छठ पूजा पर कविता – Chhath Puja Kavita, Poem, Poetry in Hindi

Chhath Puja Kavita - Poem - Poetry in Hindi

Chhath Puja Kavita, Poem, Poetry in Hindi – छठ पूजा पर कविता इस पवित्र त्योहार की महत्वपूर्ण भावनाओं और धार्मिक महत्व को अनोखे तरीके से व्यक्त करती है। ये कविताएँ छठ पूजा के विषय, सूर्य देव की पूजा के महत्व, प्राकृतिक सुंदरता, स्वच्छता और परिवार और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ आनंद लेने को दर्शाती हैं। 

छठ पूजा की कविताएँ (Chhath Puja Kavita) आमतौर पर संगीत, रंगों और भावनाओं के साथ होती हैं और इस विशेष त्योहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये कविताएँ पारंपरिक भारतीय संस्कृति के मूल्यों और त्योहार के महत्व को बताती हैं और छठ पूजा के विशेष माहौल को प्रस्तुत करने में मदद करती हैं।

ये कविताएं (Chhath Puja Poem in Hindi) छठ पूजा के दिन व्रती और उसके परिवार के सदस्यों द्वारा पढ़ी जाती हैं और छठ पूजा की अनूठी अनुभूति को महसूस करने में मदद करती हैं। ये कविताएं (Chhath Puja Poetry in Hindi) छठ पूजा का अहम हिस्सा हैं और इस पवित्र त्योहार को और भी खास बनाती हैं।

आस्था और विश्वास का, एक अनूठा पर्व

छठ पूजा पर कविता (Chhath Puja Poem in Hindi)

आस्था और विश्वास का, एक अनूठा पर्व,
छठ के महापर्व का आता है मोह।
षष्ठी की तिथि के साथ, यह खास होता है,
जब व्रती सब्र और इच्छा से जीता है बड़ा ही गर्व।
व्रती कहते हैं, “ओ छठी मईया, तैयार हो जोलिया हमार।”

यह पावन पर्व चार दिनों का, यहाँ है अनमोल,
व्रती देते हैं अपनी सब्र और भरपूर मोल।
पहले दिन का महत्तम होता है काम,
घर की सफाई से शुरू, व्रती उठाते काम।
व्रती कहते हैं, “ओ छठी मईया, तैयार हो जोलिया हमार।”

दूसरे दिन का खास होता है खरना और लोहड़ा,
इस दिन उपवास, व्रती जीते भगवान के पास।
पूर्ण उपवास के साथ, व्रती तैयार करते हैं प्रसाद,
और व्रत का आनंद लेते हैं बड़े विशेष तरीके से।
व्रती कहते हैं, “ओ छठी मईया, तैयार हो जोलिया हमार।”

तीसरे दिन का व्रत 36 घंटों का होता है,
व्रती पूरी करते उपवास और देते अर्घ्य और प्रसाद की आस।
बनाते हैं प्रसाद में ठेकुआ, इस दिन का भी खास,
और व्रती करते हैं सूर्यदेव का पांच परिक्रमा और नमस्कार।
व्रती कहते हैं, “ओ छठी मईया, तैयार हो जोलिया हमार।”

महापर्व का आख़िरी दिन सूर्योपासना के बाद होता है,
व्रती उठाते हैं पूरी और देते उषा अर्घ्य के साथ प्रसाद।
कांच और बांस की छठ मईया, व्रत को खास बनाते हैं,
व्रती गाते हैं विशेष लोकगीत, जिसे सब सुनते हैं खुशी-खुशी सजीव होकर।
व्रती कहते हैं, “ओ छठी मईया, तैयार हो जोलिया हमार।”

अंत में, इस महापर्व का विशेष महत्व सुने सब लोग,
जो यहाँ है, एक अपार मान्यता, व्रती करते हैं सच्चे दिल से और ईमानदार भावना से।
छठ मईया तैयार होती है पूरी, जो मन में बसी हो जोलिया गुजारने की इच्छा होती है।

आओ, सूर्य भक्ति में हम मिलकर

छठ पूजा पर कविता (Chhath Puja Poetry in Hindi)

आओ, सूर्य भक्ति में हम मिलकर,
छठ का महापर्व मनाएं।
चार दिनों तक करें वंदना,
नमक न खाकर राह पर बढ़ें।

सूर्य देव को अर्घ्य देकर,
आस्ताचल की ओर प्रस्थित हों।
दूसरे दिन सुबह सवेरे,
सूरज का स्वागत हरें।

कद्दू और लौकी सब्जी का स्वाद,
पूरी और खीर के साथ उचलें।
चना दाल या गेहूं का आटा,
स्वयं बनाकर पूरी खाएं।

