एक पंथ दो काज मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग (Ek Panth Do Kaaj Muhavara)

Ek Panth Do Kaaj Muhavare Ka Matlab

एक पंथ दो काज का अर्थ – Ek Panth Do Kaaj Muhavare Ka Matlab

एक पंथ दो काज मुहावरे का अर्थएक ही उपाय से दो काम करना, एक साथ दो लाभ प्राप्त करना, एक काम से दो काम पूरे होना, एक कार्य करते समय दूसरा कार्य भी हो जाना।

एक पंथ दो काज मुहावरे का अर्थ

Ek Panth Do Kaaj Muhavre Ka Arth – एक पंथ दो काज मुहावरे का अर्थ है एक ही उपाय से दो काम करना, एक साथ दो लाभ प्राप्त करना, एक काम से दो काम पूरे होना, एक कार्य करते समय दूसरा कार्य भी हो जाना।

एक पंथ दो काज मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग

Ek Panth Do Kaaj Muhavre Ka Vakya Prayog

#1. वाक्य प्रयोग: फूफाजी प्रयाग जाकर एक रिश्तेदार के विवाह में सम्मिलित भी हुए और संगम में स्नान भी कर आये, इस तरह उन्होंने एक पंथ दो काज संपन्न कर लिए ।

#2. वाक्य प्रयोग: रोशन कंपनी के काम से मुंबई गया था और लगे हाथ फिल्म सिटी भी घूम कर आ गया इसे कहते हैं एक पंथ दो काज।

#3. वाक्य प्रयोग: शार्दुल को अपने कवि सम्मेलन में भाग लेने के लिए दिल्ली जाने का मौका मिला और शार्दुल ने सोचा कि एक पंथ दो काज हो जाएंगे, मतलब वह सबसे पहले तो कवि सम्मेलन में भाग लेगा और साथ ही दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतों को देखने का सुनहरा अवसर भी मिलेगा।

मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।

प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।

मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।

मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।

मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।

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