Interesting facts about clouds in Hindi – दोस्तों क्या आपने कभी गर्मियों में खुले आसमान में बादल (मेघ) देखे हैं? कुछ बादल सफेद, घने और विशाल होते हैं. वे आकाश में ऊंचाई पर तैरते हैं. अन्य बदल भूरे और पतले होते हैं, जो उनसे कम ऊंचाई पर होते हैं.
वैज्ञानिकों ने कई प्रकार के बादलों की खोज की है और उनके नाम भी रखे हैं. यदि यह कहा जाए कि बादल आकाश का आभूषण है, तो यह बात गलत नहीं है.
दोस्तों बादलों को देखना न केवल मजेदार है, बल्कि यह आपको इस बात का भी संकेत दे सकते है कि अब किस तरह का मौसम आ रहा है. तो आइए आज के इस लेख (Clouds in Hindi) में जानते हैं बादलों के बारे में कुछ रोचक तथ्य.
जैसा की हम जानते की बादल को अंग्रेजी में “क्लाउड” कहा जाता है. “क्लाउड” शब्द की उत्पत्ति पुराने अंग्रेजी शब्द “क्लुड” या “क्लोड” से हुई है, जिसका अर्थ है एक पहाड़ी या चट्टान का द्रव्यमान. 13 वीं शताब्दी की शुरुआत के आसपास, “बादल” शब्द का इस्तेमाल बारिश के बादलों के रूपक के रूप में किया जाने लगा था.
बादल (मेघ) किसे कहते है? (What is the cloud?)
वायुमण्डल में उपस्थित जलवाष्प के संघनन से बने जल के कणों या हिम कणों की दृश्य मात्रा को बादल (Cloud) कहते हैं. बादल वर्षण का मुख्य स्रोत हैं, जिसके कारण वर्षा, हिमपात और ओलावृष्टि पृथ्वी की सतह पर पहुंच जाती है.
मौसम विज्ञान (Meteorology) की भाषा में मेघ या बादल को पानी या अन्य रासायनिक तत्वों के मिश्रित द्रव्यमान के रूप में परिभाषित किया जाता है जो तरल रूप में बूंदों या ठोस बर्फ कणों के रूप में वातावरण में बस जाते हैं.
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बादल (मेघ) का निर्माण कैसे होता है? (How is cloud formed?)
बादलों के निर्माण के लिए आवश्यक तत्व: (1) विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ पानी (2) सूर्यातप या गर्मी की अधिकता (3) वातावरण में धूल के कणों की उपस्थिति (4) हवा.
बादल (मेघ) निर्माण की प्रक्रिया (Cloud formation process):
बादल पानी की छोटी-छोटी बूंदों और बर्फ के क्रिस्टल से बने होते हैं और यह संघनन की प्रक्रिया के कारण बनते हैं. सबसे पहले दिन के समय सूर्य की किरणें विस्तृत महासागरों, समुद्रों, नदियों, तालाबों या झीलों में पड़ती हैं, जिससे जलाशयों का पानी गर्म होकर वाष्पित होने लगता है और जलवाष्प में बदल जाता है.
इसके बाद गर्म हवा इन जलवाष्पों को ऊपर उठाकर वातावरण में ले जाने का काम करती है. जैसे-जैसे हवा की ऊंचाई बढ़ती जाती है, तापमान कम होता जाता है और जलवाष्प ठंडा होने लगता है और जलवाष्प हवा में मौजूद धूल के कणों के चारों ओर संघनित होकर बादलों (मेघ) का निर्माण करने लगती है.
चूंकि वे पृथ्वी की सतह से कुछ ऊंचाई पर बनते हैं, इसलिए वे अपने विस्तार, घनत्व और पारदर्शिता या अस्पष्टता में अंतर के कारण अलग-अलग रूप लेते हैं.
बादल (मेघ) के प्रकार (Types of cloud):
बादलों को आमतौर पर उनकी सीमा, घनत्व और पारदर्शिता या अस्पष्टता के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है. बादल मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं, जो इस प्रकार हैं:
पक्षाभ मेघ (Cirrus Clouds): इस प्रकार के बादल आमतौर पर 8 से 12 किमी की ऊंचाई पर बनते हैं. ये बादल पतले और बिखरे हुए होते हैं, जो पंख की तरह दिखाई देते हैं. इनका रंग हमेशा सफेद होता है.
