भ्रष्टाचार पर निबंध – Essay on corruption in Hindi

Short and Long Essay on Corruption in Hindi, Bhrashtachar par Nibandh Hindi mein

Bhrashtachar Par Nibandh – आज देश और दुनिया में हर जगह, हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार फैला हुआ है। भ्रष्टाचार देश के विकास में मुख्य बाधाओं में से एक है।

इस लेख में हम विभिन्न शब्द सीमाओं में भ्रष्टाचार पर निबंध (Bhrashtachar par nibandh) साझा कर रहे हैं जो की सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए मददगार साबित होंगे।

भ्रष्टाचार पर छोटे-बड़े निबंध – भाषण (Short and Long Essay on Corruption in Hindi, Bhrashtachar par Nibandh Hindi mein)

भ्रष्टाचार पर निबंध / Bhrashtachar Par Nibandh – 1 (250 शब्दों में)

भ्रष्टाचार समाज और देश के लिए एक बड़ी समस्या है, जो न केवल लोगों के विश्वास और प्रगति को प्रभावित करता है, बल्कि संवैधानिक और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भी नुकसान पहुंचाता है।

आज देश और दुनिया के हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है। हमारे देश में भी भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें गहरी जमा रखी हैं, आप जहां भी देखें, अधिकारी और नेता भ्रष्टाचार से पटे पड़े हैं।

देश में भ्रष्टाचार हर विभाग में और हर जगह भरा पड़ा है। दुराचारी अर्थात भ्रष्ट और बिगड़ैल व्यक्तित्व भष्ट की श्रेणी में आता है।

यदि कोई व्यक्ति अपने अधिकारों का दुरुपयोग करता है और अपने व्यक्तिगत लाभ, आत्म-पूर्ति के लिए गलत तरीके से काम करता है, तो उसे भ्रष्ट कहा जाता है।

भारत भ्रष्टाचार के मामले में आज दुनिया में 85वें स्थान पर है।

भ्रष्टाचार के कई रूप हैं जैसे घूसखोरी, कालाबाज़ारी, जानबूझकर कीमत बढ़ाना, पैसे लेकर काम करना, सस्ता सामान लाना और महंगा बेचना आदि।

हालांकि ये सब बातें कही जाती हैं कि भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है, लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं है कि देश में भ्रष्टाचार कब कम होगा, लेकिन इसकी शुरुआत हम खुद से कर सकते हैं।

अगर हम देश को बचाना चाहते हैं और अपनी आने वाली पीढ़ियों को उज्ज्वल भविष्य देना चाहते हैं तो समय रहते भ्रष्टाचार को रोकना जरूरी है।

भ्रष्टाचार पर निबंध / Bhrashtachar Par Nibandh – 2 (750 शब्दों में)

प्रस्तावना:

भ्रष्टाचार का सामान्य अर्थ भ्रष्ट आचरण या भ्रष्ट व्यवहार वाला व्यक्तित्व है। ऐसा व्यक्ति जो कानून और न्याय को अपने पैरों तले रौंदता है और अपने स्वार्थ के लिए कुछ काम करता है, वह भी भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।

हम आए दिन अखबारों और टीवी पर भ्रष्टाचार से जुड़ा कोई न कोई मुद्दा देखते हैं। किसी नेता ने घोटाला किया, किसी अधिकारी ने घूस लिया, कभी किसी कर्मचारी को घूस लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया, आदि समाचार कानों पर आते रहते हैं।

भारत में बढ़ता भ्रष्टाचार एक बीमारी की तरह है। आज भारत देश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है और इसकी जड़ें तेजी से फैल रही हैं।

ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और देश में इस तरह की समस्या का समाधान भी जल्द खोजा जाना चाहिए। अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया तो यह पूरे देश को अपनी चपेट में ले लेगा।

भ्रष्टाचार क्या होता है? 

भ्रष्टाचार एक ऐसी गतिविधि है जिसमें किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया जाता है।

इसमें विभिन्न प्रकार के अपराध शामिल हैं जैसे किसी भ्रष्ट व्यक्ति द्वारा सेवा के लिए धन की मांग करना, घोटाला करना, समर्थन धन की मांग करना, व्यक्तिगत लाभ के लिए अधिकार का दुरुपयोग करना, कनिष्ठ कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करना और अन्य अपराध।

भ्रष्टाचार क्यों पनपता है?

