सिंड्रेला की कहानी – Disney Cinderella Ki Kahani (Fairy tale) in Hindi

Disney Cinderella Ki Kahani Fairy tale story in Hindi

Cinderella Ki Kahani in Hindi – सिंड्रेला एक प्रसिद्ध परी कथा (Cinderella Fairy tale in Hindi) है, जिसकी कहानी का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है और विभिन्न संस्कृतियों के अनुसार अलग-अलग रूपों में प्रस्तुत किया गया है। आज के आर्टिकल में हम आपके साथ सिंड्रेला की कहानी (Story of Cinderella in Hindi for Kids) साझा करने जा रहे हैं।

सिंड्रेला की कहानी – Cinderella Story in Hindi with Moral

एक समय की बात है, किसी शहर में एक बहुत अमीर व्यापारी रहता था। उसकी एक खूबसूरत बेटी थी, जिसका नाम “एला (Ella)” था। एला की मां उसके जन्म के कुछ दिन बाद ही गुजर गईं, लेकिन उसके पिता ने उसे बहुत प्यार से पाला और हमेशा उससे बहुत प्यार किया।

एला के पिता उसका बहुत ख्याल रखते थे। अगर एला को किसी चीज़ की ज़रूरत होती तो उसके पिता तुरंत उसकी ज़रूरतें पूरी कर देते थे। एला भी अपने पिता से बहुत प्यार करती थी। लेकिन उसे अपनी मां की बहुत याद आती थी और वह सोचती थी कि अगर उसकी मां उसके साथ होती तो कितना अच्छा होता, लेकिन उसकी मां अब इस दुनिया में नहीं थी। एला अपनी मां को याद करके अक्सर रोती थी।

एला की ये हालत देखते हुए उसके पिता एला के बारे में बहुत चिंतित रहते थे इसलिए उन्होंने दूसरी शादी कर ली ताकि एला की मां की कमी पूरी हो सके। लेकिन एला की सौतेली माँ बहुत दुष्ट स्वभाव की थी और वह एला को उसके पिता की पीठ पीछे बहुत प्रताड़ित किया करती थी। इतना ही नहीं, उसकी सौतेली माँ की दो बेटियाँ भी थीं, जो बहुत बदसूरत थीं और वे दोनों खूबसूरत ऐला से नफरत करती थीं।

एला के पिता अक्सर व्यापार के सिलसिले में शहर से बाहर जाते थे। तब एला की सौतेली माँ मौका मिलने पर एला को बहुत सताती थी। सौतेली माँ की पहले से ही 2 बदसूरत बेटियाँ थीं और वे अपनी माँ की तरह दुष्ट स्वभाव की थीं।

दुष्ट सौतेली माँ हमेशा सोचती थी कि केवल उसे और उसकी बेटियों को ही एला के पिता की संपत्ति और विलासिता का आनंद मिलता रहे। इसी सोच के कारण उसकी सौतेली माँ और उसकी बेटियां एला से ईर्ष्या करती थी।

एक बार की बात है, एला के पिता को व्यापार के काम से शहर से बाहर जाना पड़ा और उन्हें कई महीनों तक वहीं रहना पड़ा। इधर घर पर एला अपने पिता का इंतजार करती रही लेकिन वह नहीं लौटे। तब एला को उसकी सौतेली माँ और उसकी बेटियाँ अकेला पाकर बहुत परेशान करती थीं।

वह तीनों मिलकर एला के साथ बहुत बुरा व्यवहार करते थे और उससे नौकरानी की तरह काम कराते थे। सौतेली माँ इला को न तो अच्छा खाना देती थी और न ही पहनने के लिए अच्छे कपड़े देती थी, लेकिन फिर भी इला फटे पुराने कपड़ों में भी सुन्दर दिखती थी, जिसे देखकर दोनों कुरूप बहनें उससे जलती रहती थीं।

