ईद का चाँद मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग (Eid Ka Chand Muhavara)

Eid Ka Chand Muhavare Ka Matlab

ईद का चाँद का अर्थ – Eid Ka Chand Muhavare Ka Matlab

ईद का चाँद मुहावरे का अर्थमुश्किल से नज़र आना
Eid Ka Chand

ईद का चाँद मुहावरे का अर्थ

Eid Ka Chand Muhavre Ka Arth – ईद का चाँद मुहावरे का अर्थ है कभी-कभार दिखाई देना, कई दिनों तक दिखाई न देना, बहुत दिनों बाद दिखाई देना, कम ही दिखाई देना।

ईद का चाँद मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग

Eid Ka Chand Muhavre Ka Vakya Prayog

#1. वाक्य प्रयोग: जब से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू हुई है तब से सूरज कम ही दिखाई देता है, ऐसा लगता है मानो वह अब ईद का चांद बन गया हो।

#2. वाक्य प्रयोग: रमेश काफी समय बाद अपने बचपन के दोस्त सुरेश से मिला तो उसने उससे कहा कि भाई तुम तो बड़े आदमी बन गये हो, दिखते ही नहीं हो और ईद के चाँद बन गये हो।

#3. वाक्य प्रयोग: शादी के बाद सीता इन दिनों अपनी दुनिया में इतनी व्यस्त हो गई हैं कि लोग उसे देख ही नहीं पाते, सब उससे कहते हैं कि तुम ईद का चांद बन गई हो।

#4. वाक्य प्रयोग: शर्मा जी अपने नये बिजनेस में इतने व्यस्त हो गये हैं कि उनसे एक पल भी मिलना संभव नहीं हो पा रहा है, मानो शर्मा जी ईद के चाँद बन गये हों।

#5. वाक्य प्रयोग: चुनाव जीतने के बाद नेता जी ऐसे गायब हो गए जैसे ईद का चांद बन गए हों।

मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।

प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।

मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।

मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।

मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।

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