कपासी मेघ (Cumulus Clouds): कपासी बादल आमतौर पर 4 से 7 किमी की ऊंचाई पर बनते हैं. इस प्रकार के बादलों का आधार सपाट होता है और इधर-उधर बिखरा हुआ और छितरा हुआ होता है, जिसके कारण ये रुई के आकार की तरह दिखते हैं, इसीलिए इन्हें कपासी बादल कहा जाता है.
वर्षा मेघ (Nimbus Clouds): ये बादल आमतौर पर 2 किमी की ऊंचाई पर ही बनते हैं, जिसके कारण ये पृथ्वी की सतह के काफी करीब होते हैं. इनका रंग काला या धूसर होता है, जिसके कारण ये सूर्य की किरणों के प्रति अपारदर्शी हो जाते हैं. ये बादल घने होते हैं जो जलवाष्प से व्याप्त होते हैं.
स्तरी मेघ (Stratus Clouds): इस प्रकार के बादल उष्ण वाताग्र पर बनते हैं, जहां गर्म हवा का द्रव्यमान ठंडे वायु द्रव्यमान के संपर्क में आता है और उस पर लादना शुरू कर देता है. ये बादल परतदार होते हैं जो आकाश के बहुत बड़े हिस्से में फैले होते हैं. ये बादल आमतौर पर या तो गर्मी के ह्रास से या विभिन्न तापमानों पर हवा के मिश्रण से बनते हैं.
बादलों (मेघो) के अन्य मुख्य प्रकार (Other types of clouds):
कपासी, स्तरी, वर्षा और पक्षाभ ये चार प्रकार के प्रमुख बादल मिलकर निम्नलिखित रूपों के बादलों का निर्माण करते है:
ऊंचे बादल (High Clouds): ये तब बनते हैं जब लगभग 5 से 14 किमी की ऊंचाई पर विभिन्न प्रकार के बादल आपस में मिल जाते हैं. इसमें पक्षाभस्तरी और पक्षाभकपासी बादल आते हैं.
मध्य ऊंचाई के बादल (Mid-height clouds): इनका निर्माण लगभग 2 से 7 किमी की ऊंचाई पर होता है. इसमें मध्य-स्तरित और मध्यकपासी बादल होते हैं.
कम ऊंचाई के बादल (Low altitude clouds): इस प्रकार के बादल लगभग 2 किमी की ऊंचाई पर ही बनते हैं. इसमें स्तरी कपास बादल, स्तरी वर्षा बादल और कपासी वर्षा बादल होते हैं.
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Interesting facts about clouds in Hindi – 1 to 10
#1. बादल सफेद होते हैं क्योंकि वे सूर्य से प्रकाश को परावर्तित करते हैं. भूरे बादल पानी से इतने भरे होते हैं कि वे प्रकाश को प्रतिबिंबित नहीं कर सकते.
#2. मुख्य रूप से 3 प्रकार के बादल होते हैं: क्यूम्यलस क्लाउड (Cumulus clouds – 3300 फीट तक), स्ट्रैटस क्लाउड (Stratus clouds – 6000 फीट तक), और सिरस क्लाउड (Cirrus clouds – 16500 फीट तक) होते है.
#3. ऐसा नहीं है कि बादलों में वजन नहीं होता है, एक औसत बादल का वजन लगभग 216 हजार पाउंड और औसत तूफानी बादल का वजन 105.8 मिलियन पाउंड होता है. यह 1 से 1.5 किलोमीटर लंबा और चौड़ा हो सकता है.
#4. बादलों को बनने में कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटों तक का समय लग सकता है. वे लंबे और चौड़े किसी भी आकार के हो सकते हैं.
#5. अधिकांश बादल स्ट्रेटोस्फीयर (Troposphere) यानि क्षोभमंडल (पृथ्वी के वायुमंडल का सबसे निचला हिस्सा) में होते हैं लेकिन कभी-कभी वे समताप मंडल या मध्यमंडल (Mesosphere) की ऊंचाई तक पहुंच जाते हैं.
#6. बादल सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करते हैं, इसलिए वे सफेद दिखाई देते हैं.
#7. धुंध भी एक तरह का बादल ही है और यह जमीन के काफी करीब होता है. धुंध में चलना बादलों में चलने जैसा है. धुंध एक स्ट्रैटस प्रकार का बादल है.
