अकबर-बीरबल की कहानी: बीरबल की स्वर्ग यात्रा

Akbar Birbal Short Moral Stories In Hindi

बीरबल की स्वर्ग यात्रा (अकबर बीरबल की कहानी) – Birbal Ki Swarg Ki Yatra | Akbar-Birbal Story In Hindi

एक बार की बात है जब बादशाह अकबर अपने शाही नाई से अपने बाल और दाढ़ी बनवा रहे थे तो नाई बादशाह अकबर की तारीफ पर तारीफ कर रहा था।

नाई ने पूछा, “जहाँपनाह! क्या आपको स्वर्ग में रहने वाले अपने रिश्तेदार याद हैं? क्या आपको उनका हालचाल पूछने का मन नहीं करता है?”

जैसे ही नाई ने यह कहा, बादशाह अकबर ने आश्चर्य से पूछा, “यह कैसे संभव है? आखिर किसी व्यक्ति को बिना मरे स्वर्ग कैसे भेजा जा सकता है?”

बादशाह अकबर के कहने पर नाई ने कहा, “बादशाह सलामत, मैं एक ऐसे फकीर बाबा को जानता हूं जो यह कारनामा करता है। बस आप अपने किसी करीबी को स्वर्ग जाने के लिए राजी कर लें।”

यह सब जानकर बादशाह अकबर ने अगले ही दिन अपने सभी करीबियों को सभा में बुलाया और सबने एक मत से कहा, “इस कार्य के लिए बीरबल से अच्छा कोई हो ही नहीं सकता। क्योंकि बीरबल हम लोगों में सबसे बुद्धिमान और चतुर हैं जो स्वर्ग जाकर पूर्वजों का हालचाल पूछ सकेंगे और उनकी समस्याओं का समाधान भी कर सकेंगे।”

“यह सुनकर बादशाह अकबर ने बीरबल को जन्नत की यात्रा पर जाने का संदेश भेजा।”

यह जानकर बीरबल ने बादशाह अकबर के माध्यम से बाबा को बुलाकर स्वर्ग भेजने की विधि पूछते हैं। बीरबल के कहने पर बाबा को महल में बुलाया जाता है फिर उनसे स्वर्ग जाने की विधि पूछी जाती है।

बाबा ने कहा, “स्वर्ग जाने के लिए तुम्हें नदी के किनारे इस घास-फूस वाले घर में आग में जलाकर भेजा जाएगा। इसी के साथ तंत्र मंत्र की शक्ति से स्वर्ग भेजने का रास्ता बनाया जाएगा।”

इस विधि को अच्छी तरह जानने के बाद बीरबल ने बादशाह अकबर से 15 दिनों का समय मांगा ताकि स्वर्ग जाने से पहले वह अपने परिवार से मिल सकें। कौन जाने कि स्वर्ग से आने में कितना समय लगेगा। इसके बाद बीरबल वहां से अपने घर के लिए रवाना हो गए। 

फिर ठीक 15 दिन बाद बीरबल स्वर्ग जाने के लिए बादशाह अकबर के सामने हाजिर होते हैं। बाबा को भी बुलाया जाता है और बीरबल को स्वर्ग भेजने की तैयारी की जाती है।

बाबा बीरबल को नदी के पास बने घास के घर के अंदर भेजते हैं। घास के घर के अंदर जाते ही बाबा घास के घर में आग लगा देते हैं और बीरबल को स्वर्ग भेजने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है।

15 दिन बाद बादशाह अकबर को बीरबल की चिंता होने लगती है, तभी अचानक बीरबल दरबार में आ जाते है।

बादशाह बीरबल को देखकर बहुत खुश हो जाते है और वह बीरबल से उसकी स्वर्ग यात्रा और स्वर्ग में रहने वाले उसके रिश्तेदारों के बारे में पूछते है।

तो बीरबल पूरे विस्तार से बताते हैं – “आपके पूर्वज स्वर्ग (जन्नत) में काफी सुखी और सुरक्षित हैं। उनकी बस एकमात्र समस्या यह है कि उनकी दाढ़ी और बाल बहुत बढ़ गए हैं, जिन्हें काटने के लिए स्वर्ग में एक भी नाई नहीं है। इसलिए, स्वर्ग में उन्हें एक नाई की जरूरत है।”

यह सुनकर बादशाह अकबर अपने उसी शाही नाई को अपने पूर्वजों के लिए स्वर्ग जाने का आदेश देते हैं।

बादशाह का आदेश सुनते ही नाई घबरा जाता है और बादशाह अकबर के पैरों में गिरकर माफी मांगने लगता है।

नाई बादशाह के सामने गिड़गिड़ाते हुए कहता है कि “मैंने यह सारा षड्यन्त्र वजीर अब्दुल्ला के आदेश पर किया था। यह पूरा षड्यंत्र वजीर अब्दुल्ला ने ही रचा था।”

अब बादशाह अकबर के सामने पूरा सच आ जाता है जिससे वो भी काफी क्रोधित हो जाते है। ये सब जानने के बाद बादशाह अकबर वज़ीर अब्दुल्लाह और नाई को दंड देने का आदेश दे देते है।

फिर बादशाह बड़े ही अचंबित होकर बीरबल से पूछते है – “बीरबल, तुम्हें यह सच कब पता चला और बीरबल, तुम घास से बने उस घर और आग से कैसे बच निकले?”

तब बीरबल बताते हैं कि “अग्निगृह में जाने की बात सुनकर ही मुझे इस षड़यन्त्र का आभास हो गया था। इस कारण मैंने 15 दिन का समय मांगा ताकि उन 15 दिनों में मैं घास के घर के नीचे से अपने घर तक सुरंग बना सकूं। उस सुरंग की वजह से ही मैं वहां से बच निकला था।”

बीरबल की बातें सुनकर बादशाह बहुत खुश हुए और बोले, “वाह! बीरबल वाह! तुमने एक बार फिर मेरा दिल जीत लिया है।”

इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती हैं?

कैसी भी समस्या क्यों न हो, सब आसानी से सुलझ सकती है।

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