दुखी और अकेली एला का दुख समझने वाला वहां उसका अपना कोई नहीं था। लेकिन उस घर में एला के तीन दोस्त थे: दो चूहे और एक चिड़िया। सारा दिन काम करने के बाद जब भी उसे समय मिलता तो वह उनके साथ खेलती थी। रात को थककर वह अंगीठी के पास सो जाती थी। सोते-सोते उस पर अंगीठी की राख छिटककर गिरने लगती थी।

एला जब सुबह उठती थी तो उसके चेहरे पर अंगीठी की राख लगी होती थी, जिसे देखकर उसकी सौतेली बहनें उसे “सिंडर-एला” (राख को अंग्रेजी में सिंडर कहते हैं) कहकर चिढ़ाती थीं, इस तरह धीरे-धीरे सब उसे “सिंड्रेला (Cinderella)” कहने लगे।

एक दिन उस देश के राजा ने घोषणा की कि महल में एक भव्य रंगारंग जलसे का आयोजन किया जाएगा। राज्य में जगह-जगह ढोल बजाकर यह घोषणा की गई और राजा के सेवकों ने बताया कि राजकुमार इस जलसे में आने वाली कुंवारी लड़कियों में से ही एक लड़की को शादी के लिए चुनेंगे। फिर क्या था! इस जलसे में भाग लेने के लिए राज्य की सभी लड़कियाँ जोर-शोर से तैयारी करने लगीं।

इसी बीच जब सिंड्रेला (Hindi Cinderella Story for Kids) की सौतेली बहनों ने यह घोषणा सुनी तो वे दोनों बदसूरत सौतेली बहनें भी जलसे में जाने के लिए जोर-शोर से तैयारी करने लगीं। सिंड्रेला भी इस उम्मीद से खुश थी कि उसकी सौतेली माँ उसे भी जलसे में ले जाएगी। पर उसकी ख़ुशी ज्यादा देर नहीं टिक सकी क्योंकि उसकी सौतेली मां ने साफ मना कर दिया कि वह सिंड्रेला को उस राजमहल में आयोजित होने वाले जलसे में नहीं ले जाएगी।

दरअसल, उसकी सौतेली मां ने जानबूझकर ऐसा किया था। उसने सोचा कि सिंड्रेला बहुत सुंदर है और अगर वह महल में जाएगी, तो राजकुमार उसे ही पसंद करेगा। जिससे की उसकी बदसूरत बेटियों का राजकुमार से शादी करने का सपना टूट जाए और इसी ईर्ष्या में उसकी मां ने सिंड्रेला को वहां जाने की इजाजत नहीं दी।

जलसे का दिन नजदीक आ गया और उस दिन उसकी सौतेली माँ और उसकी बेटियाँ सज-धज कर जलसे की ओर जाने लगीं और सिंड्रेला से कहा कि तुम्हें घर का सारा काम अच्छे से करना चाहिए और घर का सारा काम सिंड्रेला को सौंप दिया।

बेचारी सिंड्रेला (Cinderella Story in Hindi Language) उदास हो गई और पूरा दिन घर का काम करने और जलसे के बारे में सोचने में बिता दिया। शाम को वह अपना काम ख़त्म करके अंगीठी के पास बैठ गयी। सिंड्रेला के तीनों नन्हें दोस्त, छोटी चिड़िया और दो चूहे भी उसके पास आकर बैठ गये।

वे तीनों उदास सिंड्रेला को खुश करने की कोशिश करने लगे। लेकिन दुखी सिंड्रेला अपनी मां को याद करके रोने लगी और सोचने लगी कि अगर उसकी मां होती तो वह भी इस जलसे में जा पाती।

जब सिंड्रेला यह सोच रही थी तभी अचानक उसके सामने रंग-बिरंगी रोशनियों के साथ एक परी प्रकट हुई। जब परी ने सिंड्रेला से उसकी उदासी का कारण पूछा तो सिंड्रेला ने अपनी पूरी आपबीती परी को बता दी। सिंड्रेला की बातें सुनकर परी को उस पर दया आ गई, फिर परी ने कहा, “उदास मत हो, मैं तुम्हें अभी जलसे में भेजने के लिए तैयार कर देती हूं।” और जैसे ही उसने अपनी जादू की छड़ी उसके फटे पुराने कपड़ों पर रखी, पुराने कपड़े नए अनमोल सुंदर कपड़ों में बदल गए।

