Rashtriya Ekta Diwas Par Nibandh / National Unity Day Essay in Hindi – आज के लेख में आप जानेंगे कि राष्ट्रीय एकता दिवस क्यों मनाया जाता है? राष्ट्रीय एकता दिवस का क्या महत्व है?
भारत में हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) मनाया जाता है. सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) की याद में उनके जन्मदिन पर राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है.
यह विशेष दिन भारत की राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है. सरदार वल्लभभाई पटेल को स्वतंत्र भारत की राष्ट्रीय एकता के सबसे बड़े शिल्पकार माना जाता है.
सरदार जी को “लौह पुरुष (Iron Man)” की उपाधि से भी जाना जाता है. इतना ही नहीं उन्हें आधुनिक अखिल भारतीय सेवा प्रणाली की स्थापना के लिए भारत के सिविल सेवकों के संरक्षक संत (Patron saint of India’s civil servants) के रूप में भी याद किया जाता है.
आजादी के बाद जब भारत को कई टुकड़ों में बांटने का संकट खड़ा हो गया था, तो उस समय सरदार वल्लभ भाई पटेल ही थे जिन्होंने अपने महान योगदान से पूरे भारत को एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया.
तो आज इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे राष्ट्रीय एकता दिवस क्यों मनाया जाता है? Rashtriya Ekta Diwas par Nibandh, Essay on National Unity Day in Hindi.
राष्ट्रीय एकता दिवस क्यों मनाया जाता है? Why is National Unity Day celebrated?
राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर को पूरे भारत में राष्ट्रीय स्तर (National level) पर मनाया जाता है. यह दिन भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें भारत का “लौह पुरुष” कहा जाता है, की याद में उनके जन्मदिन पर मनाया जाता है.
यह दिन भारत की राष्ट्रीय एकता (National unity) का प्रतीक है और सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान का प्रतीक है. राष्ट्रीय एकता के बारे में भारतीय जनता को जागरूक करने और भारत की एकता में सरदार वल्लभ भाई पटेल के योगदान को श्रद्धांजलि देने के लिए पूरे भारत में इस दिन को बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है.
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भारत में “राष्ट्रीय एकता दिवस” की शुरुआत कब हुई? When was the “National Unity Day” started in India?
राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत सबसे पहले 31 अक्टूबर 2014 को हुई थी. भारत की तत्कालीन केंद्र सरकार ने आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के तहत इस दिन को मनाने की घोषणा की थी.
प्रधानमंत्री ने भारत को एकजुट करने में सरदार जी के योगदान को याद करते हुए उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी और तभी से यह दिवस मनाया जाने लगा.
राष्ट्रीय एकता दिवस का क्या महत्व है? What is the importance of National Unity Day?
1947 में जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तो सरदार वल्लभभाई पटेल ने स्वतंत्र भारत में भारत के पहले गृह मंत्री के रूप में पदभार संभाला और भारत को आजीवन एकजुट करने के लिए अथक प्रयास किया.
भारत स्वतंत्र हो गया था, लेकिन स्वतंत्रता के साथ, कई रियासतें इसे टुकड़ों में तोड़कर भारत से स्वतंत्र होने की योजना बना रही थीं.
भारत के विभाजन के साथ पाकिस्तान पहले ही अलग हो चुका था, लेकिन अभी भी कई रियासतें भारत से अलग होने की प्रक्रिया में थीं क्योंकि इन रियासतों के शासक भारत में अपनी रियासत का विलय नहीं करना चाहते थे.
लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत को एक करने का संकल्प लिया था और कठोर नीतियां अपनाकर भारत को एकजुट करने के लिए अथक प्रयास करना शुरू कर दिया था.
अपने अथक मेहनत और प्रयासों से उन्होंने भारत की 565 ऐसी रियासतों को संजोकर अखंड भारत के निर्माण के सपने को साकार किया, जो भारत से अलग होना चाहती थीं.
राष्ट्रीय एकता दिवस कैसे मनाया जाता है? How is National Unity Day celebrated?