भ्रष्टाचार एक ऐसे व्यवहार को संदर्भित करता है जो अनैतिक है और किसी के निजी स्वार्थ के लिए किया जाता है। आज हमारा देश भ्रष्ट देशों की श्रेणी में विश्व में 85वें नंबर पर आता है।

हमारे देश में भ्रष्टाचार इतना अधिक क्यों बढ़ रहा है, इसके कुछ कारण इस प्रकार हैं:-

  • देश का लचीला कानून – भ्रष्टाचार हर विकासशील देश की आम समस्या है, यहां भ्रष्टाचार का मुख्य कारण देश का लचीला कानून है। पैसे के दम पर अधिकांश भ्रष्टाचारी कानूनी प्रक्रिया से सम्मान के साथ बरी हो जाते हैं, जिससे अपराधी को सजा का डर नहीं रहता। देश में भ्रष्टाचारियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में कानून तो हैं लेकिन भ्रष्टाचारियों पर प्रभावी नहीं हो पा रहे हैं।
  • व्यक्ति का लालच – लोभ और असन्तोष ऐसे विकार हैं जो शिक्षित और बुद्धिमान व्यक्ति को भी बहुत ही तुच्छ कार्य करने के लिए विवश कर देते हैं। आमतौर पर हर व्यक्ति के मन में अपने धन को बढ़ाने की तीव्र इच्छा उत्पन्न होती है। नेता और वे सरकारी कर्मी भी इसी श्रेणी में आते हैं जिन्हें अच्छा पद और वेतन तो मिलता है लेकिन वे बिना पैसे लिए काम नहीं करते।
  • स्वार्थ और असमानता – कई बार आर्थिक, सामाजिक या सम्मान, पद-प्रतिष्ठा की असमानता के कारण व्यक्ति स्वयं को भ्रष्ट बना लेता है। हीनता और ईर्ष्या की भावना से ग्रसित व्यक्ति स्वयं को भ्रष्टाचार अपनाने के लिए बाध्य करता है। साथ ही रिश्वतखोरी, भाई-भतीजावाद आदि जैसे स्वार्थ हेतु भी भ्रष्टाचार को जन्म देते हैं।

हम भ्रष्टाचार से कैसे बचें?

अगर हमें और हमारी आने वाली पीढ़ियों को देश में फैले इस नासूर से बचना है तो सबसे पहले हमें खुद को सुधारना होगा। यदि हम रिश्वत नहीं देते हैं तो जो लोग अवैध कार्य करते हैं या रिश्वत लेते हैं उनकी अनुचित मांग पर अंकुश लगाया जा सकता है।

लेकिन इसके लिए पहले हमें खुद को सुधारना होगा, उसके बाद हम लोगों को कह सकते हैं कि रिश्वत मत दो। कई बार हम भी इसके चंगुल में फंस जाते हैं और फिर सोचते हैं कि यह देश कभी नहीं सुधरेगा।

भ्रष्टाचार को रोकने के उपाय

भ्रष्टाचार छूत की बीमारी की तरह है। आज भ्रष्टाचार का आलम यह है कि रिश्वतखोरी के मामले में जो व्यक्ति पकड़ा जाता है वह रिश्वत देने के बाद छूट भी जाता है। समाज के विभिन्न स्तरों पर फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त दंड-व्यवस्था की जानी चाहिए। 

भ्रष्टाचार को रोकने के निम्नलिखित उपाय हो सकते हैं:

  • सख्त कानूनों और नियमों का उपयोग – सरकारों को सख्त कानूनों और नियमों को लागू करना चाहिए, ताकि भ्रष्टाचार करने वालों को जल्द से जल्द और कड़ी से कड़ी सजा मिल सके।
  • जन जागरूकता – जनता को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। जब लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाते हैं, तो वे अपने अधिकारों की रक्षा करने में सक्षम हो जाते हैं।
  • निरपेक्षता – सरकारों और अधिकारियों को निरपेक्ष रहना चाहिए और सभी लोगों को समान रूप से न्याय दिलाने के लिए उन्हें अपने काम में सच्चाई और ईमानदारी का उपयोग करना चाहिए।
  • तकनीक में सुधार – भ्रष्टाचार को रोकने के लिए तकनीक में निरंतर सुधार भी जरूरी है। सरकारों को ई-गवर्नेंस और ई-टेंडरिंग जैसी नवीनतम तकनीकों का उपयोग करना चाहिए, ताकि भ्रष्टाचार के मामलों पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।

निष्कर्ष:

भ्रष्टाचार हमारे नैतिक मूल्यों पर सबसे बड़ा प्रहार है। भ्रष्टाचार से जुड़े लोग अपने स्वार्थ में अंधे होकर देश का नाम बदनाम कर रहे हैं।

भ्रष्टाचार पर निबंध / Bhrashtachar Par Nibandh – 3 (950 शब्दों में)

