चांद बावड़ी आभानेरी का इतिहास हिंदी में – History of Chand Bawdi Abhaneri in Hindi

Chand Bawdi Abhaneri stepwell history and architecture in Hindi

Chand Bawdi Abhaneri history and architecture in Hindi – जब हम कला, संस्कृति, इतिहास, और पर्यटन क्षेत्रों की चर्चा करते हैं, तो हम देखते हैं कि भारत देश इन क्षेत्रों में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में काफी समृद्ध है।

आज के लेख में हम चांद बावड़ी आभानेरी के इतिहास (Chand Bawdi Abhaneri History in Hindi), वास्तुकला (Chand Bawdi Abhaneri Architecture in Hindi), और रोचक तथ्यों (Chand Bawdi Abhaneri Facts in Hindi) के साथ एक विस्तृत वर्णन प्रस्तुत करेंगे।

चूंकि राजस्थान एक शुष्क रेगिस्तानी राज्य है इसलिए यहां बावड़ियों का निर्माण किया जाना एक आम बात है। चांद बावड़ी राजस्थान और शायद पूरे भारत की सबसे पुरानी बावड़ी है जो आज भी अस्तित्वमय है। 

यह 13 मंजिल गहरी बावड़ी है। बावड़ी के अंदर, आप पानी की सतह तक पहुँचने वाली सीढ़ियों की सममित त्रिकोणीय संरचना को देखकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे।

चाँद बावड़ी की अत्यंत गहरी और उत्कृष्ट प्रकृति ने इसे एक अद्वितीय पर्यटन स्थल (Tourist spot) बना दिया है, जो भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए आकर्षण है। पर्यटक यहां न केवल इसके आकर्षणों से बल्कि इसके महत्वपूर्ण इतिहास और सांस्कृतिक महत्व को जानने के लिए भी उस्तुक रहते हैं।

चांद बावड़ी आभानेरी का इतिहास – Chand Bawdi Abhaneri History in Hindi

यह ऐतिहासिक स्थान जयपुर-आगरा मार्ग पर स्थित एक छोटा सा कस्बा है, जिसे राजा चंद ने अपने राज्य के हिस्से के रूप में स्थापित किया था। इस शहर का नाम पहले “आभा नगरी” यानी चमकता हुआ शहर हुआ करता था, जो बाद में बदलकर “आभानेरी” हो गया और यहां की रोमांचक बावड़ियों और माता मंदिर के लिए प्रसिद्ध हो गया।

चांद बावड़ी, जिसे आभानेरी की चांद बावड़ी (Chand Baadi of Abhaneri) के नाम से भी जाना जाता है, भारत के राजस्थान राज्य में स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल (Tourist destination) है। चांद बावड़ी एक प्राचीन बावड़ी है जो एक हजार वर्ष से भी अधिक पुरानी है।

यह एक विशाल और गहराई से पुनर्निर्मित बावड़ी (सीढ़ीदार कुआँ) वाला एक प्रसिद्ध विरासत स्थल (Heritage) है। इसका निर्माण 9वीं शताब्दी में निकुंभ राजवंश के गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार (Mihir Bhoj Pratihar) ने करवाया था और यह एक जलाशय और सामुदायिक सभा स्थल के रूप में कार्य करता था।

यह बावड़ी सीढ़ियों और गलियारों के जटिल और मनमोहक ज्यामितीय पैटर्न के लिए प्रसिद्ध है। इसमें कुल 3,500 संकीर्ण सीढ़ियाँ हैं जो सटीक तरीके से व्यवस्थित हैं, जो गहरे भूमिगत तक जाती हैं। चांद बावड़ी का वास्तुशिल्प डिजाइन वास्तव में उल्लेखनीय है।

राज मिहिर भोज को “चांद (Chand)” नाम से भी जाना जाता था, और उनके नाम पर ही इस बावड़ी का नाम “चांद बावड़ी (Chand Bawdi)” पड़ा। कुछ वर्ष पूर्व बावड़ी की खुदाई एवं जीर्णोद्धार के दौरान एक शिलालेख भी मिला था, जिसमें राजा चांद का उल्लेख है।

