चार्ल्स शोभराज की जीवनी – Charles Sobhraj Biography In Hindi

चार्ल्स शोभराज की जीवनी - Charles Sobhraj Biography In Hindi

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Charles Sobhraj Biography In Hindi – चार्ल्स शोभराज, एक फ्रांसीसी सीरियल किलर, धोखेबाज और शातिर चोर है. उसे The Bikini Killer, The Splitting Killer और The Serpent के नाम से भी जाना जाता है. 

चार्ल्स शोभराज ने जो हत्याएं कीं, उनमें ज्यादातर महिलाओं के शव अक्सर बिकनी पहने हुए थे, इसलिए उसे “बिकनी किलर (Bikini Killer)” का नाम मिला. शोभराज अजनबियों को धोखा देने और पूरे यूरोप और एशिया में पुलिस को चकमा देने में माहिर था, यही वजह है कि उसे “द सर्पेंट (The Serpent)” भी कहा जाता था.

चार्ल्स शोभराज का संक्षिप्त में जीवन परिचय – Brief biography of Charles Sobhraj

पूरा नामचार्ल्स गुरुमुख शोभराज हतचंद भवनानी
(Charles Gurumukh Sobhraj Hotchand Bhawnani)
उपनाम / पहचानबिकिनी किलर (Bikini killer),
द सर्पेंट (The serpent),द स्प्लिटिंग किलर (The Splitting Killer)
जन्म तिथि6 अप्रैल 1944
आयु78 वर्ष (2022 के अनुसार)
जन्म स्थानहो ची मिन्ह शहर, वियतनाम
(Ho Chi Minh City, Vietnam)
पिता का नामशोभराज हतचंद भवनानी(Sobhraj Hotchand Bhawnani)
माता का नामट्रान लोंग फुन
(Tran Loang Phun)
जातीयतासिंधी पिता और वियतनामी मां की संतान 
धर्मकैथोलिक
गृहनगरसाइगॉन, वियतनाम
(Saigon, Vietnam)
राष्ट्रीयताफ्रेंच (French)
वैवाहिक स्थितिविवाहित
पत्नीनिहिता विश्वास (Nihita Biswas)
बच्चेउषा शोभराज (Usha Sobhraj)

चार्ल्स शोभराज का प्रारंभिक जीवन (Charles Sobhraj early life in Hindi):

कौन हैं चार्ल्स शोभराज? Charles Sobhraj Biography In Hindi

चार्ल्स शोभराज का जन्म 6 अप्रैल, 1944 को जापानी कब्जे वाले साइगॉन (Saigon = Ho Chi Minh City) में एक अविवाहित वियतनामी लड़की और एक भारतीय व्यवसायी के घर हुआ था.

अपने जन्म स्थान के आधार पर चार्ल्स शोभराज ने फ्रांस की नागरिकता (French citizenship) प्राप्त कर ली थी.

चार्ल्स के जन्म ने उनके माता-पिता को अलग कर दिया जबकि चार्ल्स के पिता से अलग होने के लिए उनकी मां ने चार्ल्स को ही दोषी ठहराया था.

भारतीय व्यवसायी से अलग होने के बाद, जल्द ही, उसकी मां ने अपने फ्रांसीसी प्रेमी, लेफ्टिनेंट अल्फोंस डारू (Lieutenant Alphonse Daru) से शादी कर ली, जो फ्रांसीसी इंडोचाइना में तैनात एक फ्रांसीसी सेना के लेफ्टिनेंट थे.

चार्ल्स को उसकी मां के नए पति ने गोद लिया था, लेकिन उसे अपना नाम देने से इनकार कर दिया. जल्द ही, चार्ल्स के सौतेले भाई-बहनों के जन्म के बाद, चार्ल्स अपने माता-पिता से भावनात्मक रूप से दूर होते गए. 

चार्ल्स बचपन से ही चोरी जैसे अपराध करने लगा था जिसके कारण उसे घर से निकाल दिया गया था. एक कार चोरी करने के आरोप में उसे पॉसी में जेल भेजे जाने के बाद, उसके माता-पिता ने उसे अस्वीकार तक कर दिया था.

