चादर से बाहर पैर पसारना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग (Chadar Se Bahar Pair Pasarna Muhavara)

Chadar Se Bahar Pair Pasarna Muhavare Ka Matlab

चादर से बाहर पैर पसारना का अर्थ – Chadar Se Bahar Pair Pasarna Muhavare Ka Matlab

चादर से बाहर पैर पसारना मुहावरे का अर्थआय से अधिक खर्च करना
Chadar Se Bahar Pair Pasarna

चादर से बाहर पैर पसारना मुहावरे का अर्थ

Chadar Se Bahar Pair Pasarna Muhavre Ka Arth – चादर से बाहर पैर पसारना मुहावरे का अर्थ है आय से अधिक खर्च करना, क्षमता से ज्यादा साहस करना।

चादर से बाहर पैर पसारना मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग

Chadar Se Bahar Pair Pasarna Muhavre Ka Vakya Prayog

#1. वाक्य प्रयोग: सोहम को चादर से परे पैर फैलाने की आदत है, यही वजह है कि वह आलीशान जिंदगी जीने के लिए हर महीने अपनी आमदनी से ज्यादा खर्च करता है।

#2. वाक्य प्रयोग: बड़े-बुजुर्ग हमेशा कहते हैं कि हमें छोटी उम्र से ही चादर से बाहर पैर फैलाने से बचना चाहिए यानी अपनी आय से कम खर्च करना चाहिए।

#3. वाक्य प्रयोग: बिना सोचे समझे गुड्डु ने इतने बड़े पहलवान को कुश्ती के लिए चुनौती दे दी और अपने पैर चादर के बाहर फैला दिए।

#4. वाक्य प्रयोग: ऊंचाई से डरने वाला रोहन अब स्काई जंपिंग लगाने की बात कर रहा है, ये तो बस चादर से पैर फैलाने की बात है।

मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।

प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।

मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।

मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।

मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।

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