यह देखकर सिंड्रेला (Cinderella Fairy Tale in Hindi) बहुत खुश हुई, तभी परी ने सिंड्रेला से कहा, “जाओ और रसोई में रखा कद्दू ले आओ!” सिंड्रेला खुशी से दौड़ी और रसोई से कद्दू ले आई। जैसे ही सिंड्रेला ने कद्दू को परी के सामने जमीन पर रखा, परी ने अपनी छड़ी घुमाई और कद्दू एक सुंदर बग्गी बन गया और फिर दोनों चूहे बन गए, घोड़े और चिड़िया कोचवान बन गई।

सिंड्रेला के पैरों में जूते नहीं थे, इसलिए परी ने उसकी छड़ी घुमाई और सुंदर कांच के जूतों की एक जोड़ी बनाई। सिंड्रेला ने पैरों में जूते पहन लिए और आंखों पर नकाब चढ़ा लिया।

सिंड्रेला बड़ी ख़ुशी से बग्गी पर बैठी और जलसे के लिए जाने लगी, तभी परी ने उससे कहा कि उसका जादू केवल रात 12:00 बजे तक ही चलेगा, इसलिए उसे हर हाल में 12:00 बजे से पहले वापस लौटना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करेगी तो जादू का असर खत्म हो जाएगा और फिर सिंड्रेला अपने पुराने फटे कपड़ों में नजर आने लगेगी। सिंड्रेला ने परी से वादा किया कि वह 12:00 बजे से पहले जलसे से वापस आ जाएगी और फिर सिंड्रेला जलसे में शामिल होने के लिए रवाना हो गई।

जब सिंड्रेला (Disney cinderella story in Hindi) जलसे में पहुंची तो वहां मौजूद सभी लोग उसकी खूबसूरती देखकर हैरान रह गए। वह जलसे में मौजूद सबसे खूबसूरत लड़की थी। लेकिन जब उनकी सौतेली बहनों ने उसे देखा तो नकाब की वजह से वे उसे पहचान नहीं पाईं लेकिन उनकी खूबसूरती देखकर दंग रह गईं। इधर राजकुमार की नजरें सिंड्रेला की सुंदरता को निहार रही थीं और राजकुमार सिंड्रेला को एकटक देख रहा था।

राजकुमार को पहली नजर में ही सिंड्रेला से प्यार हो गया और उसने उसे नृत्य के लिए आमंत्रित किया। सिंड्रेला और राजकुमार देर शाम तक एक साथ नाच रहे थे। यह सब देखकर जलसे में मौजूद हर लड़की सिंड्रेला से ईर्ष्या करने लगी। सिंड्रेला के साथ नृत्य करते समय राजकुमार ने उससे पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है? पहचान क्या है?” तो सिंड्रेला ने कुछ नहीं कहा, वो बस मुस्कुरा दी और अपनी पहचान छुपा ली।

आज सिंड्रेला बहुत खुश थी, बहुत दिनों बाद उसकी ख़ुशी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी लेकिन जैसे ही उसने घड़ी की तरफ देखा तो 12:00 बजने वाले थे, उसके दिमाग में परी की बातें गूंजने लगीं कि उसे हर हाल में 12:00 बजने से पहले वहां से लौटना है। इससे अचानक सिंड्रेला ने अपना हाथ राजकुमार से छुड़ाया और गाड़ी की ओर दौड़ पड़ी।

राजकुमार सिंड्रेला को जाने नहीं देना चाहता था, इसलिए उसने सिंड्रेला का पीछा किया। जैसे ही सिंड्रेला महल के दरवाजे के पास खड़ी अपनी बग्गी की ओर पहुंची, फिसलने के कारण उसका एक जूता वही छूट गया। जब तक राजकुमार दरवाजे पर पहुंचा, सिंड्रेला बग्गी में बैठकर जा चुकी थी। तभी राजकुमार की नज़र सिंड्रेला के कांच के जूते पर पड़ी और उसने उसे उठा लिया।

