्मारकीय प्रक्रिया का सामना करना पड़ा – रियासतों को एकजुट करके अखंड भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देना। उन्होंने भारतीय संघ का निर्माण करते हुए भारत की 565 छोटी रियासतों को एक साथ लाने के लिए एक विलय प्रक्रिया का आयोजन किया।

इस प्रक्रिया के दौरान सरदार पटेल ने रियासतों के राजाओं और उनके प्रतिनिधियों से चर्चा की और उन्हें एक साथ आने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने उन्हें भारतीय संघ का सदस्य बनने के लिए मना लिया क्योंकि इससे उनके राज्यों की सुरक्षा और समृद्धि में मदद मिलेगी और वे अपनी सुरक्षा की गारंटी दे सकेंगे। सरदार पटेल ने उन्हें आश्वस्त किया कि प्रत्येक रियासत के लिए अलग-अलग राज्य बनाने के बजाय, वे मिलकर एक महाशक्ति की तरह रणनीतिक और आर्थिक रूप से मजबूत बन सकते हैं।

उन्होंने रियासतों को भारतीय संघ में शामिल करने को एक महत्वपूर्ण कदम बताया जो उनकी जनता के लिए बेहद फायदेमंद होगा। उन्होंने रियासतों के नेता से सहमति प्राप्त करने के लिए कई अवसर प्रदान किए और संघ बनाने की प्रक्रिया को समझाने का प्रयास किया।

उनकी दृढ़ दृष्टि और उनकी अद्वितीय क्षमता ने रियासतों के नेताओं को एक साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्होंने संघ की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप 15 अगस्त 1947 को भारतीय संघ का गठन हुआ और भारत एक संगठित एवं संगठित राष्ट्र के रूप में स्वतंत्र हुआ। इस प्रक्रिया में सरदार पटेल के नेतृत्व का महत्वपूर्ण योगदान था, जिसने भारत की संख्यात्मक समृद्धि और एकता को बढ़ावा दिया।

इस व्यापक एकीकरण प्रक्रिया ने भारत को एक बड़े और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में आज़ाद कराया और सरदार पटेल को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नेता के रूप में स्वीकार किया गया।

सरदार वल्लभ भाई पटेल का निधन:

महात्मा गांधी की हत्या से सरदार पटेल को गहरा सदमा लगा, जिससे उनकी दिनचर्या काफी प्रभावित हुई। इस सदमे को उन्होंने बहुत गहराई से महसूस किया और इस दुखद समय में उनका स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ने लगा।

1950 में, सरदार पटेल का स्वास्थ्य गंभीर रूप से खराब हो गया और उनमें हृदय संबंधी समस्याओं के लक्षण दिखने लगे। अगले दिन, उन्हें एक और दिल का दौरा पड़ा और अस्पताल में उनकी देखभाल की गई। दुःखद रूप से 15 दिसम्बर 1950 को सरदार वल्लभभाई पटेल का निधन हो गया।

इस दुखद घड़ी में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नेता इस दुनिया से चले गए, लेकिन उनकी यादें और उनका महत्वपूर्ण योगदान भारतीय इतिहास में कायम है।

उपसंहार:

सरदार वल्लभभाई पटेल ने सच्चाई और निडरता से काम किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी नीति और योगदान से हमें यह सीख मिलती है कि सही कार्य और दृढ़ संकल्प से हम किसी भी स्थिति का सामना कर सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। सरदार पटेल का जीवन हमें सिखाता है कि संघर्ष और सतत प्रयास ही वास्तविक काम आ सकते हैं। उनके महान योगदान के कारण, हम उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक नेता “लौह पुरुष” के रूप में याद करते हैं।

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सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती पर निबंध – Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Essay in Hindi

भारत रत्न, लौह पुरुष और राष्ट्रीय एकता के वास्तुकार कहे जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पूरे भारत में बड़े सम्मान के साथ मनाई जाती है। उन्होंने उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके प्रयासों से भारतीय एकता और अखंडता को मजबूती मिली। उनकी जयंती के अवसर पर भारतीय समाज उनकी महानता को याद करता है और उनके योगदान का सम्मान करता है।

सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम झावेरभाई और माता का नाम लाडबा देवी था। सरदार पटेल का जन्म उनके तीन भाइयों और दो बहनों के साथ एक साधारण किसान परिवार में हुआ था।

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कार्टर पब्लिक स्कूल, गुजरात से प्राप्त की और फिर वल्लभ विद्यालय, अहमदाबाद में अपनी शिक्षा जारी रखी। उन्होंने विशेष रूप से अपना ध्यान धर्म, साहित्य और सामाजिक मुद्दों की ओर लगाया।

अपनी शिक्षा के बाद सरदार पटेल ने वकील बनने के लिए लंदन जाने का फैसला किया और वहां से कानून की पढ़ाई की। वह एक प्रतिष्ठित वकील बने और विशेष प्राइमिनियम मामलों में अपने कौशल के लिए प्रसिद्ध हुए।

महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर सरदार पटेल ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। स्वतंत्रता संग्राम में सरदार पटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में था, जब वे खेड़ा क्षेत्र में भूखे किसानों की मदद करने आये थे। उन्होंने किसानों की मांगों के लिए उनके साथ संघर्ष किया और उन्हें ब्रिटिश सरकार से कर में छूट पाने के लिए प्रेरित किया।

सरदार पटेल ने 1928 में बारडोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया, जो खेड़ा संघर्ष के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण क्षणों में से एक था। उन्होंने अपने साहसी नेतृत्व से ब्रिटिश सरकार के खिलाफ किसानों की आवाज उठाई और उनके अधिकारों की रक्षा की।

बारडोली सत्याग्रह के बाद, सरदार पटेल को “सरदार” की उपाधि मिली, जो उनके नाम के साथ जुड़ गई और उन्हें विश्वास के रूप में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए प्रसिद्ध किया गया। सरदार पटेल को “लौह पुरुष” और “भारत का बिस्मार्क” भी कहा जाता है।

सरदार वल्लभभाई पटेल एक सकारात्मक और साहसी वक्ता थे। उन्होंने अपने विचार स्पष्ट एवं निर्भीक ढंग से व्यक्त किये। अपने जीवनकाल में जब भी वे गांधी जी और जवाहर लाल नेहरू से असहमत होते थे तो खुलकर अपने विचार व्यक्त करते थे।

1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, जब गांधीजी और कई अन्य नेताओं ने संघर्ष में शामिल होने का फैसला किया, तो उन्हें तीन साल की कैद का सामना करना पड़ा।

आज़ादी के बाद अधिकांश प्रांतीय समितियाँ सरदार पटेल के पक्ष में थीं। महात्मा गांधी की इच्छानुसार सरदार पटेल ने स्वयं को प्रधानमंत्री पद की दौड़ से दूर रखा और पंडित जवाहरलाल नेहरू के समर्थन में आ गये। 

बाद में उन्हें उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री के पद पर नियुक्त किया गया, जिसके बाद उनकी प्राथमिकता भारत के साथी राज्यों को एकीकृत करना था। यह काम उन्होंने बिना किसी बड़े झगड़े या संघर्ष के किया।

हालाँकि, हैदराबाद में “ऑपरेशन पोलो” के संदर्भ में सैनिकों को भेजना पड़ा, जिसके कारण एक बड़ा संघर्ष हुआ। सरदार पटेल के महत्वपूर्ण योगदान के कारण उन्हें “भारत का लौह पुरुष” कहा जाता है। उनके योगदान और संघर्ष ने भारतीय संघ की एकता को मजबूत किया।

सरदार पटेल की जयंती के अवसर पर विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में सरदार पटेल की जीवनी, कार्यों और योगदान पर आधारित प्रश्नोत्तरी, निबंध और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इसके माध्यम से छात्रों को सरदार पटेल के जीवन और योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने का अवसर मिलता है।

इन प्रतियोगिताओं में सरदार पटेल के विचारों और महत्वपूर्ण भूमिका के प्रति अपने समर्पण और समझ का प्रदर्शन करने वाले विजेता छात्रों को पुरस्कार दिए जाते हैं। इसके माध्यम से सरदार पटेल के आदर्शों को महत्वपूर्ण बनाने का प्रयास किया जाता है और छात्रों को उनकी महानता की महत्वपूर्ण भूमिका से अवगत कराया जाता है।