पंचमी की सायंकाल में जाएं,
सूर्य देव को अर्घ्य देने।
चावल-गुड़ से बनी खीर का,
प्रसाद हम सबको मिलने।

दूसरों के साथ प्रसाद बांटकर,
“खरना” का पर्व मनाएं।
सायंकाल, षष्टी की तिथि, अस्ताचल,
सूर्य को अर्घ्य देने जाएं।

विविध पकवान और ऋतुओं के फलों से,
सूर्य की डलियों से खुशियों की खिचक लगाएं।
धूपबत्ती, कुमकुम, और घी के दीप से,
सूर्य देव की पूजा और गान को नया अर्थ दे।

सप्तमी की उषाकाल में, अर्घ्य देकर,
सूर्य देव को माने।
उगते सूरज की किरणों के साथ में,
छठ के गीत सुनाएं हर दिन।

छठ से पूरी होती हैं कामनाएं,
माईया से मिलता है आशीर्वाद।
व्रत करने वालों के लिए,
सूर्य देव की कृपा होती है अपरम्पार।

कन्याकुमारी व्रत न करें,
इसको ना भूलें हम।
आदि गणेश के दान से सूर्य देव की पूजा की,
जो व्रती विशेष रूप से मानते हैं छठ की महिमा को।

पूरे व्रत की महत्वपूर्ण गाथा,
आपको बताएंगे हम।
सूर्य उपासना, छठ की पूजा,
अद्वितीय हैं इनके रहस्यों की कहानियाँ।

सूर्य देव का है आराधन

छठ पूजा की कविता (Chhath Puja Kavita)

सूर्य देव का है आराधन,
जो देते हैं जीवन का अर्जन।

उनके प्रकाश में सुख और शांति,
उनकी उर्जा से हर कण खिलता है मन्त्रमुग्ध दृष्टि।

उनको है शत-शत नमन,
जो देते हैं हमें स्वस्थ जीवन।

छठ पूजा, यह सत्कार का त्योहार,
सभी को बढ़ती शुभकामनाएं बार-बार।

सूर्य की पूजा है, यह छठ पूजा

छठ पूजा पर कविता (Chhath Puja Poem in Hindi)

सूर्य की पूजा है, यह छठ पूजा,
आस्था और विश्वास का उत्सव बना।

प्रकृति की पूजा, नदी की पूजा,
सूर्य, चंद्रमा के साथ आस्था की पूजा।

स्वच्छता का महान उत्सव यहाँ,
सामाजिक परिदृश्य का महापर्व यहाँ।

सफाई की महत्वपूर्ण पूजा यहाँ,
सदैव स्वच्छ आसपास यहाँ।

नदी, पोखर, तालाब रौशन हैं दीपों से,
झिलमिलती छठ पूजा की धारा से।

हवन की महक, अद्वितीय वातावरण,
सात्विक विचारों का अनुकरण यहाँ।

सुचिता पूर्ण जीवन का संगीत,
धार्मिक परंपराओं का प्रतीक यहाँ।

अध्यात्म और भक्ति से युक्त हम,
तन-मन शुद्ध, जीवन में धर्म का प्रमुख।

स्वच्छ और सकारात्मक हमारा व्यवहार,
समाज के उन्नति का आधार, खुशियों का सार।

भोजन के साथ शुभ शैया का त्याग,
व्रती करते हैं कठिन तपस्या का लाभ।

निर्जला निराहार, यह व्रत अत्यंत,
नई वस्त्र पहन, सूर्य की अर्घ्य के साथ।

छठ पूजा है जीवन की मिठास का स्रोत,
रस, गुड़, चावल से बने प्रसाद का संग।

जीवन का सारा शक्ति और उर्जा,
समाज के उन्नति के साथ ओतप्रोत।

धर्म और अध्यात्म से परिपूर्ण,
छठ पूजा सबसे महत्वपूर्ण।

सब घाटों में उमड़ा उत्सव का महौल

छठ पूजा की कविता (Chhath Puja Kavita Poem Poetry in Hindi)

सब घाटों में उमड़ा उत्सव का महौल,
हाथों में सूप और हो रहे हैं बधाई शब्दों का वो बोल।

छठ मैय्या का गुणगान हो रहा सारे द्वीपों में,
ठेकुआ भरने से, सेब-नारंगी-केला से है सब सुरमई चेहरों में।

खड़े हैं नारियल के गाने लिए तैयार,
हाथों में लिए सूप, हर घाट पर है आनंद निहार।

जय हो छठ मैय्या, उनका आशीर्वाद हमारे साथ हमेशा बना रहे,
छठ पूजा का यह माहौल, हर किसी को आनंद से भर दे!

