अकबर-बीरबल की कहानी: एक जादू वाला गधा

Akbar Birbal Short Moral Stories In Hindi

एक जादू वाला गधा (अकबर बीरबल की कहानी) – EK Jadoo Wala Gadha | Akbar-Birbal Story In Hindi

एक बार की बात है बादशाह अकबर अपनी पत्नी के लिए कोई तोहफा लेने की सोच रहे थे।

जब बादशाह की बेगम का जन्मदिन आया तो बादशाह ने अपनी बेगम को एक सुंदर नौलखा हार भेंट किया। बादशाह की बेगम को भी वह उपहार बहुत पसंद आया।

बेगम ने बड़ी ख़ुशी से वह नौलखा हार पहन लिया और रात होने पर हार को गले से उतार कर एक संदूक में रख दिया।

बहुत दिनों के बाद बादशाह की बेगम ने उस हार को फिर से पहनने की सोची और फिर उस हार को निकालने के लिए संदूक खोल दिया। जैसे ही बादशाह की बेगम ने हार निकालने के लिए संदूक खोला तो उन्होंने देखा कि नौलखा हार संदूक में नहीं है।

अब बादशाह की बेगम को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने तुरंत इस बात की जानकारी बादशाह अकबर को दी। बादशाह अकबर ने तुरंत अपने सैनिकों को हार का पता लगाने का आदेश दिया।

बहुत खोजने पर भी जब सैनिकों को वह हार नहीं मिला तो सभी सैनिक बादशाह अकबर को यह सूचना देने पहुंचे कि हार महल में कहीं नहीं है।

बादशाह अब सब कुछ समझ गया कि हार चोरी हो गया है। तभी बादशाह अकबर ने तुरंत बीरबल को दरबार में बुलाने का आदेश दिया।

जैसे ही बीरबल महल में पहुँचे, उन्होंने देखा कि महल में सभी सैनिक कुछ खोज रहे हैं और बादशाह और उनकी बेगम बहुत परेशान हैं।

तो बीरबल ने बादशाह से पूछा “जहाँपनाह! क्या कोई समस्या है?” 

तब बादशाह ने बीरबल को हार चोरी होने की बात बताई। 

बीरबल ने बादशाह की सारी परेशानी ध्यान से सुनी।

बादशाह ने कहा, “बीरबल! मैं तुम्हें चोर का पता लगाने की जिम्मेदारी देता हूँ।”

बीरबल कुछ देर सोचने लगते हैं, इसके बाद बीरबल सिपाहियों को आदेश देते हैं कि जाओ और महल में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को दरबार में बुलाओ।

कुछ देर बाद महल के सभी कर्मचारी दरबार में उपस्थित होते हैं। बादशाह अकबर, बादशाह की बेगम, सभी मंत्री और सभी कर्मचारी दरबार में उपस्थित होते हैं। लेकिन बीरबल अभी दरबार में नहीं पहुंचे थे, इसलिए सभी लोग बीरबल का इंतजार करने लगे।

कुछ देर बाद बीरबल भी दरबार में पहुँच जाते है। बीरबल को देखकर हर कोई हैरान रह जाता है क्योंकि बीरबल अपने साथ एक गधे को भी दरबार में ले आते है।

दरबार में आते ही बीरबल ने बादशाह से कहा, “हुजूर! मुझे खेद है अगर मैंने आप सभी को बहुत देर तक प्रतीक्षा कराई हो तो।”

बादशाह ने कहा, “बीरबल! कोई बात नहीं कि तुम देर से आए। लेकिन तुम इस गधे को दरबार में क्यों लाए हो?”

बीरबल ने कहा, “यह गधा मेरा मित्र है और इस गधे में कुछ जादुई शक्तियाँ हैं। यह गधा नौलखा हार चुराने वाले का नाम बता सकता है।”

इसके बाद बीरबल उस गधे को एक कमरे में बांध देते हैं और महल के सभी कर्मचारियों से कहते हैं, “आप सभी उस कमरे में बारी-बारी से जाएंगे और उस गधे की पूंछ पकड़ेंगे और जोर से कहेंगे कि ‘मैंने चोरी नहीं की है’ और तुम सब की आवाज यहां दरबार तक पहुंचनी चाहिए।”

सभी कर्मचारी कमरे के बाहर एक कतार में इकट्ठा होते हैं। एक-एक करके सभी कर्मचारी कमरे में गए और गधे की पूंछ पकड़कर चिल्लाए, “मैंने चोरी नहीं की है।”

जब सारे कर्मचारी यह काम कर चुके होते हैं तो अंत में बीरबल उस गधे के पास जाते हैं और फिर बाहर दरबार में आकर सबके हाथ देखते हैं और एक-एक करके सबकी हथेली सूंघने लगते हैं।

बीरबल के इस अजीबोगरीब व्यवहार से सभी दरबारी बीरबल की तरफ हैरानी से देखते हैं।

कुछ समय बाद, बीरबल एक कर्मचारी का हाथ सूंघते हैं और जोर से चिल्लाते हैं, “जहाँपनाह चोर मिल गया।” नौलखा हार की चोरी इसी ने की थी।

बादशाह अकबर ने कहा “बीरबल! तुम इतने यकिन से कैसे कह सकते हो कि चोरी इसी ने की हैं? क्या तुम्हारे मित्र गधे ने इसका नाम बताया है?”

बीरबल ने कहा, “हुजूर! यह गधा कोई जादू का गधा नहीं है, यह सिर्फ एक साधारण गधा है। मैंने बस इस गधे की पूंछ में एक साधारण सा इत्र लगाया था और सभी कर्मचारियों से कहा कि इस गधे की पूंछ पकड़ लो, लेकिन इसने गधे की पूंछ नहीं पकड़ी, इसलिए उसकी हथेली से इत्र की गंध नहीं आ रही है।”

इसके बाद चोर ने अपना जुर्म कबूल कर लिया और चोरी हुआ नौलखा हार भी बरामद हो गया।

सभी ने बीरबल की तारीफ की और बादशाह अकबर की बेगम ने बीरबल को भी उपहार दिलवाया।

इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती हैं?

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बुरे काम का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है। उस कुकृत्य को हम कितना भी छिपाने की कोशिश कर लें, वह एक न एक दिन सबके सामने आ ही जाता है।

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