इस शिलालेख से सिद्ध होता है कि इस बावड़ी का निर्माण चांद राजा के समय में हुआ था, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को और भी मजबूत करता है। इस शिलालेख के माध्यम से हम इस स्थल से जुड़े इतिहास के एक महत्वपूर्ण हिस्से का पता लगा सकते हैं और इसके महत्व को समझ सकते हैं।

अँधेरे-उजाले की बावड़ी नाम से भी है प्रसिद्ध

चांदनी रातों में यह बावड़ी अंधेरी-उजाले वाली बावड़ी के नाम से भी प्रसिद्ध है, क्योंकि इसकी खासियत यह है कि यह ज्यादातर समय चांदनी की तरह सफेद दिखाई देती है।

चांदनी रात में जब बावड़ी के चारों ओर अंधेरा होता है और चांदनी की किरणें उसे उजागर करती हैं तो यह अपने वास्तविक स्वरूप में दूधिया सफेद दिखाई देती है। इस दृश्य की सुंदरता और भव्यता रात के धुंधलके में चांदनी तारों के साथ एक चकाचौंध और अत्यधिक प्राकृतिक दृश्य बनाती है, जिसे अन्य समय में आसानी से नहीं देखा जा सकता है।

इसके अलावा, अंधेरे-उजाले की बावड़ी का नाम इसकी अनोखी और रोमांचक प्रकृति को और भी बढ़ा देता है, जो पर्यटकों के लिए यहां आने का एक और कारण बनता है।

भूतों द्वारा किया गया था बावड़ी का निर्माण

चाँद बावड़ी के निर्माण से जुड़ी कुछ पौराणिक कहानियाँ भी प्रसिद्ध हैं, जैसे इस बावड़ी का निर्माण भूतों द्वारा किया गया था और इसे इतना गहरा बनाया गया था कि अगर इसमें कोई वस्तु गिर भी जाए तो उसे वापस निकालना असंभव है।

ये कहानियाँ इस जगह के रहस्यमय और प्राचीन चरित्र को और भी रोमांचक बनाती हैं। इसके अतिरिक्त, ये पौराणिक कहानियाँ इस स्थल के महत्व और रहस्य को बढ़ाती हैं और वहाँ पर्यटकों के बीच चर्चा का विषय बन जाती हैं। इस प्रकार चांद बावड़ी के आसपास जादुई कहानियों का माहौल है, जो इस जगह को अनोखा और रहस्यमय बनाता है।

चांद बावड़ी आभानेरी की वास्तुकला – Chand Bawdi Abhaneri Architecture in Hindi

यह बावड़ी दुनिया की सबसे गहरी बावड़ी (Deepest stepwell in the world) मानी जाती है। यह बावड़ी 13 मंजिल ऊंची है और 100 फीट से भी ज्यादा गहरी है। इस अनूठी संरचना की एक विशेषता यह है कि इसे भूलभुलैया (Maze) के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें लगभग 3500 सीढ़ियाँ (अनुमानित) हैं।

इसकी चारों ओर से चौड़ाई लगभग 35 मीटर है। इस बावड़ी में ऊपर से नीचे तक पक्की सीढ़ियां बनाई गई हैं, जिससे बावड़ी में चाहे कितना भी पानी हो, उसे आसानी से भरा जा सकता है। ये सीढ़ियाँ अनोखे मंच की तरह काम करती हैं जिनका मुख्य उद्देश्य पानी का संरक्षण और प्रबंधन करना है। इसका मतलब यह है कि ये सीढ़ियाँ चांद बावड़ी में ऊपर से नीचे तक जल स्तर बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

इसकी तह तक पहुँचने के लिए बड़े ही शानदार रूप से 13 सोपान बनाए गए हैं, और इस अद्वितीय संरचना की श्रेष्ठता को दर्शाने के लिए लगभग 1300 सीढ़ियाँ इसमें शामिल हैं। इन सोपानों और सीढ़ियों का निर्माण कला के अद्वितीय उदाहरण के रूप में किया गया है, और यह दर्शाता है कि भारतीय स्थापत्यकला में कितनी माहिरता हो सकती है।

