बकरा, ब्राह्मण और तीन ठग – पंचतंत्र की कहानी (Brahmin and Three Crooks Story In Hindi)

बकरा, ब्राह्मण और तीन ठग – पंचतंत्र की कहानी (Brahmin and Three Crooks Story In Hindi)

दोस्तों, पंचतंत्र की कहानियां (Tales of Panchatantra in Hindi) श्रृंखला में आज हम – बकरा, ब्राह्मण और तीन ठग की कहानी (Brahmin and Three Crooks Story In Hindi) पेश कर रहे हैं। Bakra Brahmin Aur Teen Thag Ki Kahani में बताया गया है की कैसे झूठ को बार-बार बोलने से वह सच लगने लगता है। उसके बाद क्या होता है? यह जानने के लिए पढ़ें – Bakra Brahmin Aur Teen Thag Panchatantra Story In Hindi

Brahmin and Three Crooks Story In Hindi – Tales of Panchatantra

बकरा, ब्राह्मण और तीन ठग – पंचतंत्र की कहानी (Brahmin and Three Crooks Story In Hindi)
Panchatantra Story Bakra Brahmin Aur Teen Thag In Hindi

प्राचीन काल में एक गांव में शंभू दयाल नाम का एक वैदिक ब्राह्मण रहता था। वह बहुत विद्वान था और लोग उसे प्रतिदिन अपने घर भोजन पर आमंत्रित करते थे। एक बार उसे दूसरे गांव के एक घर से भोजन पर आमंत्रित किया गया था। 

ब्राह्मण ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया और नियत दिन पर ब्राह्मण भोजन के लिए दूसरे गांव में पहुंच गया। भोजन के बाद यजमान ने ब्राह्मण को दक्षिणा के रूप में एक बकरा दिया। उस बकरे को लेकर ब्राह्मण अपने गांव की ओर चल पड़ा। 

दोनों गांवों के बीच का रास्ता सुनसान था और बीच में घना जंगल भी पड़ता था।

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उस जंगल में तीन ठग लूटपाट के इरादे से घूमते रहते थे। जब उन ठगों ने बकरे को ब्राह्मण के साथ देखा तो तीनों ने बकरे को हड़पने की योजना बनाई।

पहला ठग ब्राह्मण के पास आया और विनम्रता से बोला, “पंडितजी, आप यह अनर्थ क्यों कर रहे हैं। कुत्ते को कंधे पर उठाकर कहा ले जा रहे हो?”

ब्राह्मण ने उसे फटकारते हुए कहा, “मूर्ख! क्या तुम अंधे हो, यह कुत्ता नहीं बकरा है।”

पहले ठग ने फिर कहा, “अच्छा, मेरा काम तो जागरूक करना था। अगर आपको कुत्ते को ही कंधे पर लाद कर ले जाना है तो मैं क्या करूं। आप जानो आपका काम जाने।”

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ब्राह्मण ने उसकी बातों को अनसुना कर दिया और फिर से अपने गांव की ओर चल दिया।

थोड़ी देर बाद एक और ठग आया और ब्राह्मण से बोला, “महाशय, उच्च जाति के लोग अपने कंधे पर कुत्ते नहीं लादते हैं।”

पंडित जी ने उसे भी अनसुना कर दिया और अपने गांव की ओर चल पड़े।

कुछ देर बाद तीसरा ठग आया और पंडित जी से कुत्ते को कंधे पर उठा कर ले जाने का कारण पूछा।

अब जब ब्राह्मण को बार-बार कुत्ते को अपने कंधे पर ले जाने के बारे में अज्ञात व्यक्तियों द्वारा पूछा गया, तो उसे भी लगने लगा कि मैं अपने कंधे पर बकरा नहीं कुत्ता ले जा रहा हूं। कुछ दूर चलने के बाद ब्राह्मण ने बकरे को कुत्ता समझकर नीचे उतारा और गांव की ओर चल दिया।

फिर तीनो ठग उस बकरे को उठाकर फरार हो गए और उन्हें ब्राह्मण की मूर्खता पर हंसी भी आई।

कहानी का भाव:

झूठ को बार-बार बोलने से वह सच लगने लगता है। हमें खुद पर विश्वास रखना चाहिए। दूसरों के द्वारा कहे गए झूठ में नहीं पड़ना चाहिए।

Bakra Brahmin Aur Teen Thag Panchatantra Story In Hindi

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