भारतीय बैंकिंग प्रणाली में चेक कितने प्रकार के होते हैं? (Types of Cheques in Indian Banking System)

Types of Cheques in Indian Banking System

हम अक्सर किसी व्यक्ति या संस्था को भुगतान करने के लिए चेक जारी करते हैं या किसी से चेक प्राप्त करते हैं, यह पैसे के लेनदेन के पारंपरिक और सुरक्षित तरीकों में से एक है.

चेक का मतलब क्या है?

चेक एक लिखित, दिनांकित, और हस्ताक्षरित दस्तावेज़ है जो बैंक को प्राप्तकर्ता को एक विशिष्ट राशि का भुगतान करने का निर्देश देता है. चेक देने वाले व्यक्ति या संस्था को भुगतानकर्ता के रूप में जाना जाता है, जबकि चेक लेने वाला व्यक्ति प्राप्तकर्ता के रूप में जाना जाता है. दूसरी ओर, अदाकर्ता बैंक होती है जिस के नाम से चेक निकला जाता है. चेक का उपयोग वास्तव में दो या दो से अधिक व्यक्ति या संस्थाओं को नकद लेनदेन के बिना भौतिक मुद्रा का आदान-प्रदान करने की अनुमति देता है. दूसरे शब्दों में, चेक बैंक को अपने बैंक खाते से किसी अन्य व्यक्ति या किसी अन्य व्यक्ति के बैंक खाते में पैसे ट्रान्सफर करने का एक तरीका है.

चेक कैसे काम करता है?

चेक एक हस्तांतरित करने योग्य दस्तावेज़ होता है जो प्राप्तकर्ता को एक निश्चित राशि अदा करने की गारंटी देता है. यह अदाकर्ता बैंक द्वारा खाताधारक या भुगतानकर्ता के उपयोग करने के लिए मुद्रित किया जाता है. भुगतानकर्ता चेक लिख कर उसे प्राप्तकर्ता को प्रदान करता है, जिसे प्राप्तकर्ता अपने बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान में नकदी के लिए या खाते में जमा करने के लिए पेश करता है. 

चेक का उपयोग कई अलग-अलग उद्देश्यों के लिए किया जाता है. चेक का उपयोग बिल भुगतान, उपहार के रूप में या दो लोगों या संस्थाओं के बीच रकम हस्तांतरित करने के लिए किया जाता है. 

चेक आम तौर पर पैसे के लेनदेन और हस्तांतरण करने का सबसे अधिक सुरक्षित तरीका माना जाता है, खासकर जब लेनदेन किसी बड़ी रकम की होती है तो चेक ही सबसे सुरक्षति तरीका है.

चेक पर कौन से विवरण होना आवश्यक हैं?

अदाकर्ता: चेक विशिष्ट बैंक द्वारा जारी किए जाने चाहिए, इसे अदाकर्ता बैंक कहा जाता है.

भुगतानकर्ता: चेक उस व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित किया जाना चाहिए जो चेक जारी करता है. इस व्यक्ति को भुगतानकर्ता कहा जाता है.

प्राप्तकर्ता: चेक में प्राप्तकर्ता का नाम होना चाहिए. प्राप्तकर्ता को आदाता कहा जाता है.

राशि: चेक पर प्राप्तकर्ता को दी जाने वाली राशि का स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए. इस राशि को शब्दों और संख्यात्मक आंकड़ों दोनों में लिखा जाना चाहिए.

जारी करने की तारीख: चेक पर जारी करने की तारीख होनी चाहिए. चेक पर उल्लिखित तारीख से तीन महीने की अवधि के लिए चेक वैध होता हैं.

चेक के प्रकार: स्थान के आधार पर

1. स्थानीय चेक (Local Cheque)
स्थानीय चेक किसी विशिष्ट शहर और विशिष्ट शाखा के लिए ही मायने रखता है. इस तरह के चेक केवल कुछ राष्ट्रीयकृत बैंकों में प्रचलित हैं. उदाहरण के तौर पर मानलीजिए के मैंने आपको कानपूर शहर का स्थानीय चेक प्रदान किया, तो आपको निकासी के लिए उस चेक को लेकर शहर के ही सम्बंधित शाखा में जाना पड़ेगा, और अगर आप कानपूर से बाहर किसी अन्य शहर के बैंक में चेक क्लियर करवाते है तो आपको अलग से बैंकिंग शुल्क देना होगा.

2. बाहरी केन्द्र स्थित बैंक पर जारी किया गया चेक (Outstation Cheque)
यदि स्थानीय चेक को निकासी के लिए किसी अन्य शहर में स्थित संबंधित बैंक की शाखा में प्रस्तुत करना पड़े, तो इस तरह के चेक को “आउटस्टेशन चेक” कहा जाता है. मान लीजिये मैं कानपूर शहर में रहता हुं और मेरा इसी शहर के SBI बैंक में खाता हैं लेकिन मुझे प्राप्त चेक ABC बैंक का है जिसकी कोई भी शाखा कानपूर में मौजूद नहीं है, तो मुझे चेक के निकासी के लिए कानपूर से बाहर किसी ऐसे शहर में जाना होगा जहां ABC बैंक कि शाखा मौजूद हो.