वह बचपन से अवज्ञाकारी और अपराधी स्वभाव का था, लेकिन वह एक चतुर और करिश्माई बच्चा भी था. वह हमेशा स्कूल में अनुपस्थित रहता था, लेकिन जब वह स्कूल आता था, तो वह स्कूल के अधिकारियों के लिए अनुशासन की समस्या बन जाता था, जिसके कारण उसे कई बार कठोर दंडात्मक कार्रवाई का शिकार होना पड़ता था.

किशोरावस्था में उसे एक कैथोलिक के रूप में बपतिस्मा दिया गया और चर्च के रिकॉर्ड में उसका नाम बदल कर चार्ल्स गुरुमुख शोभराज (Charles Gurmukh Sobhraj) कर दिया गया. उसने “चार्ल्स” नाम इसलिए चुना क्योंकि वह हास्य अभिनेता चार्ली चैपलिन (Charlie Chaplin) का बहुत बड़ा प्रशंसक था और अक्सर उनकी नकल करता था.

शोभराज ने अपना प्रारंभिक बचपन अपने परिवार के साथ दक्षिण पूर्व एशिया और फ्रांस के आसपास बिताया. 

जवानी में कदम रखते ही चार्ल्स की मुलाकात पेरिस में चैंटल डेसनॉयर्स (Chantal Desnoyers) से हुई और वे दोनों जल्द ही एक लड़के के माता-पिता बन गए.

1969 में चार्ल्स की जिंदगी में पेरिस की रहने वाली चैंटल कॉम्पैग्नन (Chantal Compagnon) का आगमन हुआ. कॉम्पैग्नन के साथ रहने के लिए चार्ल्स ने अपनी पूर्व प्रेमिका डेस्नोयर्स के साथ नाता तोड़ लिया.

जिस दिन चार्ल्स और कॉम्पैग्नन की शादी हुई, उसी दिन डेस्नोयर्स ने अपने दूसरे बच्चे (एक लड़की) को जन्म दिया, जिसका नाम म्यूरियल अनौक (Muriel Anouk) रखा गया.

जिस दिन चार्ल्स ने कॉम्पैग्नन के सामने शादी का प्रस्ताव रखा, उसी दिन चार्ल्स को कार चोरी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया और पेरिस की पॉसी जेल भेज दिया गया. इसके आठ महीने बाद उसे जेल से रिहा कर दिया गया और उसी दिन चार्ल्स और कॉम्पैग्नन ने शादी भी कर ली.

अपराध की दुनिया में कैसे आया शोभराज? How did Sobhraj enter into the world of crime?

चार्ल्स शोभराज ने अपनी किशोरावस्था के दौरान छोटे-मोटे अपराध करना शुरू कर दिया था. ऐसे ही एक शुरुआती अपराध में, उसने एक दुकानदार को लूटने के लिए अपने सौतेले भाई आंद्रे (Andre) का भी इस्तेमाल किया था.

इसी दौरान उसने पेरिस की सड़कों से कारें चुराना शुरू कर दिया. 1963 में, उसे पहली बार पेरिस में चोरी के आरोप में पॉसी जेल (Poissy prison) में भी कैद किया गया था.

जबकि पॉसी जेल में अन्य कैदी खराब परिस्थितियों में रहते थे, इस बीच चार्ल्स ने जेल अधिकारियों की कृपादृष्टि अपने ऊपर बना ली थी, और जेल कर्मचारियों द्वारा शोभराज को विशेष सुविधाएं भी प्रदान की गईं. उसे पढ़ने-लिखने का शौक था, इसलिए अपनी कोठरी में किताबें रखने की इजाजत दी गई थी.

उसी दौरान, चार्ल्स की मुलाकात जेल के वालंटियर फेलिक्स डी’स्कोग्ने (Felix D’EScogne) से हुई. चार्ल्स, फेलिक्स के करीब आ गए और उनके दोस्त बन गए. पैरोल मिलने के बाद, डी’स्कोग्ने की मददत से चार्ल्स को पेरिस में उच्च समाज का हिस्सा बनने में भी मदद मिली. 