#8. बादल 146 फीट प्रति सेकेंड की रफ्तार से दौड़ सकते हैं.
#9. नक्षत्रमंडल बादल (Noctilucent Clouds) 75 से 85 किमी की ऊंचाई पर स्थित होते हैं. यह इतने ऊंचे होते है कि यह रात में भी सूरज की रोशनी को परावर्तित करते रहते है.
#10. जब पानी की अरबों बूंदों से बादल बहुत घने हो जाते हैं, तो उनमें सूरज की रोशनी नहीं पड़ती और वे धूसर दिखने लगते हैं. जैसे ही बादल धूसर हो जाते हैं, हमें समझना चाहिए कि बारिश होने वाली है.
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Interesting facts about clouds in Hindi – 11 to 20
#11. हर ग्रह जिसमें वायुमंडल है, वहां पर बादल हैं, लेकिन केवल पानी के नहीं है. आपको जानकर हैरानी होगी कि शुक्र ग्रह पर सल्फर डाइऑक्साइड (Sulfur dioxide) और शनि तथा बृहस्पति ग्रह पर अमोनिया (Ammonia) के बादल हैं.
#12. हवाई जहाज के उड़ान में देरी या रद्दीकरण “क्यूमुलोनिम्बस” (Cumulonimbus) बादलों के कारण होता है, यह बिजली कड़काने से लेकर तूफान, ओले और कभी-कभी बवंडर तक लाने में सक्षम होते है.
#13. ईरान में बादलों को भाग्यशाली माना जाता है. यहां किसी को आशीर्वाद देते हुए “Your Sky Is Always Filled With Cloud” कहा जाता है.
#14. टॉर्शवन, डेनमार्क का फरो आइलैंड्स – यह दुनिया का सबसे ज्यादा बादल वाला शहर है, जहां हर साल 8760 घंटों में से केवल 840 घंटे ही धूप मिलती है.
#15. वियतनाम युद्ध के दौरान, अमेरिका ने वियतनाम में बादलों को बारिश बढ़ाने और मानसून के मौसम को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक “क्लाउड-सीडिंग” मिशन ऑपरेशन पोपेय को अंजाम दिया था. 1974 में ऑपरेशन की घोषणा के बाद, संयुक्त राष्ट्र ने मौसम को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दिया.
#16. क्या आप जानते हैं? पृथ्वी से 10,000 प्रकाश वर्ष दूर, शराब का एक विशाल बादल है. आपको विश्वास नहीं होगा कि यह हमारे सौर मंडल के व्यास से 1000 गुना बड़ा है और इसमें 400 ट्रिलियन ट्रिलियन पिंट भरने के लिए पर्याप्त अल्कोहल है. यह सब शराब पीने के लिए, पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति को 1 अरब वर्षों तक प्रतिदिन 300 पिंट पीने होंगे.
#17. अंतरिक्ष में एक जल वाष्प बादल है जिसमें पृथ्वी पर पानी की मात्रा से 100 ट्रिलियन गुना अधिक पानी है.
#18. नासा के फीनिक्स मार्स लैंडर ने मंगल के बादलों से गिरने वाली बर्फ का पता लगाया है.
#19. आपको जानकर हैरानी होगी कि “केपलर 7बी” ग्रह पर सिलिका के कणों से बने बादल हैं, इसलिए यहां पिघले हुए तरल कांच की बारिश होती है.
#20 बादल फटना – Cloud Bursting
जिस स्थान पर 100 मिमी यानि 4 इंच से अधिक वर्षा होती है, उसे बादल फटना कहते हैं.
बादल फटने के कारण सबसे बड़ी बाढ़ 8 जनवरी 1966 को गंगा डेल्टा में आई थी. इसका कुछ हिस्सा भारत में और कुछ बांग्लादेश में है. यहां 2329 मिमी बारिश हुई थी.
1 जुलाई 2016 को, उत्तराखंड में बादल फटने के कारण 1372 मिमी बारिश हुई थी.
जब गर्म हवा के कारण बूंदे नीचे की बजाय ऊपर उठती हैं, और जब यह बहुत बड़ी हो जाती हैं तो बादल फटने की संभावना अधिक होती है. अधिकांश बादल जमीन से 14000 फीट की ऊंचाई पर और पहाड़ों से टकराने के कारण फटते हैं.
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