प्रस्तावना:

हममें से अधिकांश लोग भ्रष्टाचार के लिए उच्च पदों पर बैठे राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि देश के आम नागरिक भी भ्रष्टाचार के विभिन्न रूपों में भागीदार हैं।

भ्रष्टाचार अवैध तरीकों से पैसा कमाना है, भ्रष्टाचार में व्यक्ति अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए सार्वजनिक धन, टैक्स और देश की संपत्ति का शोषण करता है।

यह देश की प्रगति के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है। व्यक्ति भ्रष्ट तब होता है जब उसके आचार में दोष होता है, उसी प्रकार देश में भ्रष्टाचार की मात्रा बढ़ती है।

एक आकलन के अनुसार ब्रिटिश सत्ता के शासन काल में भारत में भ्रष्टाचार का स्तर बढ़ा और तब से इसने अपनी जड़ें और मजबूत कर ली हैं। सोने की चिड़िया कहा जाने वाला भारत आज कई क्षेत्रों में पिछड़ा हुआ है और इसका मुख्य कारण उस क्षेत्र में फैला भ्रष्टाचार है।

स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए जिनमें लोकपाल अधिनियम और लोकायुक्त अधिनियम आदि जैसी नीतियां शामिल हैं।

भ्रष्टाचार का स्वरूप:

भ्रष्टाचार एक व्यापक शब्द है जो अनैतिक, गलत और अनुचित कार्यों का वर्णन करता है जो किसी भी संगठन या समाज में नैतिक मूल्यों और कानूनों के खिलाफ होते हैं।

भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में पाई जाती है। भ्रष्टाचार कई रूप ले सकता है, जैसे नकद लेनदेन, जालसाजी, अनैतिक व्यवहार और किसी नेता या अधिकारी का अपराध-घोटाला, व्यक्तिगत लाभ के लिए जनता को धोखा देना, और अनुचित नियंत्रण और प्रबंधन।

भ्रष्टाचार एक ऐसी अनैतिक प्रथा है, जिसमें व्यक्ति अपनी छोटी-छोटी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अपने देश और देशवासियों को घोर संकट में डालने से भी नहीं हिचकिचाता।

भ्रष्टाचारी संविधान के सभी नियमों की अवहेलना करके अपने निजी फायदे के लिए गलत तरीके से धन अर्जित करते हैं। यह एक राष्ट्रव्यापी सामाजिक समस्या है जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक उत्पीड़न का कारण बनती है।

भ्रष्टाचार के विभिन्न प्रकार:

  • रिश्वत का लेन-देन – दफ्तर में चपरासी से लेकर उच्चाधिकारी तक सरकारी काम कराने के लिए आपसे पैसे लेते हैं। दरअसल उन्हें आपके काम के लिए सरकार से वेतन मिलता है और हमारी मदद के लिए ही उन्हें नियुक्त किया जाता है। इसके साथ ही देश के नागरिक इन्हें अपना काम जल्दी करवाने के लिए पैसे भी देते हैं इसलिए यह आदत भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है।
  • चुनावों में धांधली – अक्सर देखा जाता है कि देश में चुनाव के दौरान नेता खुलेआम लोगों को पैसे, तौफे, मादक पदार्थ और कई तरह के प्रलोभन देते हैं। यह आकर्षक चुनावी धांधली वास्तव में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है।
  • भाई-भतीजावाद – बड़े पदों पर बैठे लोग अपने पद और ताकत का गलत इस्तेमाल कर भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देते हैं। ये अक्सर अपने किसी रिश्तेदार या मर्जी के व्यक्ति को उस पद की जिम्मेदारी दे देते हैं, जिसके वे हकदार भी नहीं होते। ऐसे में पात्र व्यक्ति उस अधिकार से वंचित हो जाता है।
  • नागरिकों द्वारा टैक्स चोरी – नागरिकों को कर चुकाने के लिए प्रत्येक देश में एक निश्चित पैमाना और समय सीमा निर्धारित की गई है। लेकिन कुछ लोग अपनी आय का सही ब्योरा सरकार को नहीं देते और टैक्स चोरी करते हैं। यह अनुचित कार्य भी भ्रष्टाचार की श्रेणी में अंकित है।
  • शिक्षा और खेल के क्षेत्र में घूसखोरी – कई बार शिक्षा और खेल के क्षेत्र में चयनकर्ता रिश्वत लेकर मेधावी और योग्य उम्मीदवारों का चयन नहीं करते हैं, बल्कि उन्हें रिश्वत देने वालों का चयन किया जाता है।

भ्रष्टाचार के परिणाम क्या हैं?