चार्ल्स ने अंडरवर्ल्ड में भी घुसपैठ करना शुरू कर दिया था और वह दो अलग-अलग जीवन जीने लगा था, एक उच्च समाज के लोगों के साथ और दूसरा पेरिस के अंडरवर्ल्ड में. समय के साथ शोभराज के अपराध भी बढ़ते गए.

दुनिया भर में शोभराज के अपराधों की सूची – List of Sobhraj’s crimes around the world

शोभराज का आपराधिक साम्राज्य किसी एक देश तक सीमित नहीं था, दरअसल वह भारत, नेपाल, म्यांमार, थाईलैंड, फ्रांस, ईरान, ग्रीस और तुर्की समेत नौ अलग-अलग देशों का कुख्यात वॉन्टेड (Notorious wanted) था, जिसकी पुलिस को तलाश थी.

खबरों की मानें तो शोभराज 20 से ज्यादा हत्याओं का जिम्मेदार है. उसने कई साल फ्रांस, भारत और नेपाल की जेलों में बिताए. कभी शोभराज अपराध की काली दुनिया का ऐसा नाम था जिसकी चर्चा सड़क से लेकर सिनेमा तक होती थी.

फ्रांसीसी अधिकारियों के डर से, शोभराज ने अपनी पत्नी कॉम्पैग्नन के साथ फ्रांस छोड़ दिया, जो उस समय गर्भवती थी. उन दोनों ने फर्जी दस्तावेज बनाए और पूर्वी यूरोप में रास्ते में यात्रियों को लूटने का रास्ता अपना लिया.

1970 में यह दंपति भारत के बॉम्बे (मुंबई ) शहर में आ पहुंचे थे जहां कॉम्पैग्नन ने अपनी बेटी उषा शोभराज (Usha Sobhraj) को जन्म दिया. 

चार्ल्स अपनी बेटी की वजह से एक नया जीवन शुरू करना चाहता था, लेकिन वह अपराध का रास्ता नहीं छोड़ सका और खुद को कार चोरी और तस्करी के धंधे में शामिल कर लिया.

1971 में, चार्ल्स और उनकी पत्नी काबुल भाग गए, जहां उन्होंने बंदूकों और अन्य हथियारों की तस्करी का काम शुरू कर दिया. इसके बाद वह पाकिस्तान के रावलपिंडी भाग गया, जहां माना जाता है कि उसने ड्राइवर की हत्या करने के बाद उसकी एक कार चुराई थी.

इस समय के आसपास, वह कथित तौर पर बैंकॉक में एक क्यूरियो की दुकान का मालिक भी बना था, जहां वह अपने पीड़ितों को फुसलाता था और फिर उन्हें ड्रग देता था, उनका सामान चुराता था, और कभी-कभी उन्हें मार भी देता था.

1973 में, दिल्ली के होटल अशोका में एक आभूषण की दुकान में सशस्त्र डकैती के असफल प्रयास के बाद, उसे गिरफ्तार कर लिया गया और दिल्ली की प्रसिद्ध तिहाड़ जेल भेज दिया गया.

लेकिन दो सप्ताह तक जेल में रहने के बाद वह एपेंडिसाइटिस का बहाना बनाकर जेल से फरार हो गया. उसके भागने में उसकी पत्नी ने मदद की थी.

इसके बाद उसने यूरोप और पूर्वी एशिया के बीच हिप्पी ट्रेल मार्ग पर विदेशी यात्रियों को लूटना शुरू कर दिया. 

इसके बाद वह काबुल भाग गया जहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया और एक अफगान जेल में रखा गया, उसने फिर से एपेंडिसाइटिस का बहाना बनाया और अफगान जेल से भी भाग निकला. लेकिन इस बार वह अपने परिवार को साथ न लेकर काबुल में छोड़ भाग निकला था.

चार्ल्स के अवैध आपराधिक गतिविधियों को जारी रखने से उसकी पत्नी कॉम्पैग्नन नाराज थी, और उसने खुद को उससे दूर कर लिया, उसे फिर कभी नहीं देखने की भी कसम खाई.