3. बैंक की किसी भी शाखा पर देय चेक – At par Cheque
At par Cheque का मतलब है कि खाताधारक अपनी बैंक के किसी भी शाखा से पैसा प्राप्त कर सकता है, यह चेक पूरे देश में सबंधित बैंक के सभी शाखाओं में स्वीकार्य होता है. इस चेक के जमा करने के लिए कोई शुल्क नहीं काटा जाता है, भले ही आपका खाता किसी अन्य शहर में क्यों न हो.

चेक के प्रकार: मूल्य के आधार पर

चेक को उनके मूल्य के आधार पर भी वर्गीकृत किया जाता है. 

1. साधारण मूल्य वाले चेक (Normal Value Cheques)
1 लाख से कम मूल्य वाले चेक को सामान्य मूल्य वाले चेक कहा जाता है. 

2. उच्च मूल्य वाले चेक (High value cheques)
1 लाख से अधिक मूल्य वाले चेक को उच्च मूल्य वाले चेक कहा जाता है. 

3. उपहार चेक (Gift cheque)
परिवार के किसी सदस्य या अपने प्रियजनों को उपहार स्वरूप जारी किए गए चेक को उपहार चेक कहा जाता है. उपहार के चेक का मूल्य 100 रु. से 10,000 रु. हो सकता है.

चेक के मुख्य चार प्रकार होते है:

1. खुला चेक (Open Cheque)
Open Cheque वह चेक होता है जिसे बैंक में कैश काउंटर पर प्रस्तुत कर नकद पैसे प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है. कोई भी व्यक्ति Open Cheque का उपयोग करके नकद पैसे प्राप्त कर सकता है, चेक को अपने खाते में जमा कर सकता है या चेक के पीछे अपने हस्ताक्षर कर के किसी और को चेक दे सकता है. ओपन चेक या तो बियरर चेक (Bearer cheque) हो सकते हैं या ऑर्डर चेक (Order cheque) हो सकते हैं.

2. बेयरर चेक  (Bearer Cheque)
Bearer Cheque वह चेक है जिस से खाताधारक (account holder) या अन्य कोई प्रतिनिधि बैंक में जाकर चेक द्वारा निकासी कर सकता है. चेक जारी करने वाले व्यक्ति का खाता जिस बैंक की शाखा में है, वहा चेक देकर नकद राशि प्राप्त की जा सकती है. Open Cheque के तरह, बियरर चेक पर खाताधारक द्वारा हस्ताक्षर करने की आवश्यकता नहीं होती है. बेयरर चेक को लेकर सावधानी रखना बेहद जरूरी है, यदि यह चेक गलत हातो में पड़ जाता है, तो कोई भी व्यक्ति बैंक जा कर इसे भुना सकता है.

3. आदेश चेक (Order Cheque) हालांकि Order Cheque आमतौर पर किसी विशेष व्यक्ति के लिए जारी किया जाता है, लेकिन इसमें से “Bearer” शब्द को हटाकर उस स्थान पर “Order”  शब्द को लिख कर प्राप्तकर्ता को प्राधिकृत (authorize) किया जा सकता है. यदि आवश्यक हो, तो प्राप्तकर्ता चेक के पीछे हस्ताक्षर करके Order Cheque को दूसरे प्राप्तकर्ता को हस्तांतरित कर सकता है.

4. क्रॉस्ड चेक (Crossed Cheque)
चेक की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए चेक को क्रॉस्ड किया जाता है, और ऊपर बायीं ओर दो समानांतर लाइनें खींच दी जाती हैं जिनके बीच “& CO.” या  “Account Payee” या “Not Negotiable” जैसे शब्द लिखकर या बिना लिखे भी दिया जा सकता है. Crossed Cheque को बैंक काउंटर पर देकर नकद निकासी नहीं होती है. Crossed Cheque किसी विशिष्ट व्यक्ति या संस्था के नाम से जारी किया जाता है और सम्बंधित राशि केवल जारी किये गए खाते में ही जमा होती है.

बैंक भुगतान की गारंटी के लिए अलग-अलग चेक भी जारी करता है.

1. सेल्फ चेक (Self Cheque)
जब खाताधारक खुद को चेक जारी करता है तो उसे सेल्फ चेक कहा जाता है. इस चेक को खाताधारक प्रत्यक्ष भुगतान के लिए स्वयं बैंक में प्रस्तुत करता है.  इसमें भुगतान पाने वाले व्यक्ति के नाम की जगह पर “Self” लिखा जाता है. आमतौर पर इसका उपयोग बैंक से नकदी की निकासी के लिए किया जाता है.

2. आगे की तारीख वाला चेक  (Post-dated Cheque (PDC))
पोस्ट-डेटेड चेक क्रॉस चेक या बियरर चेक होता है, जो प्राप्तकर्ता को जारी किया जाता है, जिसमे भविष्य की तारीख अंकित की जाती है. चेक पर अंकित तारीख से तीन महीने की अवधि के लिए चेक वैध होता हैं.

3. पीछे की तारीख वाला चेक (Ante-dated Cheque (ADC))
चेक पर अंकित तारीख से तीन महीने की अवधि तक चेक भुगतान के लिए वैध होता है. Ante-dated चेक ऐसा चेक है जिसकी वैधता समाप्त हो गई होती है, इसका मतलब है कि उस पर अंकित तारीख से 3 महीने ज्यादा हो गए हैं.

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