जब सिंड्रेला घर पहुंची और परी का जादू खत्म हो गया, तो वह अपने पुराने फटे कपड़ों में वापस आई और उसके तीन दोस्त, चूहे और चिड़िया भी अपने मूल रूप में वापस आ गए। बग्गी भी फिर से कद्दू बन गई थी। लेकिन आज सिंड्रेला राजकुमार से मिलकर बहुत खुश थी। उसने परी को सारी बात बताई और सिंड्रेला ने परी को धन्यवाद दिया। परी ने उसे बहुत आशीर्वाद दिया और वहां से चली गई।

कई दिन बीत गए और राजकुमार का मन सिंड्रेला के ख्यालों में डूबा हुआ था, वह मन ही मन सिंड्रेला को भूल नहीं पा रहा था। उसने मन बना लिया कि वह किसी भी कीमत पर सिंड्रेला को ढूंढेगा और उससे शादी करेगा। राजकुमार के पास सिंड्रेला की एकमात्र निशान उसके एक पैर का कांच का जूता था, इसलिए राजकुमार ने घोषणा की कि जिस किसी भी लड़की के पैर में वह कांच का जूता आ जाएगा, वह उससे शादी कर लेगा।

राज्य के सभी नगरों की सभी लड़कियाँ राजकुमार से विवाह करने के लिए उत्सुक थीं। हर लड़की कांच के जूते को अपना बताकर उसे पहनने की कोशिश करने लगी, लेकिन जूती किसी के भी पैर में फिट नहीं आई। राजकुमार और उसके सेवक एक शहर से दूसरे शहर घूमते हुए एक दिन सिंड्रेला की गली में पहुँचे। सिंड्रेला की सौतेली माँ ने राजकुमार को अपने घर बुलाया और उसका स्वागत किया और फिर उसे अपनी दोनों बेटियों से मिलवाया लेकिन सिंड्रेला को राजकुमार के सामने नहीं आने दिया।

सिंड्रेला की माँ ने अपनी बेटियों को पैरों में जूती पहनने को कहा। लेकिन बार-बार कोशिश करने के बाद भी दोनों को जूती फिट नहीं हो सकी। राजकुमार उदास हो गया और जब वहां से जाने लगा तो उसकी नजर पर्दे के पीछे खड़ी सिंड्रेला पर पड़ी और उसने कहा, वह भी आपकी बेटी है, उसे भी बुलाओ और उसे भी यह जूती पहन कर दिखानी होगी।

सिंड्रेला की माँ ने मना कर दिया लेकिन राजकुमार के बार-बार अनुरोध को वह कैसे टाल सकती थी। फिर, अनिच्छा से, उसने सिंड्रेला को जूती पहनने के लिए बुलाया। वह जूती सिंड्रेला के पैर में आसानी से फिट हो गई और उसने दूसरी जूती भी निकालकर राजकुमार के सामने पहन ली। यह देखकर सौतेली माँ और उसकी सौतेली बहनों की हालत ऐसी हो गई कि उनकी आँखें आश्चर्य और ईर्ष्या से फटी की फटी रह गई।

सौतेली माँ और सौतेली बहनें कुछ भी समझ नहीं पा रही थीं लेकिन राजकुमार समझ गया कि सिंड्रेला ही वह लड़की है जिससे वह उस दिन जलसे में मिला था और उसे उससे प्यार हो गया था। राजकुमार ने तुरंत सिंड्रेला के सामने प्रस्ताव रखा, “क्या तुम मुझसे शादी करोगी?”

सिंड्रेला ने राजकुमार के इस अनुरोध को खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया और फिर राजकुमार और सिंड्रेला की शादी हो गई। दोनों सुखपूर्वक रहने लगे। सिंड्रेला की जिंदगी बदल चुकी थी, अब उसकी जिंदगी में कोई दुख नहीं था, सिर्फ खुशियां थीं।

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