History and information of chocolate in Hindi – दोस्तों मुझे पूरा यकीन है कि आप भी चॉकलेट खाना बहुत पसंद करते होंगे, इसीलिए आप इस पोस्ट पर इसके बारे में और जानने के लिए आए हैं.
लेकिन क्या आप जानते है की आज आसानी से उपलब्ध होने वाले चॉकलेट का एक लम्बा इतिहास रहा है. आज के इस लेख में हम आपको चॉकलेट के इतिहास (History of chocolate in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं.
चॉकलेट की शुरुआत कब और कहां से हुई? When and where did chocolate start?
विकसित दुनिया में सबसे पहले चॉकलेट सिर्फ एक ही जगह मिलती थी और वो जगह थी अमेरिका. लेकिन उस समय बनने वाली चॉकलेट उतनी स्वादिष्ट नहीं थी, जितनी आज है.
चॉकलेट कोको (Cacao) नामक पेड़ों के फलों से बनाई जाती है. इस पेड़ की खोज करीब 2000 साल पहले अमेरिका में हुई थी.
उस समय इन पेड़ों के फलों की ऊपरी परत को हटाकर उसे कॉर्न मिल्क और मिर्च पाउडर के साथ मिलाकर उसका एक पेय पदार्थ बनाया जाता था. लेकिन इस ड्रिंक का स्वाद आज की चॉकलेट के विपरीत यानि कड़वा होता था.
मेसोअमेरिकन लोग चॉकलेट को भगवान का उपहार मानते थे और उनकी मान्यता थी कि कोको के पेड़ से मिलने वाला कोकोआ एक स्वर्गीय फल है.
उस समय के मेक्सिकन लोग चॉकलेट को मुद्रा के रूप में इस्तेमाल करते थे, और “चॉकलेट ड्रिंक (Chocolate drink)” का व्यापक रूप से शाही भोजों में सेवन किया जाता था, और तो और सैनिकों को इनाम के रूप में कोको के फल ही दिए जाते थे. चॉकलेट शब्द भी प्राचीन मेक्सिकन लोगों द्वारा ही दिया गया था, जिसका उनकी भाषा में अर्थ है “कड़वा”.
सन् 1519 में पहली बार चॉकलेट का सफर अमेरिका से निकल कर दूसरे देशों में पहुंचा और उन देशों में पहला देश स्पेन था. स्पेन के एक व्यापारी हर्नान कोर्टेस (Hernán Cortés) ने सबसे पहले इस फल को स्पेन लाया और जल्द ही यह स्पेन में भी बहुत लोकप्रिय हो गया. स्पेन के राजा को चॉकलेट ड्रिंक इतनी पसंद आई कि उसके पास चॉकलेट ड्रिंक पीने के लिए सोने के 50 मग थे.
प्रारंभिक समय में चॉकलेट का उपयोग औषधि (Medicine) के रूप में भी किया जाता था, जो पेट के दर्द जैसी बीमारियों के लिए एक प्रभावी उपाय था.
बदलते समय के साथ, चॉकलेट का प्रचार और प्रसार पूरी दुनिया में फैल गया. यूरोपीय लोगों ने शहद और चीनी मिलाकर इस कड़वे पदार्थ को पीना शुरू कर दिया, जिससे चॉकलेट की लोकप्रियता और मांग और बढ़ गई.
लेकिन चॉकलेट बनाने की प्रक्रिया बहुत कठिन थी, जिससे बड़ी मात्रा में इसका उत्पादन करना मुश्किल होता जा रहा था. लेकिन 1828 में, चॉकलेट की दुनिया हमेशा के लिए बदल गई जब डच केमिस्ट और चॉकलेट निर्माता कोएनराड जोहान्स वैन हाउटन (Coenraad Johannes van Houten) ने एम्स्टर्डम में एक चॉकलेट प्रेस का आविष्कार कर दिया.
यह मशीन कोको फलों से प्राकृतिक वसा यानी कोकोआ बटर और कोको पाउडर को अलग करती थी. फिर इस कोको पाउडर को अलग-अलग चीजों में मिलाकर पीने के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा.
स्विट्जरलैंड के डेनियल पीटर (Daniel Peter) नाम के एक चॉकलेट निर्माता ने पहली बार इसे दूध में मिलाया और चॉकलेट मिल्क (Chocolate milk) का आविष्कार हुआ, जिसे काफी पसंद भी किया गया.
समय बीतता गया और दुनिया भर में चॉकलेट की मांग भी बढ़ने लगी थी. इस मांग को पूरा करना एक समस्या बनती जा रही थी, क्योंकि चॉकलेट के पेड़ों के लिए अनुकूल तापमान भूमध्य रेखा में आने वाले स्थान पर ही प्राप्त हो सकता था, इनमे मुख्यतः दक्षिण अफ्रीका जैसे देश आते थे, इसके कारण चॉकलेट का उत्पादन दक्षिण अफ्रीका में बढ़ने लगा और आश्चर्यजनक बात तो यह है कि चॉकलेट की खोज भले ही अमेरिका में हुई हो लेकिन आज 70% चॉकलेट का उत्पादन अफ्रीका में होता है.
बढ़ती मांग के कारण अधिक मजदूरों की आवश्यकता पड़ने लगी थी, जिसके कारण अफ्रीका में गुलामी और बाल मजदूरी जैसी समस्याएं बढ़ने लगीं. कई बार इसका विरोध किया गया और चॉकलेट कंपनियों ने इसे रोकने की अपील की, लेकिन फिर भी इसे किसी तरह से नियंत्रित नहीं किया जा सका.
तो अगली बार जब आप कोई चॉकलेट रैपर खोलें, तो उसके इतिहास के बारे में जरूर सोचें.