इधर चार्ल्स के अगले दो साल अलग-अलग देशो के सुरक्षा अधिकारियों के नजरों से भागते-बचते हुए चोरी किए पासपोर्ट का उपयोग करके पूर्वी यूरोप और मध्य पूर्व की यात्रा करने में व्यतीत हुए.

फिर वह अपने सौतेले भाई आंद्रे के साथ फिर से जुड़ गया और दोनों ने ग्रीस और तुर्की में डकैतियां भी कीं. लेकिन एक दिन पहचान बदलने के झांसे में आने के बाद, आंद्रे को एथेंस में गिरफ्तार कर लिया गया और 18 साल की जेल की सजा काटने के लिए जेल भेज दिया गया.

1975 में चार्ल्स शोभराज की मुलाकात भारत के कश्मीर में एक फ्रांसीसी-कनाडाई महिला मैरी-आंद्री लेक्लेर (Marie-Andree Leclerc) से हुई जो रोमांच की तलाश में भारत आई थी. चार्ल्स भारत में उनके टूर गाइड बने और  इसी दौरान उनसे नजदीकियां बना ली.

कुछ समय बाद चार्ल्स थाईलैंड चला गया और वहां ड्रग डीलर और रत्न विक्रेता बन गया. अब उसकी योजना अपना खुद का आपराधिक गिरोह बनाने की थी जिसके लिए उसने एक योजना बनाई थी.

चार्ल्स ने मैरी-आंद्री से सम्पर्क स्थापित किया और उसे थाईलैंड में अपने साथ शामिल होने के लिए लुभाया. मैरी पूरी तरह से चार्ल्स के प्यार में अंधी हो गई थी और उसके आपराधिक गिरोह की पहली सदस्य बन गई.

पर्यटकों को ठगने के लिए चार्ल्स ने नया जाल तैयार किया था. वह अपना शिकार सोच-समझकर चुनता था, फिर उनके लिए मुश्किलें पैदा करता था और खुद उनका रक्षक भी बन जाता था.

वह मदद के बहाने बैंकॉक के कानिट हाउस (Kanit House) नामक अपने अपार्टमेंट परिसर में पीड़ित पर्यटकों को पनाह देता था और फिर उन्हें ठग कर लूट लेता था.

एक मामले में, चार्ल्स ने दो फ्रांसीसी पुलिसकर्मियों, यानिक और जैक्स को उनके चोरी हुए पासपोर्ट को वापस पाने में भी मदद की थी, जिसे खुद चार्ल्स के अपने गिरोह के एक सदस्य ने चुरा लिया था.

ऐसा माना जाता है कि चार्ल्स ने अपने साथियों के साथ मिलकर कुल 20 से अधिक हत्याएं की थीं, लेकिन उनमें से केवल एक दर्जन मामले ही सुलझे हैं. 

जांचकर्ताओं का दावा है कि चार्ल्स के आपराधिक रिकॉर्ड को पुलिस के सामने उजागर करने की धमकी देने के बाद पीड़ितों की हत्या कर दी गई. हालांकि, चार्ल्स का दावा है कि पीड़ितों की मौत के पीछे दवाओं के आकस्मिक ओवरडोज के मामले थे.

शोभराज और उसके गुर्गों ने डच युगल हेंक बिंटांजा (Henk Bintanza – 29), और कॉर्नेलिया हेमकर (Cornelia Hemker – 25), को नशीला पदार्थ खिलाकर उनका गला घोंट दिया और उनके शरीर जला दिए.

दंपति के शव दो दिन बाद, 18 दिसंबर 1975 को खोजे गए. उसी दिन, चार्ल्स और मैरी-आंद्री ने हेमकर और बिंटाजा के पासपोर्ट का उपयोग करके नेपाल में प्रवेश किया.

नेपाल में 29 वर्षीय अमेरिकी नागरिक कोनी जो ब्रोंज़िच (Connie Jo Bronzich) और उसकी 26 वर्षीय कनाडाई प्रेमिका लॉरेंट कैरिएर (Laurent Carrière) की हत्या करने के बाद, अपराधी युगल उनके पासपोर्ट पर थाईलैंड भाग गए.