सरदार पटेल की जयंती पर देशभर में “रन यूनिटी” कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन अन्य कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं जिनमें सरदार पटेल की जीवनी, उनके महान व्यक्तित्व, उनके ओजस्वी विचार, स्वतंत्रता संग्राम, राष्ट्र निर्माण और एकीकरण में उनके योगदान पर चर्चा की जाती है। ये कार्यक्रम लोगों को सरदार पटेल के महत्वपूर्ण योगदानों से अवगत कराते हैं और उनकी महानता की महत्वपूर्ण भूमिका को समझने में मदद करते हैं।

“रन यूनिटी” के माध्यम से लोग एक साथ आते हैं और राष्ट्रीय एकता और अखंडता के महत्व को बढ़ावा देने का संदेश देते हुए इस महान नेता के आदर्शों का पालन करते हैं। सरदार पटेल के योगदान को मनाने के लिए इस दिन का आयोजन लोगों को एक साथ आने और उनके आदर्शों का पालन करने का अवसर प्रदान करता है।

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राष्ट्रीय एकता दिवस पर हिंदी निबंध – National Unity Day Essay in Hindi

“बिस्मार्क” और “लौह पुरुष” के नाम से मशहूर सरदार पटेल को भारत की 565 रियासतों के विलय के लिए जाना जाता है। वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नेता थे, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख व्यक्ति एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। सरदार पटेल के अद्वितीय योगदान ने भारत को एकता और अखंडता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद उन्होंने पूरे देश को एकजुट करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। राष्ट्रीय एकता के प्रति सरदार पटेल का योगदान महत्वपूर्ण माना जाता है और उनकी जयंती को “राष्ट्रीय एकता दिवस” के रूप में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय एकता दिवस पहली बार 2014 में आयोजित किया गया था। इस दिन को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के रूप में मनाया गया और यह भारतीय समाज में राष्ट्रीय एकता और एकीकरण के लिए समर्पित करने का एक महत्वपूर्ण दिन बन गया। 

राष्ट्रीय एकता दिवस के दौरान, सरदार पटेल के जीवन, कार्यों और योगदान पर चर्चा करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम और समारोह आयोजित किए जाते हैं। यह दिन भारतीय राष्ट्रीय एकता की अद्भुतता का जश्न मनाने का अवसर है और इसके आदर्शों को आगे बढ़ाने का प्रतीक है।

आजादी के बाद भारत के एकीकरण में सरदार पटेल का योगदान बेहद महत्वपूर्ण था, इसलिए उन्हें राष्ट्रीय एकता का प्रमुख समर्थक और अग्रदूत माना जाता है। स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत को एक विशेष स्वरूप में एकीकृत करने के लिए उनके प्रयासों और योगदान को महत्वपूर्ण माना जाता है।

सरदार पटेल का जन्मदिन पूरे भारत में “राष्ट्रीय एकता दिवस” ​​के रूप में मनाया जाता है, एक ऐसा दिन जब लोग एकता की भावना को मजबूत करने और उनके योगदान को समर्पित करने के लिए उनकी स्मृति को याद करते हैं। 

इस दिन के माध्यम से लोग सरदार पटेल की महत्वपूर्ण भूमिका के प्रति कृतज्ञता और समर्पण दिखाते हैं, और उनके योगदान की महत्वपूर्ण भूमिका को साझा करते हैं। 

सरदार पटेल जी का निधन 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में हुआ। उनका आकस्मिक निधन देश और उनके समर्थकों के लिए एक बड़ी क्षति थी, क्योंकि उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान और स्वतंत्रता के बाद देश के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

1991 में सरदार पटेल को उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया, जो उनके योगदान की एक महत्वपूर्ण पहचान है। इसके बाद, उन्हें “लौह पुरुष” के रूप में जाना जाता है और उनकी जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो भारतीय एकता और अखंडता को साझा करने का अवसर प्रदान करता है। वह एक महान भारतीय नेता थे जिनके योगदान को आज भी याद किया जाता है और देश के “लौह पुरुष” के रूप में उनका समर्थन और सम्मान किया जाता है।

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