रक्षा बंधन पर निबंध – Raksha Bandhan Essay in Hindi

रक्षा बंधन पर निबंध - Essay On Raksha Bandhan In Hindi

Essay On Raksha Bandhan In Hindi – रक्षा बंधन पर छोटे-बड़े निबंध हिंदी में | रक्षा बंधन पर 10 लाइन हिंदी में (Short and big essay on Raksha Bandhan in Hindi. 10 lines on Raksha Bandhan in Hindi) | रक्षा बंधन पर्व क्यों मनाया जाता है? Why is Raksha Bandhan celebrated?

प्रस्तावना:

भारत विविध सांस्कृतिक और धार्मिक त्योहारों से भरा देश है। यहां हर छोटा-बड़ा त्योहार बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भारत के विभिन्न प्रमुख त्यौहारों में से “रक्षाबंधन” भी एक प्रमुख त्यौहार है जो पूरे देश में मनाया जाता है।

रक्षाबंधन हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसे “राखी का त्योहार” भी कहा जाता है। राखी का यह पवित्र त्यौहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस त्योहार के मौके पर बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और बदले में भाई जीवन भर उनकी रक्षा करने का वादा करता है।

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के बीच प्यार और स्नेह का प्रतीक है। यह त्यौहार भारतीय भाई-बहनों के लिए बहुत खास दिन है क्योंकि यह त्यौहार भाई-बहनों के एक-दूसरे के प्रति स्नेह, सहयोग और सद्भाव को दर्शाता है। रक्षाबंधन के दिन सभी बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और मिठाई खिलाती हैं और भगवान से उनकी सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं।

रक्षा बंधन पर निबंध

रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ है – रक्षा करने वाला बंधन। रक्षाबंधन के त्यौहार से कुछ दिन पहले से ही बाजार में रौनक आ जाती है, मिठाई की दुकानों में मिठाई खरीदने वालों की भीड़ लग जाती है और बाजार में रंग-बिरंगी और बेहद खूबसूरत राखियां नजर आने लगती हैं। सभी बहनें बड़े स्नेह से अपने भाइयों के लिए राखी खरीदती हैं और सभी भाई अपनी बहनों के लिए राखी उपहार खरीदते हैं। इस दिन हर घर में तरह-तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं।

रक्षा बंधन कब मनाया जाता है?

रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते को दर्शाने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से हिंदू और जैन समाज में हर साल श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। चूँकि यह त्यौहार श्रावण (सावन) माह में मनाया जाता है इसलिए इसे श्रावणी (सावनी) या सलोनो भी कहा जाता है।

रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है?

हर साल सभी बहनें रक्षाबंधन के त्योहार का बेसब्री से इंतजार करती हैं। भाई जहां भी होते हैं, रक्षाबंधन के दिन अपनी बहनों से राखी बंधवाने के लिए वहीं पहुंच जाते हैं।

इस दिन लड़कियां और महिलाएं सुबह स्नान करने के बाद पूजा की थाली सजाती हैं, जिसमें रोली या हल्दी, चावल, दीपक, फूल और मिठाई के साथ राखी भी शामिल होती है। लड़के और पुरुष तैयार होकर अपनी बहनों से टीका लगवाने के लिए पूजा स्थान पर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाते हैं।

सबसे पहले अभीष्ट देवता की पूजा की जाती है, उसके बाद भाई को रोली या कुमकुम से टीका लगाया जाता है, टीके पर चावल लगाए जाते हैं और सिर पर फूल छिड़के जाते हैं, उसकी आरती उतारी जाती है। 

रक्षाबंधन के शुभ दिन पर सभी बहनें अपने भाइयों की दाहिनी कलाई पर पवित्र रेशमी धागा यानी राखी बांधती हैं, उन्हें मिठाई खिलाती हैं और उनके अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई भी अपनी बहनों की हर परिस्थिति में रक्षा करने का संकल्प लेते हैं और उन्हें उपहार या धन देते हैं। इस प्रकार रक्षा बंधन की रस्में पूरी करने के बाद सपरिवार मिष्ठानों और भोजन का आनंद लेते है।

राखियाँ कच्चे सूत जैसी सस्ती वस्तुओं से लेकर रंगीन कलावा, रेशम के धागे और सोने या चाँदी जैसी महंगी वस्तुओं निर्मित हो सकती हैं। 