इस दिन स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों सहित विभिन्न सरकारी और निजी कार्यालयों में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और भारत की राष्ट्रीय एकता में सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान के बारे में जानकारी दी जाती है.
इतना ही नहीं, नारों, घोषणाओं और भाषणों के माध्यम से देश के युवाओं को जाति, धर्म और रंग-रूप से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकता और संप्रभुता बनाए रखने के लिए जागरूक और प्रेरित किया जाता है.
राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर अनेक सरकारी एवं गैर सरकारी व्यापीठों पर निबंध लेखन, कविता पाठ एवं चित्रकला कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं.
देश भर में वरिष्ठ राजनेता सरदार वल्लभभाई पटेल के तसवीर और प्रतिमाओं पर माल्यार्पण और फूल चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी जाती है और उनके योगदान को याद किया जाता है.
राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण – Speech on National Unity Day in Hindi
भारत दुनिया का सबसे विविधता वाला स्थान है. इस भूमि की विशेषता यह है कि इसके हर कदम पर विविधता से भरी एक नई सभ्यता, वेशभूषा, भाषा, संस्कृति, नए रीति-रिवाज और अलग-अलग लोग मिलते हैं.
इतनी सदियों के बाद भी पूरा भारत एकता के सूत्र में बंधा हुआ है. स्वतंत्र भारत की अखण्डता और एकता का श्रेय यदि किसी को जाता है तो वह भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल हैं, जिन्होंने भारत की एकता के लिए अनंत प्रयास किए और कड़ी मेहनत के बल पर पूरे भारत को संजोया.
31 अक्टूबर, 1875 को जन्मे, सरदार वल्लभभाई पटेल एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जो स्वतंत्रता के बाद भारत के पहले उप प्रधान मंत्री और गृह मंत्री बने.
भारत के गृह मंत्री के रूप में अपनी क्षमता के अनुरूप काम करते हुए, सरदार वल्लभभाई पटेल स्वतंत्रता के समय भारत की 565 रियासतों को भारत से अलग होने से रोकने और हैदराबाद के निजाम सहित अन्य छोटी-बड़ी रियासतों के शासकों को मना कर उन्हें भारत से जोड़े रखने में सफल रहे.
वह भारत की राजनीतिक एकता से समझौता करने को तैयार नहीं थे और उन्होंने संघ के भीतर स्वतंत्र राज्यों के विचार को कभी महत्व नहीं दिया.
अपनी चतुर राजनीतिक क्षमता और सैन्य कौशल का उपयोग करते हुए, सरदार पटेल ने इन राज्यों को भारत संघ के साथ जोड़ने का एक सराहनीय काम किया.
उनकी फौलादी इच्छाशक्ति और नीतियों के कारण उन्हें “भारत का लौह पुरुष (Iron Man of India)” भी कहा जाता है.
भारत की राष्ट्रीय एकता के सरदार वल्लभ भाई पटेल के महान योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अखंड भारत का जो सपना देखा था और जो संकल्प उन्होंने लिया था, उसे पूरा करने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपना पूरा जीवन लगा दिया था.
सरदार जी के योगदान के सम्मान में भारत में हर साल 31 अक्टूबर को उनकी जन्मतिथि को पूरे देश में राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है.
दुख की बात यह है कि एकता में शक्ति (Power in unity) का पाठ हमें कई घटनाएं सिखाती है, लेकिन हम कभी भी एकता की भूमिका का मूल्यांकन या इसके प्रति जागरूक नहीं हो पाते हैं.
आज भी हमारे देश में रीति-रिवाजों और परंपराओं के कारण लोग जाति और धर्म के नाम पर बंटे हुए हैं. जातिवाद और सांप्रदायिकता देश के लिए विदेशी दुश्मनों से भी बड़ा खतरा हैं. आज हम सभी भारतीयों को एकजुट होकर सबको साथ लेकर चलने की जरूरत है, तभी हमारी युवा पीढ़ी एकता का सही पाठ सीख सकेगी.
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