गजराज और मूषकराज की कहानी – पंचतंत्र की कहानी (Elephants and King of Mice Story In Hindi)

गजराज और मूषकराज की कहानी – पंचतंत्र की कहानी (Elephants and King of Mice Story In Hindi)

दोस्तों, पंचतंत्र की कहानियां (Tales of Panchatantra in Hindi) श्रृंखला में आज हम – गजराज और मूषकराज की कहानी (Panchatantra Story Elephants and King of Mice Story In Hindi) पेश कर रहे हैं। Hathi Aur Chuhe Ki Kahani में बताया गया है की एक बलशाली हाथी जाल में फंस जाता है। उसके बाद क्या होता है? यह जानने के लिए पढ़ें – Elephants and King of Mice Panchtantra Story In Hindi

Elephants and King of Mice Story In Hindi – Tales of Panchatantra

गजराज और मूषकराज की कहानी – पंचतंत्र की कहानी (Elephants and King of Mice Story In Hindi)
Panchatantra Story Gajraj Aur Mushakraj In Hindi

प्राचीन काल में एक नदी के किनारे एक सुन्दर नगर बसा हुआ था। यह एक बड़ा नगर होने के साथ-साथ उस राज्य के व्यापार का केन्द्र भी था। व्यापार के कारण प्रतिदिन हजारों लोगों का नगर में आना-जाना लगा रहता था।

एक साल भारी बारिश हुई जिससे नगर के बीच से बहने वाली नदी ने अपना रास्ता बदल लिया। इससे शहर में पानी की किल्लत हो गई, यहां तक कि लोगों के लिए पीने का पानी भी नहीं रहा। देखते ही देखते उस नगर की दशा ऐसी हो गई कि उसमें रहना असंभव हो गया। 

धीरे-धीरे महानगर खाली होने लगा और एक समय ऐसा आया जब उस शहर में एक भी इंसान नहीं रहा। कुछ समय बाद वह उजाड़ नगर खंडहर बन गया और बहुत से चूहों ने उस खंडहर को अपना आशियाना बना लिया।

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देखते ही देखते चूहों की संख्या बढ़ने लगी और चारों तरफ सिर्फ चूहे ही चूहे दिखाई देने लगे। उन चूहों का राजा मूषकराज नाम का चूहा था।

चूहे भाग्यशाली थे क्योंकि उनके बसने के बाद, नगर के बाहर जमीन से पानी का एक झरना फूट पड़ा और एक बड़ा जलाशय बन गया।

उस उजाड़ नगर के पास एक घना जंगल था, जिसमें हाथियों का एक बड़ा झुंड रहता था। हाथियों के झुण्ड के मुखिया का नाम गजराज था। 

एक बार जंगल में सूखा पड़ा और जंगल के सभी जल स्रोत सूख गए थे। पानी के अभाव में हाथी के बच्चे तड़प-तड़प कर मरने लगे। गजराज उनकी पीड़ा समझता था, वह भी प्यास से तड़प रहा था। लेकिन उनके पास भी इस समस्या का कोई हल नहीं था।

गजराज का मित्र एक बाज था। उस बाज ने गजराज को बताया कि खण्डहर के उस पार एक जलस्रोत है, जिसमें जल की प्रचुरता है। गजराज को जैसे ही इस बात का पता चला, उसने अपने पूरे झुंड को खंडहर को पार करने और जल स्रोत तक पहुंचने का आदेश दिया।

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मुखिया की आज्ञा पाकर सभी हाथी जलस्रोत की ओर चल दिए। जब हाथी जलस्रोत तक पहुंचने के लिए खंडहर को पार कर रहे थे, तो कई चूहे हाथियों के पैरों के नीचे आकर मर गए। देखते ही देखते खंडहर के चारों ओर चूहों के मांस और खून से लथपथ मार्ग बन गए थे। जब हाथियों का झुण्ड जलस्रोत से पानी पीकर उसी रास्ते से लौटा तो कई और चूहे मारे गए।

