Bharat ki khoj kisne ki thi aur kab ki thi in Hindi – प्राचीन काल में भारत इतना समृद्ध देश था कि भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। कई बड़े देशों से व्यापारी भारत में व्यापार करने आते थे और यहां से खूब पैसा कमाते थे। सांस्कृतिक रूप से भी भारत अन्य देशों की तुलना में काफी समृद्ध था और कई देशों की नजरों में आकर्षण का केंद्र था।
बचपन से हमें स्कूल में पढ़ाया जाता है कि भारत की खोज वास्को डी गामा (Vasco da Gama) ने की थी, इसलिए सवाल उठता है कि क्या वास्को डी गामा द्वारा भारत की खोज से पहले भारत का अस्तित्व नहीं था। तो मैं आपको बताना चाहूंगा कि भारत की खोज से पहले भी भारत का अस्तित्व था, लेकिन इस देश के बारे में केवल भारत के लोग ही जानते थे, इसके अलावा बाहर के लोग कुछ भी नहीं जानते थे।
दरअसल, यूरोप से भारत तक समुद्री मार्ग की खोज करने का श्रेय वास्को डी गामा को जाता है, इसीलिए उन्हें भारत की खोज का श्रेय दिया जाता है।
इससे पहले भी कई आक्रमणकारी, घुसपैठिए जैसे सिकंदर, मंगोल, अरब लोग भारत आए थे लेकिन वे समुद्री मार्ग से नहीं आए थे, वे खैबर दर्रे के माध्यम से प्रसिद्ध स्थलीय मार्ग से आए थे।
उस समय भारत का नक्शा वैसा नहीं लगता था जैसा आज है, इसमें भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और इसके अलावा ईरान के कुछ हिस्से भी शामिल थे।
भारत की खोज किसने की थी? Bharat Ki Khoj Kisne Ki In Hindi
दोस्तों भारत की खोज कई यात्रियों और खोजकर्ताओं ने की है, लेकिन वास्को डी गामा (Vasco da Gama) की भारत की खोज विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
वास्को डी गामा एक पुर्तगाली यात्री और खोजकर्ता थे जिन्होंने समुद्री मार्ग से भारत की खोज की थी। यूरोप से एशिया तक समुद्री मार्ग की खोज का श्रेय भी वास्को डी गामा को ही जाता है।
उन्होंने पुर्तगाली साम्राज्य के विशाल वाणिज्यिक विस्तार की शुरुआत की और उनके प्रयासों ने भारतीय व्यापार और शाही इतिहास को प्रभावित किया। वास्को डी गामा का मुख्य उद्देश्य भारतीय व्यापार के लिए नए समुद्री मार्ग खोजना था, ताकि वह पुर्तगाली व्यापार संबंधों में अपना पैमाना बढ़ा सके।
वास्को डी गामा ने अपने जीवनकाल में भारत की कुल 3 यात्राएँ कीं थीं। वास्को डी गामा की भारत की पहली खोज 1497-1498 में शुरू हुई थी।
उन्होंने सबसे पहले अफ्रीका के पूर्व तक समुद्री मार्ग की खोज की और यहीं से भारत के साथ संचार स्थापित करने का प्रयास किया था। वास्को डी गामा की टीम ने सबसे पहले आर्क डी नोवा (Cape of Good Hope) को पार करके भारत के पश्चिमी तट तक पहुँचने का प्रयास किया।
वास्को डी गामा 7 जुलाई 1497 को भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज करने के उद्देश्य से रवाना हुए थे। उनकी यह यात्रा बहुत कठिनाइयों और खतरों से भरी थी, लेकिन वे इस सफर में सफल हुए और जात्रा के दो साल बाद 20 मई 1498 को अपने 4 नाविकों के साथ केरल राज्य कोझिकोड के कालीकट पहुंचे।
कालीकट के तत्कालीन हिंदू राजा ज़मोरिन (King Zamorin) ने वास्को डी गामा का स्वागत किया था। कालीकट में तीन महीने रहने के बाद वास्को डी गामा पुर्तगाल वापस लौट आये। उनके 170 लोगों के मूल दल में से केवल 54 ही उनके साथ जीवित लौटे।
वास्को डी गामा की यह महत्वाकांक्षी यात्रा पुर्तगाली साम्राज्य के लिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इससे उन्हें भारतीय व्यापार मार्गों का पता लगाने और भारतीय राज्यों के साथ व्यापार करने की अनुमति मिली।
उनकी साहसी खोज ने पुर्तगालियों को भारतीय उपमहाद्वीप के साथ व्यापार संबंध स्थापित करने के लिए प्रेरित किया और दुनिया के सामने भारत के वाणिज्यिक महत्व को प्रदर्शित किया।
वास्को डी गामा की दूसरी यात्रा 1502 में हुई थी। उनकी तीसरी और आखिरी यात्रा 1524 में हुई थी। वह भारत में मलेरिया से गंभीर रूप से प्रभावित थे और इसके कारण 24 दिसंबर 1524 को कोच्चि में उनकी मृत्यु हो गई।
वास्को डी गामा की खोज यात्राओं ने पुर्तगाली व्यापार और आर्थिक प्रणाली की नींव रखी और भारत के साथ व्यापार संबंध स्थापित किए। अपने प्रयासों से, पुर्तगालियों ने भारत में व्यापार, शक्ति और संबंधों की मजबूती हासिल की, जिसके परिणामस्वरूप उनके द्वारा खोजे गए मार्गों को दुनिया भर में मान्यता मिली और एक व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ।
भारत के अन्य खोजकर्ता
भारत की खोज समय-समय पर विभिन्न खोजकर्ताओं और यात्रियों द्वारा की गई, जिनमें से कुछ मुख्य नाम इस प्रकार हैं:
क्रिस्टोफर कोलंबस – Christopher Columbus (1492):
1492 में, कोलंबस ने एक स्पेनिश प्राधिकृत सेना के साथ नए युग की यात्रा की, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत के साथ व्यापार संबंध स्थापित करना था, लेकिन तदनुसार उसने भारत के बजाय अमेरिका की खोज की।
वास्को डी गामा – Vasco da Gama (1498):
पुर्तगाली सम्राट अलेक्जेंडर अफोंसो के नेतृत्व में वास्को डी गामा ने समुद्री मार्ग की खोज की और 1498 में भारत के पश्चिमी तट तक पहुँचे। उनकी यात्रा ने भारत के साथ व्यापार संबंध स्थापित किए और पुर्तगाली भारत में व्यापारी और शाही शासन की शुरुआत की।
फादर जोहान – Father Johann (1498-1500):
पुर्तगाली संत फादर जोहान ने भारत की खोज की और 1498 में केरल के कोझिकोड पहुंचे। उनकी यात्रा ने पुर्तगाली व्यापार संबंधों की नींव रखी।
राफेलो कोलंबो – Raffaello Colombo (1502):
इस इतालवी खोजकर्ता ने पुर्तगालियों द्वारा भारत के साथ स्थापित व्यापार संबंधों का अध्ययन किया और भारत के विभिन्न हिस्सों में यात्रा की।
ये थे भारत की खोज करने वाले कुछ प्रमुख खोजकर्ता और यात्री। इन यात्राओं और खोजों के परिणामस्वरूप, भारत के अन्य देशों के साथ व्यापार और शाही संबंध स्थापित हुए और विभिन्न यूरोपीय देशों को भारत तक प्रभावी पहुंच प्राप्त हुई।
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