बावड़ी की सीढ़ियाँ आकर्षक एवं कलात्मक तरीके से बनाई गई हैं और इसकी खासियत यह है कि बावड़ी में उतरने वाला व्यक्ति वापस उन्हीं सीढ़ियों से ऊपर नहीं चढ सकता।

इस बावड़ी को स्तम्भयुक्त बरामदों से घिरा हुआ देखा जा सकता है, और यह बावड़ी चारों ओर से वर्गाकार है, जिससे इसका अद्वितीय रूप प्रकट होता है। इसकी सबसे निचली मंजिल पर बने दो ताखों पर विशेष रूप से महिषासुर मर्दिनी एवं गणेश जी की सुंदर मूर्तियाँ स्थापित हैं, जो इसे और भी रोमांचक बनाती हैं।

इस बावड़ी की तीन मंजिलों में एक नृत्य कक्ष और गुप्त सुरंगें बनाई गई हैं, जो इसके आवासीय क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके ऊपरी भाग पर बना परवर्ती काल का मंडप इस बावड़ी के महत्वपूर्ण इतिहास का हिस्सा है और यह दर्शाता है कि इस स्थान का उपयोग लंबे समय तक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों के लिए किया जाता था।

इस बावड़ी की सुरंग के बारे में एक रोमांचक किवदंती भी सुनी जाती है, जिसके अनुसार इसका उपयोग राजा या सैनिकों द्वारा युद्ध या अन्य आपातकालीन स्थितियों के समय किया जाता था।

किंवदंतियों के अनुसार, इस सुरंग का निर्माण इस तरह से किया गया था कि इसे युद्ध के दौरान एक महत्वपूर्ण संरक्षण स्थल के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। अपनी गहराई, बेहद सुरक्षित संरचना और नमक से भरी होने के कारण यह सुरंग दुश्मनों के खिलाफ सुरक्षित मानी जाती थी।

चांद बावड़ी के सामने स्थित हर्षद माता का मंदिर (Harshad Mata Temple) एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर प्राचीन भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। मंदिर का स्थान, चांद बावड़ी के बगीचे के पास, एक सुंदर और आध्यात्मिक वातावरण में स्थित है। इस मंदिर का आकर्षण इसकी भव्य वास्तुकला और आदर्श मूर्तिकला है, और इस स्थान की धार्मिक मौलिक आत्मा को प्रकट करती है।

चांद बावड़ी और हर्षद माता मंदिर दोनों ही अपने निर्माण में इस्तेमाल की गई शानदार पत्थर की नक्काशी के कारण अद्वितीय हैं। यह नक्काशी कार्य के माध्यम से इन स्थलों की विशेषता और भव्यता को उजागर करता है।

इनकी दीवारों पर हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के चित्रों की नक्काशी भी इन स्थानों को बेहद महत्वपूर्ण बनाती है। इन छवियों से पता चलता है कि यह स्थल अपने निवासियों और भक्तों के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ हिंदू धर्म की अनूठी परंपरा भी रखता है।

यहां की प्रशासनिक और जल संरचनाएं विशेष रूप से प्राचीन काल की महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी का प्रतीक हैं और आज भी इस स्थल को जल संचयन और प्रबंधन के उदाहरण के रूप में अत्यधिक महत्व दिया जाता है।

चांद बावड़ी की यह खूबसूरत और विशाल संरचना पर्यटकों के लिए एक आकर्षक जगह है, जो भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को उजागर करती है।

आभानेरी चांद बावड़ी के बारे में रोचक तथ्य – Abhaneri stepwell Chand Bawdi facts in Hindi

#1. चांद बावड़ी भारत के राजस्थान राज्य के आभानेरी गाँव में स्थित एक सीढ़ीदार कुआँ (Stepwell) है। यह दुनिया के सबसे बड़े कुओं में से एक है और सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है।