भ्रष्टाचार के परिणाम बहुत हानिकारक होते हैं। इससे समाज, देश और जनता को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार देश की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है। इसकी अधिकता से गरीब और गरीब होता जा रहा है। देश में बेरोजगारी, धोखाधड़ी और आपराधिक मामलों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

किसी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार का परिणाम यह होता है कि विश्व स्तर पर देश की कानून व्यवस्था पर प्रश्न खड़े होते हैं, जिससे विश्व स्तर पर देश की छवि मलिन होती है।

भ्रष्टाचार देश के आर्थिक नुकसान का मुख्य कारण है। भ्रष्ट राजनेताओं और अधिकारियों द्वारा घोटालों, रिश्वतखोरी और अन्य प्रकार के भ्रष्टाचार के कारण देश अपनी अर्थव्यवस्था को संभालने में असमर्थ हो जाता है।

भ्रष्टाचार सामाजिक मतभेदों का भी कारण बनता है। भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं द्वारा जनता के हितों की अनदेखी करने से उनमें आर्थिक और सामाजिक भेदभाव निर्माण होता है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • डिज़िटाइज़ेशन – सरकार द्वारा सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया गया है, इससे घूसखोरी की मात्रा कम हुई है और सरकारी योजनाओं की सब्सिडी सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जाती है।
  • लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम – सरकार ने लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के माध्यम से लोकपाल और लोकायुक्तों के जनादेश का विस्तार किया है। इसमें भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए एक लोकपाल पद बनाया गया है।
  • जन लोकपाल अधिनियम – जन लोकपाल अधिनियम, 2011 के माध्यम से एक जन लोकपाल का पद स्थापित किया गया है, जो लोकतंत्र की सुरक्षा से संबंधित मामलों का आकलन करेगा।
  • राजस्व और कर सेवा आयोग – सरकार ने कर प्रणाली में सुधारों की सिफारिश करने के लिए राजस्व और कर सेवा आयोग का गठन किया है।
  • समर्थन प्रणाली को लोकप्रिय बनाया – सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ समर्थन पद्धति की शुरुआत की है। इस पद्धति के तहत लावारिस धन, चोरी या रिश्वतखोरी के तहत जुर्माना माफ करने के लिए लोग राशि जमा कर सकते हैं।

निष्कर्ष:

भ्रष्टाचार देश के विकास में लगा वह दीमक है जो देश को अंदर से खोखला कर रहा है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना है जो दर्शाता है कि लोभ, असंतोष, आदत और महत्वकांशा जैसे विकारों के कारण व्यक्ति किस प्रकार अवसर का गलत लाभ उठा सकता है।

हर प्रकार का भ्रष्टाचार समाज और देश को बहुत नुकसान पहुंचाता है। समाज के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम सभी को यह प्रण लेना चाहिए कि भ्रष्टाचार न करें और न होने दें।

भ्रष्टाचार पर 10 पंक्तियां हिंदी में (10 Lines on corruption in Hindi)

  1. भ्रष्टाचार का सामान्य अर्थ भ्रष्ट आचरण या भ्रष्ट व्यवहार वाला व्यक्तित्व है।
  2. भ्रष्टाचार देश के विकास में मुख्य बाधाओं में से एक है।
  3. दुराचारी अर्थात भ्रष्ट और बिगड़ैल व्यक्तित्व भष्ट की श्रेणी में आता है।
  4. आज भारत देश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है और इसकी जड़ें तेजी से फैल रही हैं।
  5. भ्रष्टाचार से जुड़े लोग अपने स्वार्थ में अंधे होकर देश का नाम बदनाम कर रहे हैं।
  6. भारत भ्रष्टाचार के मामले में आज दुनिया में 85वें स्थान पर है।
  7. यदि हम रिश्वत नहीं देते हैं तो जो लोग अवैध कार्य करते हैं या रिश्वत लेते हैं उनकी अनुचित मांग पर अंकुश लगाया जा सकता है।
  8. लेकिन इसके लिए पहले हमें खुद को सुधारना होगा, उसके बाद हम लोगों को कह सकते हैं कि रिश्वत मत दो।
  9. समाज के विभिन्न स्तरों पर फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त दंड-व्यवस्था की जानी चाहिए।
  10. अगर हम देश को बचाना चाहते हैं और अपनी आने वाली पीढ़ियों को उज्ज्वल भविष्य देना चाहते हैं तो समय रहते भ्रष्टाचार को रोकना जरूरी है।
Short and Long Essay on Corruption in Hindi, Bhrashtachar par Nibandh Hindi mein
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