थाईलैंड में प्रवेश करते ही उन्हें फिर से भागना पड़ा क्योंकि थाईलैंड पुलिस को उनके काले कारनामों की भनक लग गई थी.

चार्ल्स भारत भाग गया जहां उसने अवोनी जैकब (Avoni Jacob) की हत्या कर दी, और शोभराज, अवोनी के पासपोर्ट का उपयोग करके, पहले सिंगापुर गया, फिर भारत लौट आया और 1976 में बैंकॉक लौट गया.

कुछ समय बाद चार्ल्स फिर बंबई आ गया जहां उसने एक अपराधी गिरोह बनाकर अपराधों का सिलसिला शुरू कर दिया.

1976 में, एक फ्रांसीसी पर्यटक की दिल्ली के एक होटल में जहर खाने से मृत्यु हो जाने के बाद, चार्ल्स को भारत में गिरफ्तार किया गया और हत्या के लिए 12 साल की सजा सुनाई गई.

हांलाकि, शोभराज ने अगले 21 साल 1976 से 1997 तक भारत की तिहाड़ जेल में बिताए. इस बीच, वह 1986 में जेल से भाग गया था, लेकिन 21 दिनों के बाद फिर से पकड़ा गया था.

दरअसल, 1977 में थाईलैंड की ओर से चार्ल्स शोभराज की गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया था, जिसकी डेडलाइन 20 साल थी और उसके खिलाफ थाईलैंड में सिर्फ हत्या के मामले दर्ज थे. इसलिए उन आरोपों पर उसे सिर्फ और सिर्फ मौत की सजा मिल सकती थी. इसलिए उसने अपने लिए एक पुख्ता योजना बनाई, और वह तिहाड़ जेल से भाग गया ताकि भारतीय कानून के अनुसार पकड़े जाने पर वह आसानी से कुछ और साल तिहाड़ में बिता सके.

चार्ल्स शोभराज 1986 में जेल से भागकर दोबारा पकड़े जाने के बाद अगले 11 साल तक तिहाड़ में रहा और 1997 में सजा पूरी कर बाहर आया. तब तक थाईलैंड कानून के तहत वारंट की अवधि समाप्त हो चुकी थी. 1997 में चार्ल्स तिहाड़ जेल से रिहा हुआ और फ्रांस चला गया.

इसके बाद उसे नेपाल यात्रा के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया और 2003 से वह नेपाल की जेल में सजा काट रहा था. शोभराज अगस्त 2003 में काठमांडू के एक कसीनो से पकड़ा गया था.

शोभराज को 1975 में भक्तपुर जिला अदालत ने एक कनाडाई नागरिक लॉरेंट कैरिएर (Laurent Carrière) और एक अमेरिकी नागरिक कोनी जो ब्रोंज़िच (Connie Jo Bronzich) की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. नेपाल में आजीवन कारावास (Life imprisonment) का मतलब 20 साल की जेल है।

नेपाल की जेल से क्यों रिहा हुआ शोभराज?

नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने 2003 से नेपाल की जेल में बंद चार्ल्स शोभराज को रिहा करने का आदेश दिया और 19 साल जेल में रहने के बाद 78 वर्षीय चार्ल्स शोभराज को आखिरकार दिसंबर 2022 में रिहा कर दिया गया.

चार्ल्स शोभराज को 1975 में 29 वर्षीय अमेरिकी नागरिक कोनी जो ब्रोंज़िच (Connie Jo Bronzich) और उसकी 26 वर्षीय कनाडाई प्रेमिका लॉरेंट कैरिएर (Laurent Carrière) की हत्या का दोषी ठहराया गया था.

दरअसल शोभराज की रिहाई के पीछे नेपाल सरकार का वरिष्ठ नागरिक अधिनियम (Senior Citizen Act) है, जिसका जिक्र कोर्ट के फैसले में किया गया है.