जब मुश्कराज को इस घटना का पता चला तो वह अपने मंत्रिमंडल के साथ बैठकर इस समस्या का हल निकालने के बारे में सोचने लगे। सभी मंत्रियों ने सलाह दी कि आप चूहों के राजा हो इसलिए आपको गजराज के पास जाकर उससे बात करनी चाहिए। सुना है कि वह बहुत दयालु हैं, वह आपकी बात जरूर सुनेंगे।

मूषकराज जब गजराज के पास पहुंचे तो वह एक वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे थे। मूषकराज उस पेड़ के पास पड़ी शीला पर चढ़ गए और गजराज को आवाज दी लेकिन उसकी आवाज गजराज तक नहीं पहुंच सकी।

जब गजराज ने मूषकराज को देखा तो वह उसके पास आए और एक कान शीला के पास रख कर बोले, “छोटी दोस्त, मेरे कानों तक आपकी आवाज नहीं पहुंची, क्या आप फिर से अपनी बात कह सकते हैं?”

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मूषकराज ने गजराज को प्रणाम किया और कहा, “मैं चूहों का राजा मूषकराज हूं। जलाशय तक पहुंचने के लिए आप जिस खंडहर को पार करते हैं, उनमें हमारा झुंड रहता है। जब आप खंडहर पार करते हैं, तो आपके पैरों के नीचे हमारे झुंड के हजारों चूहे मारे जाते हैं। कृपया जल स्रोत तक पहुंचने के लिए कोई अन्य मार्ग अपना लीजिए।”

गजराज ने जवाब दिया “महाशय हमें माफ कर दीजिए, हमें इस बारे में पता नहीं था। हम आज से ही कोई और रास्ता अपनाएंगे।”

मूषकराज ने कृतज्ञ स्वर में कहा, “गजराज, आपने मेरे जैसे छोटे से प्राणी की बात ध्यान से सुनी। धन्यवाद गजराज, अगर आपको कभी हमारी जरूरत पड़े तो हमें याद करना, हम आपकी मदद के लिए सदा तैयार रहेंगे।”

गजराज ने मन ही मन सोचा कि यह छोटा सा जीव हमारी क्या मदद करेगा। गजराज मूषकराज की बात मानते हुए हल्का-सा मुस्कुराने लगे और उन्हें विदा किया।

कुछ दिनों के बाद, पास के एक राज्य के राजा ने अपने सेनापति को शाही सेना को और अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए सेना में हाथियों की भर्ती करने का आदेश दिया। उस राज्य के सैनिकों ने गजराज के जंगल में आकर हाथियों को पकड़ने के लिए जाल बिछा दिए। उन जालों की वजह से कई हाथी भी फंस गए थे।

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गजराज भी इस समस्या के बारे में सोचते हुए वन में धीरे-धीरे टहल रहे थे। तभी उसका एक पैर फंदे में फंस गया। उन्होंने जाल से निकलने की बहुत कोशिश की लेकिन वह जाल से नहीं निकल पाए। जाल में बुरी तरह से फंस चुके गजराज ने मदद बुलाने के लिए चिंघाड़ना शुरू कर दिया।

गजराज के चिंघाड़ने की आवाज सुनकर एक भैंसा उसके पास आया, जिसकी मदद पहले गजराज ने की थी।

भैंसे ने कहा, “गजराज, मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं?”

गजराज ने कहा, “बेटा, तुम जल्द से जल्द जलाशय के पास के खंडहर में जाओ और सारी स्थिति मूषकराज को बताओ।” 

भैंसा दौड़ता हुआ खंडहर के पास आया और मूषकराज को सारा हाल कह सुनाया। मूषकराज अपने बीस-तीस साथियों के साथ भैसें के पीठ पर चढ़ गए और तत्परता से गजराज के पास पहुंच गए। सभी चूहे मिलकर तेजी से जाल कुतरने लगे और देखते ही देखते गजराज उस जाल से मुक्त हो गए।

कहानी का भाव:

हमें अपने साथियों के साथ प्रेमपूर्ण स्वभाव के साथ रहना चाहिए ताकि वह हमारे दुख-दर्द में काम आ सके।

King Elephant And The King Of Mice Story

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