दूज का चांद (अकबर बीरबल की कहानी) – Duj Ka Chand | Akbar-Birbal Story In Hindi
बीरबल दूसरे देश की संस्कृति, दूसरे राज्य की संस्कृति आदि जानने के लिए बहुत उत्सुक रहते थे। इसलिए बीरबल इराक जाने के लिए बहुत उतावले थे।
बीरबल सुबह-सुबह ही कुछ सैनिकों के साथ इराक की ओर जाने के लिए निकल पड़े।
जब बीरबल इराक पहुंचे तो उनका खूब स्वागत किया गया। इराक के बादशाह ने बीरबल से राजनीति और अन्य कई समस्याओं के बारे में बहुत राय मांगी।
इराक के बादशाह को बीरबल के जवाब बहुत पसंद आये और वह उनके जवाबों से सहमत हो गए। इसके साथ ही इराक के दरबार के सभी दरबारी भी बीरबल की चतुराई को देखकर बहुत खुश हुए। अंत में इराक के बादशाह ने बीरबल से एक कठिन प्रश्न पूछा।
उन्होंने पूछा, “यदि भारत के बादशाह और इराक के बादशाह से तुलना करने के लिए कहा जाए तो आप क्या कहेंगे।”
बीरबल ने कुछ देर सोचा और मुस्कुराते हुए कहा कि “मैं अपने देश के बादशाह को दूज के चाँद की तरह देखता हूँ और मैं आपको पूनम के चाँद की तरह देखता हूँ, पूनम का चाँद सुंदर और सुशील होता है।”
अपनी तारीफ सुनकर इराक के बादशाह बहुत खुश हुए और बीरबल को ढेर सारा धन और कपड़े देखकर उन्हें अपने देश जाने के लिए विदा किया।
जब बीरबल राज्य में आए और बादशाह अकबर से मिलने गए तो बादशाह अकबर बहुत नाराज हुए। बादशाह अकबर को खबर मिल चुकी थी कि बीरबल ने उन्हें दूज का चांद कहां है और इराक के राजा को पूनम का चांद बताया है।
बीरबल ने बादशाह अकबर के गुस्से का कारण पूछा तो बादशाह अकबर ने कहा, “आपने अपने राजा को दूज का चाँद और दूसरे राज्य के राजा को पूनम का चाँद क्यों कहा?”
बीरबल ने कहा “जहाँपनाह! मैंने दूज के चंद्रमा के समान आपकी स्तुति की है, आप दिन-रात अपना पराक्रम, यश और अपना राज्य बढ़ा रहे है, इसलिए मैंने दूज के चंद्रमा के समान आपकी स्तुति की है। जबकि इराक के राजा को पूर्णिमा का चांद बताया गया है, जो धीरे-धीरे हर रोज घटता जा रहा है और अमावस्या की रात को बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता है। बादशाह अकबर मैंने आपको दूज का चांद बताकर अपने राज्य के बादशाह का माहात्म्य बतलाया है, दूज का चांद सबको प्यारा होता है, सब उसके दर्शन करना चाहते हैं। पूनम का चाँद सिर्फ 1 दिन चमकता है और दूज का चाँद हमेशा के लिए चमकता है। बादशाह अकबर आप खुद तय कर ले आप दूज का चाँद है या पूनम का चाँद।”
बादशाह अकबर ने कहा “हाँ! मैं दूज का चांद हूं और अपने बीरबल की बात सुनकर बादशाह अकबर बहुत खुश हुए।”
बादशाह अकबर ने उन लोगों की अच्छे से खबर ली जिन्होंने बादशाह अकबर को बीरबल के ख़िलाफ़ बताया था। बादशाह अकबर ने बीरबल को ढेर सारे इनाम और कपड़े देकर सम्मानित किया।
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती हैं?
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हम अपनी बुद्धि और वाणी का सही उपयोग कर हर समस्या का समाधान कर सकते हैं।
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