हालाँकि रक्षाबंधन का प्रचलन इससे भी कहीं अधिक है। राखी बांधना भाई-बहन के बीच सिर्फ एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि इसे एक संकल्प के रूप में भी निभाया जाता है, क्योंकि राखी देश की रक्षा, पर्यावरण की सुरक्षा, हितों की रक्षा आदि के लिए भी बांधी जाती है।

रक्षाबंधन का इतिहास

एक समय की बात है, देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध छिड़ गया। युद्ध में हार के परिणामस्वरूप देवताओं ने अपना सारा राज्य युद्ध में खो दिया। अपना राज-पाठ वापस पाने की इच्छा से देवराज इंद्र देवगुरु बृहस्पति से मदद की गुहार लगाने लगे। इसके बाद श्रावण मास की पूर्णिमा की सुबह देवगुरु बृहस्पति ने निम्न मंत्र से रक्षा विधान संपन्न किया।

“येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामभिवध्नामि रक्षे मा चल मा चलः।”

इस पूजा से प्राप्त सूत्र इंद्राणी ने इंद्र के हाथ पर बांध दिया, जिससे युद्ध में इंद्र की जीत हुई और उन्हें अपना खोया हुआ राज-पाठ वापस मिल गया। तभी से रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा।

रक्षाबंधन का महत्व

यह त्यौहार भाई-बहन के रिश्ते के अटूट बंधन का प्रतीक है। यह भारतीय परंपराओं का एक ऐसा त्योहार है, जो भाई-बहन के स्नेह के साथ-साथ हर सामाजिक रिश्ते को मजबूत बनाता है। इसलिए यह त्योहार भाई-बहन को भावनात्मक रूप से जोड़ने के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी रखता है। रक्षाबंधन सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल और मॉरीशस में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

पुराने समय में सबसे छोटी बेटी अपने पिता को राखी बांधती थी। जिन बहनों के भाई नहीं होते, वे भी अपने मुंहबोले भाइयों को राखी बांधती हैं और उन्हें अपनी रक्षा की जिम्मेदारी सौंपने में कोई झिझक नहीं होती। जिनके भाई दूसरे शहरों और विदेश में रहते हैं, वे बहनें अपने भाइयों को राखी भेजती हैं और उनके भाई भी उपहार भेजते हैं।

निष्कर्ष:

रक्षाबंधन का त्यौहार भारतीय परंपरा का एक ऐसा त्यौहार है, जो न केवल भाई-बहन के स्नेह को बल्कि हर सामाजिक बंधन को भी मजबूत करता है। हिंदू समाज में प्राचीन काल से ही कई परंपराएं चली आ रही हैं जिनका सम्मान आज भी सभी भारतीय करते हैं। इन परंपराओं को हम संस्कृति भी कहते हैं। उसी प्रकार रक्षाबंधन का त्यौहार भी प्राचीन काल से प्रचलित है और हम सभी भारतीय आज भी इस त्यौहार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

रक्षा बंधन पर 10 वाक्य हिंदी में (10 Lines on Raksha Bandhan in Hindi)

रक्षा बंधन पर निबंध - Essay On Raksha Bandhan In Hindi
Raksha Bandhan par 10 vakya Hindi mein
  1. रक्षाबंधन का त्यौहार रक्षा और बंधन के मार्मिक रिश्ते को उजागर करता है।
  2. भाई-बहन का प्यार अनमोल है, जिसे विशेष रूप से रक्षाबंधन के रूप में मनाया जाता है।
  3. रक्षा सूत्र में बांधी गई राखी एक मानसिक और भावनात्मक बंधन को प्रकट करती है।
  4. यह त्यौहार भाई की बहन के प्रति प्रतिबद्धता और सुरक्षा की भावना की पहचान है।
  5. रक्षा बंधन उन रिश्तों की महत्वपूर्ण यादों को ताज़ा करता है जो समय के साथ बदल गए हैं।
  6. राखी का बंधन दर्शाता है कि भाई-बहन के बीच आत्मा के बंधन में स्नेह और समर्पण होता है।
  7. इस अवसर पर भाई अपनी बहन के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त करता है और उसका रक्षक बनने का वादा करता है।
  8. रक्षा बंधन हमें परिवार में सहयोग और समर्पण के महत्व की याद दिलाता है।
  9. भाई के बिना बहन का जीवन अधूरा होता है, और बहन के बिना भाई की जिंदगी अधूरी होती है।
  10. रक्षाबंधन का यह मधुर और आदरपूर्ण त्योहार भाई-बहन के रिश्ते के महत्व को दर्शाता है।

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