शोभराज के वकील लंबे समय से सरकार से क्षमादान के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग कर रहे थे. विभिन्न याचिकाओं में, उन्होंने वरिष्ठ नागरिक अधिनियम, 2063 की धारा 12 (1) के प्रावधानों का हवाला देते हुए शोभराज की जेल की सजा को कम करने की मांग की थी. नेपाल में इस अधिनियम के तहत वृद्ध कैदियों की सजा में छूट का प्रावधान है.

शोभराज की रिहाई की यह एक बड़ी वजह बनी है क्योंकि वह अभी 78 साल के हैं. इसके साथ ही नेपाल में फ्रांसीसी दूतावास (French Embassy) ने भी शोभराज के स्वास्थ्य को देखते हुए नेपाल सरकार से उसकी रिहाई की अपील की थी.

शोभराज के वकील ने रिहाई पर सफाई देते हुए कहा था कि शोभराज पिछले बीस साल से नेपाल की जेल में बंद है और उसने नेपाल में अपने ऊपर लगे सभी आरोपों की सजा की अवधि पूरी कर ली है.

नेपाल के कानून के मुताबिक अगर 65 साल से ज्यादा उम्र के कैदी का व्यवहार कारावास के दौरान अच्छा रहा तो उसकी सजा में 75 फीसदी तक की छूट दी जा सकती है.

भारत में चार्ल्स शोभराज का आपराधिक रिकॉर्ड – Charles Sobhraj criminal record in India

कहा जाता है कि चार्ल्स शोभराज भारत से और अपने भारतीय पिता से भी नफरत करता था. उसने अपनी भारतीय विरासत का तिरस्कार किया और देश को बड़े पैमाने पर अपराध स्थल के रूप में इस्तेमाल किया.

चार्ल्स शोभराज और उनकी पत्नी चैंटल कॉम्पैग्नन (Chantal Compagnon) 1970 में पुलिस को चकमा देकर और रास्ते में मिलने वाले लोगों को लूटते हुए मुंबई पहुंचे थे. मुंबई में रहते हुए चैंटल ने एक बेटी को जन्म दिया था.

इसी दौरान शोभराज ने जुआ खेलना शुरू कर दिया और यही वह समय था जब शोभराज डकैती और ठगी से आगे जाकर बिकिनी किलर के नाम से मशहूर हो गया.

वह विदेशी पर्यटकों से दोस्ती करता था और उन्हें नशीला पदार्थ देता था, जिसके बाद वह उन्हें मार डालता था और उनका कीमती सामान लूट लेता था. खासकर विदेशी महिलाएं उसकी मुख्य शिकार हुआ करती थीं.

ऐसा माना जाता है कि इस दौरान शोभराज ने भारत में चार साल के भीतर करीब 24 लोगों की हत्या कर दी थी.

1976 में, उसे भारतीय पुलिस ने पकड़ लिया था और दिल्ली की तिहाड़ जेल भेज दिया गया, लेकिन 1986 में वह जेल से भागने में सफल रहा. यहां उसने अपना जन्मदिन मनाने के बहाने सुरक्षा गार्डों को नशीली मिठाई खिलाई और जेल से फरार हो गया.

एक महीने बाद ही उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया गया. फिर 1997 में सजा पूरी करने के बाद वह फ्रांस चला गया.

शोभराज अपराधों पर आधारित फिल्में, वेब सीरीज, डॉक्यूमेंट्री और पुस्तकें – Films, Web series, Documentaries and Books based on Sobhraj crimes

शोभराज के गुनाहों की कहानी ने सिनेमा और साहित्य जगत को भी अपनी ओर खींचा. उसके आपराधिक जीवन पर आधारित कई किताबें और फिल्में बनीं.

शोभराज आधारित पुस्तकें:-

  • Serpentine (1979) – Thomas Thompson 
  • The Life and Crimes of Charles Sobhraj (1980) – Richard Neville and Julie Clarke
  • The Bikini Murders – Noel Barbe

शोभराज पर आधारित फिल्में :-

  • मैं और चार्ल्स (2015) – हिंदी फिल्म
  • The Serpent (2021) – TV series

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