‘अस्त्र’ और ‘शस्त्र’ में अंतर क्या है? जानिए हिंदी में. What is the difference between Astra and Shastra?

What is the difference between Astra and Shastra? ‘अस्त्र’ और ‘शस्त्र’ में अंतर क्या है? जानिए हिंदी में.

हमें हिंदू धार्मिक ग्रंथों और संस्मरणों से कई ऐसे शब्द और नामावली मिलते हैं, जो आम लोगों द्वारा उपयोग किए जाते हैं, लेकिन उनका वास्तविक अर्थ क्या है, शायद ही किसी को ज्ञात हो.

इन्हीं शब्दों में से एक है ‘अस्त्र-शस्त्र’. लोग आमतौर पर सोचते हैं कि यह एक एकल शब्द है और उसका मतलब हथियारों से है. लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है. ये दो अलग-अलग शब्द हैं. ‘अस्त्र’ अलग है और ‘शस्त्र’ ‘अस्त्र’ से काफी अलग है. हां, दोनों का ही इस्तेमाल युद्ध करने के लिए किया जाता है, लेकिन ‘अस्त्र’ और ‘शस्त्र’ की परिभाषा की बात करें तो दोनों में बड़ा अंतर है.

प्राचीन हिंदू ग्रंथों और पुराणों जैसे ‘रामायण’, ‘महाभारत’ आदि में कई युद्धों का वर्णन किया गया है. इन युद्धों में धनुष बाण, गदा, सुदर्शन चक्र, ब्रह्मास्त्र आदि का उपयोग करने का उल्लेख किया गया है. हथियारों का वर्णन करते समय, अक्सर उनके लिए सामूहिक रूप से ‘अस्त्र’ या ‘शस्त्र’ शब्द का प्रयोग किया जाता था. वर्तमान युग में भी, हथियारों की चर्चा करते समय, हम अक्सर ‘अस्त्र’ या ‘शस्त्र’ शब्द का उपयोग करते हैं. 

वास्तव में, हम किसी भी हथियार को ‘अस्त्र’ या ‘शस्त्र’ नहीं कह सकते. दो शब्दों के बीच बुनियादी अंतर है. हथियारों के स्वरूप के आधार पर, उन्हें ‘अस्त्र’ या ‘शस्त्र’ कहा जाता है.

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‘अस्त्र’ और ‘शस्त्र’ में अंतर क्या है? What is the difference between Astra and Shastra?

– तंत्र-मंत्र द्वारा सुसज्जित हथियार जिसे मंत्रों के द्वारा प्रकट किया जाता हैं और दूर से दुश्मन पर फेंक कर मारा जाता है उसे ‘अस्त्र’ कहा जाता है और जिस हथियार को हाथ में पकड़कर दुश्मन पर वार किया जाता है, उसे ‘शस्त्र’ कहा जाता है.

– ‘अस्त्र’ का उपयोग करते समय, आमतौर पर किसी मंत्र, तंत्र या यंत्र का जाप किया जाता है, जबकि ‘शस्त्र’ के उपयोग में शारीरिक कौशल का उपयोग होता है.

– ‘अस्त्र’ अति विनाशकारी होते हैं, वे बहुत ज्यादा विनाश का कारण बनते हैं. कई ऐसे ‘अस्त्र’ थे जिनसे पूरी सृष्टि का विनाश संभव था जबकि ‘शस्त्र’ अपेक्षाकृत कम विनाशकारी होते है. अक्सर ‘शस्त्र’ द्वारा एक समय में एक व्यक्ति पर ही हमला किया जाता हैं.

– ‘अस्त्र’ केवल दिव्य पुरुषों, रथी-महारथी और ईश्वरी कृपा प्राप्त महापुरुषों के वश में होते हैं जबकि ‘शस्त्र’ किसी भी सामान्य व्यक्ति के पास हो सकते हैं.

– ब्रह्मास्त्र, पाशुपतास्त्र, गरुड़ास्त्र, आग्नेय, पर्जन्य आदि ‘अस्त्रों’ के नाम हैं जबकि गदा, तलवार, भाला, परशु, पाश आदि ‘शस्त्रों’ के उदाहरण हैं.

– ‘अस्त्र’ के उपयोग में अग्नि, वर्षा, वायु, के अलावा प्राणियों और धातुओं का सहयोग होता है, जैसे आग्नेय अस्त्र द्वारा अग्नि वर्षा की जाती है, पर्जन्य अस्त्र से बारिश तो वायव्य अस्त्र से भयंकर तूफान उठता है, सर्पास्त्र जैसे पन्नग अस्त्र से सर्प उत्पन्न होते है और गरुड़ास्त्र से गरुड़ उत्पन्न होते है. इस तरह की चीजों का इस्तेमाल ‘शस्त्र’ में नहीं किया जाता है. ‘शस्त्र’ के निर्माण में प्रायः धातु और लकड़ी आदि का प्रयोग होता है.

– पुराणों में, धनुष को अक्सर ‘शस्त्र’ और उससे निकलने वाले तीर को ‘अस्त्र’ कहा जाता था.

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