#2. आभानेरी का प्राचीन नाम “आभा नगरी” था, जिसका अर्थ है “चमक का शहर”, लेकिन समय के साथ इसका नाम आभा नगरी से बदलकर आभानेरी (Abhaneri) हो गया। अब यह शहर खंडहर में तब्दील हो चुका है, लेकिन आज भी यह दुनिया भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

#3. चांद बावड़ी जमीन से लगभग 100 फीट (30 मीटर) नीचे है और इसमें 13 मंजिलों पर 3,500 संकीर्ण सीढ़ियाँ हैं।

#4. चांद बावड़ी का निर्माण निकुंभ राजवंश के राजा चांद द्वारा 8वीं और 9वीं शताब्दी के दौरान जल संचयन के लिए किया गया था और पूरा होने पर इसे खुशी और आनंद की देवी हर्षत माता (Harshat Mata) को समर्पित कर दिया गया था।

#5. चांद बावड़ी राजस्थान के सबसे पुराने और सबसे आकर्षक स्थलों में से एक है। कुएं के एक तरफ राजाओं के लिए मंडप और विश्राम कक्ष बना हुआ है।

#6. चांद बावड़ी में एक तरफ तीन मंजिला मंडप है, जिसमें बेहद जटिल नक्काशी है। इसमें शाही परिवारों के लिए झरोखा, गैलरी और बालकनी है। इसके अलावा इसके तीनों तरफ सीढ़ियाँ हैं जो इसे खूबसूरत और भव्य बनाती हैं।

#7. कुएं के तल पर, हवा सतह की तुलना में 5-6 डिग्री ठंडी रहती है, और चांद बावड़ी का उपयोग तीव्र गर्मी के दौरान स्थानीय लोगों के लिए सामुदायिक सभा स्थल के रूप में किया जाता था।

#8. वर्तमान में इसका उपयोग कुएं के रूप में नहीं किया जाता है लेकिन इसकी भव्य संरचना स्थानीय और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करती है।

कैसे पहुंचे? Visiting Chand Bawdi Abhaneri Rajasthan

अलवर से आभानेरी चांद बावड़ी तक आपकी यात्रा सुखद हो सकती है और यहां पहुंचने के लिए कई विकल्प हैं।

ट्रेन (Train): अलवर से आभानेरी पहुंचने के लिए ट्रेन एक अच्छा विकल्प हो सकती है। आपको अलवर जंक्शन से आभानेरी दिशा की ओर जाने वाली किसी भी ट्रेन का चयन करना होगा।

बस (Bus): अलवर से आभानेरी के लिए बस सेवाएँ भी उपलब्ध हैं। आप अलवर बस स्टैंड से आभानेरी की ओर जाने वाली बस का चयन कर सकते हैं।

हवाई अड्डा (Airport): आप फ्लाइट से जयपुर हवाई अड्डे तक पहुंच सकते हैं, जो अलवर और आभानेरी के पास स्थित है। हवाई अड्डे से आभानेरी पहुंचने के लिए आप टैक्सी या बस सुविधा का उपयोग कर सकते हैं।

चांद बावड़ी घूमने का सबसे अच्छा समय – Best time to visit Chand Bawdi Abhaneri

राजस्थान में अत्यधिक तापमान का अनुभव हो सकता है, इसलिए ठंडे महीनों के दौरान, आमतौर पर अक्टूबर से मार्च के दौरान अपनी यात्रा की योजना बनाना फायदेमंद है। चांद बावड़ी आभानेरी की यात्रा के लिए सबसे अच्छे समय के बारे में जानकारी निम्नलिखित है:

सर्दियों में (अक्टूबर से मार्च): चांद बावड़ी का दौरा सर्दियों में सबसे अच्छा होता है, खासकर अक्टूबर से मार्च के बीच। इस समय तापमान स्वीकार्य सीमा के भीतर रहता है और आपको ठंडे और आरामदायक दौरे का आनंद लेने का मौका मिलता है।

सुबह का समय: चांद बावड़ी को सुबह के समय देखना विशेष रूप से सुखद होता है। सूरज की किरणें सीढ़ियों को चमकाती हैं और यह आपकी फोटोग्राफी के लिए भी उपयुक्त बना सकती हैं।

