श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान – Golden Words of Bhagavad Gita in Hindi

श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान - Golden Words of Bhagavad Gita in Hindi

Famous verses of Shrimad Bhagavad Gita in Hindi – कलियुग के इस समय में, हम सभी अपने जीवन में आने वाले विभिन्न उतार-चढ़ावों का सामना करते हैं, लेकिन कभी-कभी स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि कोई समाधान नजर नहीं आता है.

शायद भविष्य में ऐसी परिस्थितियों का सामना करने के लिए और हमारा मार्गदर्शन करने के लिए, भगवान कृष्ण ने हजारों साल पहले महारथी अर्जुन से कुछ अमूल्य बातें कही थीं.

सौभाग्य से, हम आज भी उन बातों को समझ सकते हैं, हम उस ज्ञान को पढ़ सकते हैं. ज्ञान की वह शिक्षा आज भी “गीता” जैसे पवित्र ग्रंथ में संग्रहित है.

आइए, इस लेख के माध्यम से आज हम उस पवित्र ग्रंथ और उसमें छिपे ज्ञान के बारे में कुछ रोचक और अमूल्य बातें जानते हैं.

🌼 “गीता” महाभारत में “श्लोकों (छंद)” का सबसे महत्वपूर्ण संग्रह है.

🌼 गीता श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दी गई शिक्षाओं का एक संग्रह है जिसमें भगवान कृष्ण अर्जुन को युद्ध और जीवन का अर्थ बताते हैं.

🌼 दुनिया भर से हिंदू धर्म के अनुयायी सदियों से गीता और उसके महत्व के बारे में अपने पूर्वजों से सुनते आ रहे हैं.

🌼 गीता श्री अर्जुन और उनके सारथी, भगवान श्री कृष्ण के बीच हुई सही और गलत की व्याख्या करने वाली ऐसी तार्किक बातों का संग्रह है.

🌼 यह धार्मिक ग्रंथ ज्ञान का वह भण्डार है जो हमारे जीवन में आने वाली सभी परिस्थितियों का समाधान खोजने में सहायक हो सकता है.

🌼 गीता हमें सिखाती है कि मानसिक शांति और जीवन के बाद मोक्ष की प्राप्ति के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी इच्छाओं को नियंत्रण में रख सकें.

🌼 गीता यह भी सिखाती है कि मृत्यु का भय व्यर्थ है क्योंकि मृत्यु हमारे शरीर में विराजमान आत्मा को कभी नहीं मार सकती, मृत्यु केवल मांसपेशियों से बने शरीर का अंत है.

🌼 “कर्म” करना सबसे महत्वपूर्ण बात है और व्यक्ति को पूरी निष्ठा और विश्वास के साथ कार्य करना चाहिए, जबकि काम करते समय परिणाम का भय और फल की उम्मीद करना बेकार है.

🌼 गीता के अनुसार ईश्वर हर क्षण हमारे साथ है और कण-कण में विद्यमान है.

🌼 अपने मन में दूसरों के लिए बुरे भाव या बुरे विचार रखना ही हमारे अपने विनाश का कारण है, इसलिए इन बुरे विचारों को अपने मन से दूर रखना चाहिए.

🌼 गीता में कहा गया है कि क्रोध से भ्रम पैदा होता है, जो बुद्धि को विचलित करता है. भ्रमित व्यक्ति अपने मार्ग से भटक जाता है. तब सारे तर्क नष्ट हो जाते हैं, जिससे मनुष्य का पतन हो जाता है. इसलिए हमें अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए.

🌼 भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि आत्मनिरीक्षण से स्वयं को जानो क्योंकि जब आप स्वयं को पहचानेंगे तभी आप अपनी क्षमता का आकलन कर पाएंगे. ज्ञानरूपी तलवार से अज्ञान का नाश करना चाहिए. जब कोई व्यक्ति अपनी क्षमता का आकलन करता है, तभी उसका उद्धार हो पाता है.

🌼 भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मृत्यु एक अपरिवर्तनीय सत्य है, लेकिन केवल यह शरीर नश्वर है. आत्मा अजर अमर है, आत्मा को कोई काट नहीं सकता, अग्नि जला नहीं सकती और जल उसे गीला नहीं कर सकता. जिस प्रकार से पुराने वस्त्र बदलकर नए वस्त्र धारण किए जाते हैं उसी प्रकार आत्मा एक शरीर का त्याग करके दूसरे जीव में प्रवेश करती है. 

🌼 मनुष्य के भीतर सुख और आनंद का वास है. लेकिन मनुष्य उसे स्त्री में, घर में और बाहरी सुखों में ढूंढ रहा है.

🌼 मनुष्य इंद्रियों के अधीन है, इसलिए जीवन में विकार और परेशानियां आती हैं.

🌼 जुआ, मद्यपान, परस्त्रीगमन (अनैतिक संबंध), हिंसा, असत्य, मद, आसक्ति और निर्दयता इन सब में कलियुग का वास है, इसलिए इसका दूसरा नाम “घोर कलियुग” है.

🌼 मनुष्य को हमेशा अपने मन और बुद्धि पर भरोसा नहीं करना चाहिए. क्योंकि वे मनुष्य को बार-बार धोखा देते हैं. स्वयं को निर्दोष मानना बहुत बड़ा पाप सिद्ध होता है.

अब पढ़िए गीता का सार – Geeta Gyan in Hindi

🌼 क्यों व्यर्थ चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा न पैदा होती है, न मरती है.

🌼 जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा. तुम भूत का पश्चाताप न करो. भविष्य की चिंता न करो. वर्तमान चल रहा है.

🌼 तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया? न तुम कुछ लेकर आए, जो लिया यहीं से लिया. जो दिया, यहीं पर दिया. जो लिया, इसी (भगवान) से लिया. जो दिया, इसी को दिया.

🌼 खाली हाथ आए और खाली हाथ चले. जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा. तुम इसे अपना समझकर मग्न हो रहे हो. बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है.

🌼 परिवर्तन संसार का नियम है. जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है. एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो. मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो.

🌼 न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो. यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है और इसी में मिल जाएगा, परंतु आत्मा स्थिर है- फिर तुम क्या हो?

🌼 तुम अपने आपको भगवान को अर्पित करो. यही सबसे उत्तम सहारा है. जो इसके सहारे को जानता है, वह भय, चिंता व शोक से सर्वदा मुक्त है.

🌼 जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान को अर्पण करता चल. ऐसा करने से सदा जीवनमुक्त का आनंद अनुभव करेगा.

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