चने चबाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग (Chane Chabana Muhavara)

Chane Chabana Muhavare Ka Matlab

चने चबाना का अर्थ – Chane Chabana Muhavare Ka Matlab

चने चबाना मुहावरे का अर्थवह भोजन जो सूखा हो
Chane Chabana

चने चबाना मुहावरे का अर्थ

Chane Chabana Muhavre Ka Arth – चने चबाना मुहावरे का अर्थ है रूखा सूखा खाना। इसका सबसे अच्छा उदाहरण हम गरीब और दरिद्र लोगों को देख सकते हैं जो रुखा-सूखा खाकर अपना जीवन चलाते हैं यानी चने चबाकर अपना गुजारा करते हैं।

चने चबाना मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग

Chane Chabana Muhavre Ka Vakya Prayog

#1. वाक्य प्रयोग: कठिन परिस्थितियों में राजा-महाराजाओं को भी चने चबाकर अपना जीवन गुजारने पर मजबूर होना पड़ता था।

#2. वाक्य प्रयोग: विभिन्न प्रकार की फसलें उगाने वाले किसान भी अक्सर चने चबाकर अपना पेट भरते हैं।

#3. वाक्य प्रयोग: पिछले सालों में जब देश में लॉकडाउन लगा था तो पूरे देश की जनता को चने चबाने को मजबूर होना पड़ा था।

#4. वाक्य प्रयोग: अजीत ने तय कर लिया है कि भले ही मुझे छोटा या बड़ा बिजनेस करके चने चबाने पड़ें, लेकिन मैं कहीं नौकरी नहीं करूंगा।

#5. वाक्य प्रयोग: जरूरी नहीं कि फल और मेवे खाने वाले ही प्रतियोगिताओं में प्रथम आएं, अक्सर चने चबाने वाले भी बाजी मारते हैं।

मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।

प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।

मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।

मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।

मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।

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