रात का समय: रात के समय चांद बावड़ी को देखने का अनुभव अनोखा होता है, खासकर चांदनी रात में। चाँदनी रात में बावड़ी का दृश्य विशेष रूप से मनमोहक होता है, जब यह स्थान दूधिया सफेद रंग में दिखाई देता है और प्रकाश का एक विशेष मोहकता प्रस्तुत करता है।

विशेष दिन की गतिविधियाँ: यदि आप चांद बावड़ी के पास जा रहे हैं, तो आप इसके आसपास के क्षेत्रों में भी आनंद से दिन बिता सकते हैं। आप महलों, मंदिरों और अन्य प्रमुख स्थलों की यात्रा भी कर सकते हैं।

FAQ: Chand Bawdi Abhaneri in Hindi

चांद बावड़ी क्या है?

चाँद बावड़ी भारत के राजस्थान राज्य में स्थित एक प्राचीन बावड़ी (सीढ़ीदार कुआँ) है। इसका निर्माण गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज द्वारा करवाया गया था और इसका उद्देश्य जल मुख्य मार्ग के रूप में था। यह भारतीय स्थापत्य एवं ऐतिहासिक महत्व का एक महत्वपूर्ण संग्रह है।

चांद बावड़ी की गहराई कितनी है?

चांद बावड़ी की गहराई 100 फीट से भी अधिक है। इसमें लगभग 3500 (अनुमानित) सीढ़ियाँ हैं, जो इसे एक भूलभुलैया की तरह बनाती हैं।

चाँद बावड़ी के निकट अन्य पर्यटन स्थल कौन से हैं?

चांद बावड़ी के आसपास और भी कई पर्यटन स्थल हैं, जैसे हर्षद माता मंदिर, बालाजी दरबार, आभानेरी किला और सरिस्का गांव। यहां आप प्राचीन स्थलों, धार्मिक स्थलों और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं।

निष्कर्ष (Final Words): Chand Bawdi Abhaneri history and architecture in Hindi

“चांद बावड़ी आभानेरी” एक ऐतिहासिक और स्थापत्य चमत्कार है, जो राजस्थान के केंद्र में स्थित है। यह प्राचीन काल में गहराई से जाने और ठोस संरचना को समझने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। इसकी दीवारों, इमारतों और वास्तुकला की खूबसूरती से लोग प्रभावित हैं।

चांद बावड़ी का दौरा करने से आपको भारतीय इतिहास और संस्कृति के अनूठे पहलुओं को समझने का मौका मिलता है और यह देखने लायक एक विशेष दृश्य है। यह यात्रा आपको उस समय के राजाओं और सम्राटों की धार्मिकता, बहादुरी और वास्तुकला से रूबरू कराती है जब इस स्थल पर महत्वपूर्ण सांस्कृतिक ग्रंथ लिखे गए थे।

इस स्थान चांद बावड़ी की सुंदरता और महत्व इसे एक अद्वितीय पर्यटन स्थल बनाती है। यह एक ऐसी जगह है जहां प्राचीन काल की कहानियों और संस्कृति के गहरे रहस्य छिपे हुए हैं।

अवश्य देखने योग्य होने के साथ-साथ यह भारतीय सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और यह आपके जीवन में एक नया और अनोखा अनुभव प्रदान कर सकता है।

यहां आकर आपको अपनी चरम ऊंचाई और आकर्षण के साथ भारतीय सांस्कृतिक संपर्क का मौका मिल सकता है, जिससे आपके ज्ञान और दृष्टि का विस्तार से विकास हो सकता है।

इस खूबसूरत पारंपरिक स्थल का दौरा करने के बाद आप इसकी महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और आध्यात्मिक दिशा को समझ सकते हैं, जो हमारे समय की मानव सभ्यता की जरूरतों को पूरा करने में मदद कर सकती है।

इसलिए, “चांद बावड़ी आभानेरी” का दौरा एक शांत और प्रेरणादायक अनुभव हो सकता है जिसे आप जीवन भर याद रखेंगे।

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