यमुना तट पर छठ

छठ पूजा की कविता (Chhath Puja Kavita Poem Poetry in Hindi)

नदी की साँसें लौट आई हैं इस पवित्र दिन,
त्वचा मटमैली है, पर हृदय पारदर्शी है, कहानी है यह अनूठी।

आँखों में कम नहीं हुआ पानी की बूढ़,
घुटने भरेंगे सबको प्यार, आकाश के नीचे होंगे खड़े।

छठव्रतियों को परदेश में छठ करते हुए,
मन थोड़ा भारी हो रहा है महिलाओं का,
दिल्ली की नदी का यह सफर दूर लगता है,
सिर्फ गन्ने और सिंघाड़े के लिए, लंबे सफर का आलम है।

अपने घर होता तो दरवाजे तक पहुँचाता सूप,
गेहूँ पिसवाकर ला देता, सबके लिए समर्पण और सम्बंध का एक अद्वितीय त्योहार होता।

गाँव के सुंदर वातावरण में बैठते हुए, वो सबको अपने साथ गाते गीतों का आनंद लेते हैं।

गंगा नहीं हो, तो क्या हुआ,
क्योंकि हर नदी एक-दूसरे में धड़कती है,
जैसे एक शहर प्रवाहित होता है दूसरे शहर में,
सूरज एक है, सबका सूरज एक, यह संदेश है सर्वभूतों के लिए।

दीनानाथ, भास्कर, हे सूर्य देवता!
आपसे हम अर्घ्य स्वीकार करते हैं,
उन घरों के लिए, जिनमें बंद पड़े हैं ताले,
जहाँ कुंडली मारे बैठा है अँधेरा और मंद बिजली की देखरेख है।

यहाँ ठहर जाना, उन घोड़ों को कहना,
वो यहाँ रुके रहें, थोड़ी देर के लिए, मनोरंजन करें,
हे दिनकर, आपसे हे सूर्य देवता!
यह नारियल, केला, और ठेकुआ सब आपके लिए हैं,
वे सब आपके लिए, आपकी आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए इंतजार कर रहे हैं।

अनेकता, समाज की स्थिर निष्ठा

छठ पूजा पर कविता (Chhath Puja Kavita in Hindi)

अनेकता, समाज की स्थिर निष्ठा,
छठ महापर्व में छुपा संदेश, जीवन-धारा का दिनमान।
पहले दिन का प्रतीक है स्वर्णिम भारत का,
व्रती स्वयं को शुद्ध कर, लेते हैं अनमोल प्रसाद।

संध्या काल की शांत भक्ति और संगीत के साथ,
छठ गीत में समूह योग का आनंद है, संघर्ष की उर्जा का बखान।
उन्नति, योग्यता, सहनशीलता की भावना,
प्राकृतिक संघर्ष के साथ-साथ मानवता का उत्थान करती है,
यह उत्सव समाज में उत्कृष्टता की ओर एक प्रेरणा है।

मन की शुद्धि, समृद्धि की ओर,
सूप और पवित्र अर्घ्य के साथ, हम सब कुछ संघर्ष के लिए समर्पित करते हैं,
खुद को खोकर, समाज के लिए समर्पित होते हैं,
छठ महापर्व अन्तरात्मा की शांति की ओर एक प्रस्तावना है।

छठ संगीत में अध्यात्मिक भावना का संवाद है,
जो जीवन के अंश का प्रेम है, सुखद अनुभव है,
यह पावन अर्घ्य का अभिव्यक्ति है, जो हर प्राणी के जीवन को शुद्ध करता है।

दीपों की चमक गंगा किनारों पर,
संघर्ष के बावजूद, समूह की एकता का संदेश देती है,
हर कदम पर समर्थन और साझा करने की भावना सजीव है,
आत्म-समर्पण के साथ, यह उत्सव सबके भीतरी और बाह्य शांति का प्रतीक है।

Final Words:

हमें उम्मीद है कि आपको यह छठ पूजा कविता (Chhath Puja par kavita) पसंद आई होगी और यह इस महत्वपूर्ण त्योहार के महत्व को समझने और मनाने में आपके लिए मददगार साबित होगी। इस कविता के माध्यम से हम सभी को छठ पूजा के सुंदर संदेश की ओर मुड़ने और समृद्धि, शक्ति और एकता की ओर आगे बढ़ने का अवसर मिलता है। कृपया इसे अपने प्रियजनों के साथ साझा करें ताकि इस कविता और छठ पूजा के आदर्शों को और भी व्यापक रूप से फैलाया जा सके। छठ पूजा हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे मनाकर हम अपने जीवन में सौभाग्य, स्वास्थ्य और खुशी की ओर बढ़ सकते हैं।

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